सीवान: 16 अगस्त, 2004 की सुबह भूमि विवाद के निबटारे को लेकर पंचायती हो रही थी. पंचायत के दौरान ही कुछ लोग चंद्रकेश्वर समेत परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मारपीट पर उतारू हो गये. इस दौरान बचाव में राजीव रोशन उर्फ राजेश्वर प्रसाद ने हमलावरों पर तेजाब फेंक दिया, जिसमें कई लोग जख्मी हो […]
सीवान: 16 अगस्त, 2004 की सुबह भूमि विवाद के निबटारे को लेकर पंचायती हो रही थी. पंचायत के दौरान ही कुछ लोग चंद्रकेश्वर समेत परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मारपीट पर उतारू हो गये. इस दौरान बचाव में राजीव रोशन उर्फ राजेश्वर प्रसाद ने हमलावरों पर तेजाब फेंक दिया, जिसमें कई लोग जख्मी हो गये.
इसकी प्रतिक्रिया में चंदा बाबू के बेटे गिरीश को बड़हरिया बस स्टैंड के समीप स्थित दुकान से तथा सतीश का चुराहट्टी से दिनदहाड़े अपहरण कर लिया गया. इस मामले में अपहृतों की मां कलावती देवी के बयान पर अज्ञात के विरुद्ध अपहरण का मामला मुफस्सिल थाने में दर्ज हुआ. अनुसंधानकर्ता ने कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें अपहरण व साजिश का मो शहाबुद्दीन व उसके अन्य तीन साथियों को आरोपित माना.
दौरा सुपूर्दगी के बाद आरोप गठित किया गया. इसके बाद 11 गवाहों के बयान दर्ज हुए, जिसमें वर्ष 2010-11 में अपहृतों के बड़े भाई राजीव रोशन बतौर चश्मदीद गवाह मंडल कारा में गठित विशेष अदालत में गवाही के लिए उपस्थित हुए. गवाही में कहा कि दो भाइयों के साथ हमारा भी अपहरण हुआ था. मामले में फिर एक बार गवाही की प्रक्रिया चल रही थी कि 16 जून, 2014 को चश्मदीद गवाह राजीव रोशन की हत्या हो गयी. आखिरकार बुधवार को विशेष अदालत ने शहाबुद्दीन सहित चार को दोषी करार दे दिया.
पूर्व में भी हो चुकी है सात मामलों में सजा
राजद नेता व पूर्व सांसद शहाबुद्दीन पर पूर्व में अलग-अलग सात मामलों में आजीवन कारावास समेत विभिन्न सजाएं सुनायी जा चुकी हैं. आठ मई ,2007 को तत्कालीन विशेष सत्र न्यायाधीश ज्ञानेश्वर श्रीवास्तव की अदालत ने भाकपा माले कार्यकर्ता छोटे लाल गुप्ता की अपहरण कर हत्या के मामले में सत्रवाद संख्या 67/2004 में मो शहाबुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. 30 अगस्त, 2007 को तत्कालीन एसपी एसके सिंघल पर अत्याधुनिक हथियारों से कातिलाना हमला करने के मामले में सत्र वाद संख्या 320/2001 में 10 वर्ष की सजा सुनाई थी. इसी मामले में शहाबुद्दीन के अंगरक्षक हवलदार जहांगीर खां व सिपाही खालिद खां को बराबर की सजा मिली थी. 26 सितंबर, 2007 को विशेष सत्र न्यायाधीश ज्ञानेश्वर श्रीवास्तव की अदालत ने प्रतापपुर में छापेमारी के दौरान मिले प्रतिबंधित विदेशी हथियार के मामले में 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी.