22.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सुधीर चौधरी के शंख से गूंजा बुक फेयर

सुधीर चौधरी के शंख से गूंजा बुक फेयरलाइफ रिपोर्टर पटनासीआरडी बुक फेयर के पांचवें दिन लोगों की संख्या और बढ़ गयी. गांधी मैदान में हर तरफ पुस्तक प्रेमी ही नजर आये. वहीं कई लोग मौसम का मजा लेते हुए बुक फेयर में मस्ती करने में पहुंचे हुए थे. यहां कुछ लोग सेल्फी लेने में व्यस्त […]

सुधीर चौधरी के शंख से गूंजा बुक फेयरलाइफ रिपोर्टर पटनासीआरडी बुक फेयर के पांचवें दिन लोगों की संख्या और बढ़ गयी. गांधी मैदान में हर तरफ पुस्तक प्रेमी ही नजर आये. वहीं कई लोग मौसम का मजा लेते हुए बुक फेयर में मस्ती करने में पहुंचे हुए थे. यहां कुछ लोग सेल्फी लेने में व्यस्त दिखे, तो कुछ अपनी पसंद की बुक खरीद रहे थे. सभी स्टॉल में लोगों ने अपने पसंद की किताबें खरीदी. प्रकाशकों की मानें, तो यहां ज्यादातर लोग साहित्य और जीवनी पर आधारित किताबें पसंद कर रहे हैं. साथ ही स्टूडेंट्स की बात करें, तो वे पढ़ाई और कंपीटीशन से संबंधित किताबों की खरीदारी कर रहे हैं. बुक फेयर में लोगों की भीड़ और उत्साह देख ऐसा लग रहा था, जैसे कोई भव्य मेला लगा हो. मंगलवार को बुक फेयर का सबसे बड़ा आकर्षण सचिन तेंदुलकर के बहुत बड़े फैन सुधीर चौधरी मौजूद थे, जो सचिन के फैन होने की वजह से न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों में भी फेमस हैं. यहां उन्होंने लोगों को अपना अंदाज दिखा कर खुश कर दिया. इन किताबों की हुई मांगकिताब घर प्रकाशनद्धिधा- लेखक भैरप्पा- दाम- 575 रुपयेकागज की नांव- नासिरा शर्मा- दाम 400 रुपयेआदिवासी सृजन मिथक एवं अन्य लोक कथाएं- लेखक- रमणिका गुप्ता राजपाल एंड संस प्रकाशनखुशवंत सिंह की संपूर्ण कहानियां- लेखक महेंद्र कुलश्रेष्ठ- दाम 395 रुपयेबरगद के पेड़- लेखक आर के नारायण- दाम 225 रुपयेवाणी प्रकाशनप्रतिज्ञा- लेखक प्रेमचंद- दाम 250 रुपयेगबन- लेखक प्रेमचंद- दाम- 450 रुपयेलज्जा- लेखक- तसलीमा नसरीन- दाम- 300 रुपयेनुक्कड़ नाटकहंसाते-हंसाते दिया गंभीर संदेशसमाज में ज्यादातर लोग अपने आप को नहीं देखते, लेकिन वे हमेशा दूसरों पर अंगुली उठाते हैं. सामने वाले को गलत काम करने के लिए मना करते हैं, लेकिन वही काम खुद करते हैं. इस वजह से यहां समस्याओं का समाधान नहीं निकल पाता है. समाज से जुड़ी यह बातें मंगलवार को बुक फेयर में देखने को मिली. यहां नाद संस्था द्वारा तुमको का बतायी भइया नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया. इस नाटक की शुरुआत जोगिरा से हुई. साथ ही कलाकारों ने अपने गीतों से लोगों को खुश कर दिया. यहां सभी गीतों को कटाक्ष के रूप में पेश किया गया, जिसमें समाज की समस्याओं को दिखाया गया. यहां कलाकारों के डॉयलोग्स और उनके भाव रूप को देख लोग हंसते-हंसते लोट-पोट हो रहे थे, लेकिन नाटक के अंत में कलाकारों ने दर्शकों के लिए गंभीर सवाल छोड़ दिये. इस नाटक का उद्देश्य लोगों को यह बताना था कि वर्तमान शिक्षा नीति अपने देश में केवल भिखारियों की फौज बढ़ा रही है. उच्च शिक्षा प्राप्त युवक भी वर्तमान स्थिति में पान बेचने जैसे छोटे-मोटे काम करने को बाध्य हैं. इस नाटक के निदेशक मोहम्मद जॉनी और लेखक अभिषेक चौहान ने किया है. वहीं मुख्य कलाकार के रूप में रूबी खातून, साहिल मिश्रा, सिद्धांत सिंह और मोहम्मद आसिफ ने अपना अभिनय दिखाया.मैजिक इन यू का विमोचनइसी दिन पुस्तक मेला परिसर के मुख्य पेक्षागृह में लेखक रत्नेश्वर द्वारा लिखी हुई पुस्तक मैजिक इन यू का विमोचन गया. इसका विमोचन सचिन तेंदूलकर के अंतराष्ट्रीय स्तर के सबसे बड़े फैन सुधरी चौधरी द्वारा किया गया, जो बुक फेयर परिसर से मंच पर तिरंगा लहराते पहुंचे. विमोचन के दौरान उन्होंने लोगों को अपने अंदाज में मेरा भारत महान कहा. साथ ही अपनी शंख की आवाज से गांधी मैदान को गूंजा दिया. इस दौरान दर्शकों ने भरपूर तालियों से उनका स्वागत किया. साथ ही सभी देश भक्ति के भाव में डूब गये और मेरा भारत महान का नारा लगाया. मौके पर रत्नेश्वर ने कहा कि मुझे अपनी पुस्तक विमोचन के दौरान एक दिवाने की जरूरत थी, जो लोगों को यह बता सके की अपनी जिंदगी में लक्ष्य से मुहब्बत कर ले, तो लक्ष्य आपके हाथ में हैै. इसलिए सुधीर चौधरी का नाम सबसे पहले दिमाग में आया. मैजिक इन यू में कुछ ऐसा ही देखने को मिलेगा. इसमें दो अध्याय हैं, जो बिल्कुल नये हैं. इसमें रत्नेश्वर के एक साल जंगल में रहने का जिक्र है, जहां उन्होंने प्रकृति और जानवरों के बीच रह कर बहुत कुछ सिखा और इस अनुभव को कागज के पन्नों पर उतारा. इस किताब को लिखने में करीब 6 महीने लग गये हैं. वे कहते हैं कि इस किताब को पढ़ने से स्वयं को जानने में मदद मिलेगी और अपने व्यवसायिक जीवन को सफल बनाने में मूलमंत्र होगा. इस किताब को प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है, जिसमें पहली बार 20 हजार कॉपी की एडवांस बुकिंग हो चुकी है. इस मौके पर प्रभात प्रकाशन के निदेशक पीयूष कुमार मौजूद थे, जिन्होंने बताया कि .यह किताब जुनून, पागलपन, लक्ष्य और एकाग्रता के महत्व पर रौशनी डालता है.सृजन बिहार( बिहार और स्त्री स्वर पर परिचर्चा)आज महिलाएं बेलन से लेकर स्टेरिंहग तक, धरती से लेकर चांद तक, घर से लेकर ससंद तक निकल चुकी हैं. इसलिए हम कह सकते हैं कि महिलाएं आगे बढ़ रही है. महिलाओं को अब कोई दबा कर नहीं रह सकता. क्योंकि महिलाएं अपना हक लेना जानने लगी हैं. महिलाओं के प्रति यह बातें सुनने को मिली बुक फेयर के मंच पर यहां मंगलवार की शाम सृजन बिहार कार्यक्रम के दौरान बिहार और स्त्री पर परिचर्चा आयोजित किया गया. इस परिचर्चा में लेखिका और साहित्यकार डॉ उषा किरण खान, बैंक की पूर्व अधिकारी व लेखिका अनु श्री, आर जे अंजली मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद थे. यहां उषा किरण खान ने कहा कि बिहार राज्य में स्त्रियों का स्वर अब दबा कुचला नहीं है. यहां महिलाओं में जागरूकता आयी है. इसलिए बिहार में महिलाएं सशक्त हुई हैं. वहीं अनु श्री कहती हैं कि महिलाओं को अपना हक खुद लेना चाहिए. सभी अपने घर में महिलाओं को उन्हें अपना राइट लेने का हक दे. इस अवसर पर उन्होंने अपनी पुस्तक (नेवर मोर) का विमोचन किया. यह किताब स्त्री विमर्श पर आधारित है. यहां आर जे अंजली ने लोगों को अपनी कामयाबी की कहानी बतायी. वे कहती हैं कि लड़कियां अपने पैरेंट्स को यह बता सकती हैं कि उन्हें क्या करना है. क्योंकि महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता बहुत जरूरी है. इस मंच का संचालन कवियत्री भावना शेखर ने किया. यहां सभी अतिथियों को सीआरडी के सचिव अमरेंद्र झा द्वारा स्मृति चिन्ह द्वारा सम्मानित किया गया.——————सुधीर चौधरी से खास बातचीतआप सचिन के कब से फैन हैं?बचपन से मैं अपने गांव मुजफ्फरपुर में क्रिकेट खेलता था. क्रिकेट खेलने के दौरान मैं सचिन के सभी मैच को देखता था. 1997 में मुझे अचानक लगा कि मुझे सचिन से मिलना है, लेकिन कोई समझता ही नहीं था. सब को लगता था मैं पागल हूं. इसके बाद पांच साल बीत गये. 2002 में जमशेदपुर में मैच था. ऐसे मैंने साइकल से जमशेदपुर आया, लेकिन यहां मिलने का मौका नहीं मिला. इसके बाद भी मैं निराश नहीं हुआ. मेरा पागलपन बढ़ता है, जब घर आया, तो लोगों ने मुझे पागल करार दिया, लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा. इसके बाद मेरी दीवानगी और बढ़ते गयी. पहली बार सचिन के कैसे मिले?सचिन सर से मिलने की तमन्ना मेरी शुरू से थी. इसलिए जब उनकी मुंबई मे मैच थी, तो मैं मुजफ्फरपुर से 18 दिनों में साइकल से मुंबई गया. वहां कई लोग मुझे मिलने से मना कर दिये. एक पत्रकार ने मेरी खबर छापी. इसके बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ. मैंने हार नहीं माना और मैं उनके होटल के पास खड़ा रहा. वे जैसे गाड़ी से उतरे मैं दौड़ कर उनके पाव पकड़ लिया. उस वक्त मुझे ऐसा लगा जैसे भगवान का दर्शन हो गया हो. इसके बाद वो मुझे अपना नंबर दिये और कहे कि मेरे घर आओ. तब से मैं उनसे मिलने लगा हूं. अब वो मझे देश-विदेश में भी जाने के लिए ट्रेन और फ्लाइट के साथ होटल भी बुक करा देते हैं. अब मैं उनसे डायरेक्ट फोन से बात करता हूं. मुझे किसी पीए या मैनेजर की जरूरत नहीं होती है. इतना ही नहीं अब विराट कोहली और भज्जी से भी सीधे मिलने जाता हूं.पेंट लग कर फैन बनने का ख्याल कैसे आया?बात 2001 की है, जब मैं एक मैच देख रहा था. वहां मुझे एक आदमी दिखायी दिया, जो अपने फेस को पेंट करके मैच देखने आया था. मैं उनसे इंसपायर हो गया और फेस के अलावा पूरे बॉडी में पेंट करने लगा. मुझे बॉडी पेंट करने में 4 घंटा लगते थे. पेंट को उतारने में तीन घंटा. हालांकि कभी-कभी बॉडी पेंट पहले से रखता हूं,. बस मैच के दौरान सिर्फ फेस को पेंट करता हूं, जिसे पूरा करने में आधा घंटे लग जाते हैं. अब लोग मेरे इस पेंट को पसंद करने लगे हैं. इसलिए मैं अब बालों को मुरवा कर उस पर भारत मां की चित्र बनाता हूं. साथ ही अपने साथ शंख और तिरंगा रखता हूं. शुरू में स्टेडियम में कई लोग तिरंगा और शंख ले जाना मना करते थे, लेकिन अब कोई परेशानी नहीं होती है.आपके फैमिली में और भी कोई फैन हैं?मेरे फैमिली में आज भी लोग मुझे गाली देते हैं . इसलिए कोई भी फैन नहीं है. सबके नजर में मैं पागल हूं. कई बार लोग कहते हैं कि कुछ और करो, लेकिन मैं अपनी जिंदगी सचिन सर के नाम समर्पित कर दिया हूं. मुझे पूरे जिंदगी उनके फैन बन कर रहना है. वे क्रिकेट में रहें या न रहें, लेकिन मैं उनका फैन हमेशा हूं और हमेशा रहूंगा. आज उनके बदौलत मैं विदेशों में भी जाना जाने लगा हूं. पहले साइकल से पाकिस्तान तक गया हूं, लेकिन सचिन सर मुझे फ्लाइट से भेजते हैं.आप फैन बन कर अपनी जिंदगी का गुजारा कैसे करते हैं?मैं ग्रेजुएशन नहीं कर पाया. पहले प्राइवेट जॉब करता था. मुझे बस मैच देखने जाने और अपने रहने का खर्च चाहिए. इसलिए कहीं भेजने और होटल का खर्च सर के तरफ से मिलता है. यहां तक की सभी शहर और विदेशों में भी मेरे दोस्त बन गये हैं, जहां जाने के बाद मुझे कई लोग अपने घर बुलाते हैं. साथ ही मैं किसी-किसी मैच में स्टॉल भी लगाता हूं, जिससे कुछ आमदनी हो जाती है. मुझे बस अपने इतना खर्च मिलना चाहिए, कि मैं देश और विदेश में जा कर मैच देख सकूं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें