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आइसीयू यानी ‘इनकम कमिंग यूनिट’

– प्रहलाद – – निजी अस्पताल आइसीयू के नाम पर कर रहे लूट पटना : आइसीयू यानी ‘इंटेंसिव केयर यूनिट’, लेकिन आज की परिस्थिति में इसका मतलब बदल गया है. अब इसे कुछ लोग ‘इनकम कमिंग यूनिट’ भी कहते हैं. हो भी क्यों ना निजी अस्पताल संचालक आइसीयू के नाम पर लोगों से अनाप-शनाप पैसे […]

– प्रहलाद –

– निजी अस्पताल आइसीयू के नाम पर कर रहे लूट

पटना : आइसीयू यानी ‘इंटेंसिव केयर यूनिट’, लेकिन आज की परिस्थिति में इसका मतलब बदल गया है. अब इसे कुछ लोग ‘इनकम कमिंग यूनिट’ भी कहते हैं. हो भी क्यों ना निजी अस्पताल संचालक आइसीयू के नाम पर लोगों से अनाप-शनाप पैसे जो वसूल रहे हैं.

हालत यह है कि गैस, तेज बुखार जैसी मामूली बीमारी में भी पैसा बनाने के चक्कर में अस्पताल संचालक मरीज को आइसीयू में डाल देते हैं. इसका चार्ज दो से दस हजार तक है. इस लूट-खसोट को रोकने के लिए न, तो कोई सरकारी तंत्र है और न हीं कोई नियम.

सरकारी अस्पतालों में आइसीयू की कमी: आइसीयू अति गंभीर मरीजों के लिए है. प्रत्येक अस्पतालों में यह यूनिट स्थापित है, लेकिन जब मरीजों को भरती कराने की बारी आती है, तो अस्पताल प्रबंधन इस बात का रोना रोने लगता है कि हमारे पास जगह नहीं है.

विगत कई सालों से आइसीयू में व्यवस्था को लेकर कोई कार्य नहीं हुआ है. आइजीआइएमएस व पीएमसीएच जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में भी मरीजों के अनुपात में आइसीयू बेडों की भारी कमी है. जिससे अति गंभीर मरीजों को भी वेटिंग में रहना पड़ता है.

हर रोज लाखों का कारोबार करते हैं निजी अस्पताल: निजी अस्पतालों में आइसीयू की व्यवस्था की गयी है. जहां रोज लाखों का कारोबार हो रहा है. निजी अस्पतालों के आइसीयू में भरती मरीजों के परिजनों को प्रतिदिन लगभग तीन हजार रुपया देना पड़ता है. वहीं बेहद गंभीर हालत में भरती मरीजों को प्रतिदिन एक बेड के लिए लगभग 10 हजार रुपये देने पड़ते हैं.

आइसीयू के नाम पर होती है दलाली:

आइसीयू में बेड दिलवाने के नाम पर दलाल मरीज के परिजनों को झांसा दे रहे हैं. इस कारण गरीबों से प्रतिदिन हजारों रुपया ठगा जा रहा है. यह ऐसे मरीज होते हैं, जो गांव से किसी सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं और उनके मरीज को आइसीयू में जगह नहीं मिल पाती है.

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