पटना: केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कुमारी शैलजा ने कहा कि महान विभूतियों को जाति के बंधन में बांधना उचित नहीं. संत रविदास, संत कबीर, बाबा साहेब आंबेडकर व बाबू जगजीवन राम जैसे महान लोगों के सोच ने हमें एक रास्ता दिखाया और पहचान दी है. बावजूद हम शोषण की मानसिकता से अब तक उबर नहीं पाये.
लंबा रास्ता तय करने के लिए हमें इस पर गंभीरता से ध्यान देना होगा. वे शनिवार को श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में रविदास महासम्मेलन को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि जब हम शोषण की बात करते हैं, तो हमें उन लाखों लोगों के बारे में सोचना चाहिए जो आज भी दबे-कुचले हैं. इतने पिछड़े हैं कि यहां तक पहुंच भी नहीं सकें. संगठन को ऐसे लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने पर चिंतन करना चाहिए. उन्होंने कुछ महीने पहले सासाराम में दलित युवक की हुई पिटाई का उल्लेख करते हुए इसकी निंदा की. उन्होंने कहा कि क्या दलितों को देश का झंडा फहराने तक का हक नहीं? अगर दलित-शोषित को इतना भी हक नहीं, तो फिर सरकार को सोचना होगा.
बनेगा सख्त कानून : कुमारी शैलजा ने कहा कि कांग्रेस दलित-शोषितों के बारे में जितना सोचती है, उतना कोई पार्टी नहीं सोचती. सासाराम जैसी घटनाएं दोबारा न हो, इसके लिए अगले सत्र में सख्त कानून बनाने पर विचार चल रहा है. उन्होंने कम समय का हवाला देते हुए दोबारा बिहार आने का वायदा किया.
जातियों को जोड़ने का सम्मेलन : अध्यक्षता करते हुए पूर्व मंत्री डॉ अशोक कुमार ने कहा कि आमतौर पर जातियों को तोड़ने के लिए सम्मेलन होता है, मगर हमारा सम्मेलन अनुसूचित जाति के सभी जातियों को एक धागे में जोड़ने के लिए किया गया है. मौके पर विधायक डॉ एसएन आर्या, डॉ फगुनी राम, जीएस रामचंद्र दास, नंदकिशोर राम, मुरारी प्रसाद गौतम, अशोक प्रभाकर, मुंशी प्रसाद, प्रतिमा कुमारी आदि ने भी विचार रखे.