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निगम में 177 की जगह 24 अधिकारी

पटना: अवैध भवनों की जांच प्रक्रिया में तेजी कैसे आयेगी, जब नगर निगम में पर्याप्त अधिकारी ही नहीं हैं. अवैध भवनों की सूची तो बन गयी है, लेकिन अधिकारियों की कमी के कारण जांच की रफ्तार धीमी है. दो माह से अधिक समय गुजर चुका है, पर अब तक मात्र दो सौ भवनों की ही […]

पटना: अवैध भवनों की जांच प्रक्रिया में तेजी कैसे आयेगी, जब नगर निगम में पर्याप्त अधिकारी ही नहीं हैं. अवैध भवनों की सूची तो बन गयी है, लेकिन अधिकारियों की कमी के कारण जांच की रफ्तार धीमी है. दो माह से अधिक समय गुजर चुका है, पर अब तक मात्र दो सौ भवनों की ही जांच हुई है.

निगम में मुख्य नगर अभियंता से लेकर कनीय अभियंता के 177 पद स्वीकृत हैं, जबकि कार्यरत अधिकारी मात्र 24 हैं. रिक्तियां काफी अधिक हैं. इसलिए संभव नहीं है कि सभी रिक्त पदों पर पदस्थापन हो जाये. ऐसी स्थिति में निगम आयुक्त ने नगर विकास एवं आवास विभाग को पत्र लिख कर कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता, कनीय अभियंता और उप समाहर्ता स्तर के पदाधिकारियों के पदस्थापन का मांग की है, ताकि जांच प्रक्रिया में तेजी आ सके.

हाइकोर्ट ने दो जुलाई, 2013 को पारित आदेश में 20 फुट से कम चौड़ी सड़क पर 11 मीटर से अधिक ऊंचाईवाली इमारतों और आवासीय उपयोग व सहकारी आवास समिति की भूमि पर अपार्टमेंट, दुकान, बैंक व अस्पताल आदि गैर आवासीय उपयोग के निर्माण एवं उपयोग को रोकने क ा निर्देश दिया है. अधिकारियों की कमी से इस आदेश के पालन में कठिनाई हो रही है.

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