– आलोक द्विवेदी –
पटना : पटना सीरियल ब्लास्ट से न पुलिस और न ही मकान मालिकों ने ही सबक लिया है. मकान मालिक आज भी किरायेदारों की सूचना थानों को नहीं दे रहे हैं. इससे अपराधी शहर में आते हैं, किराये पर मकान लेकर रेकी करते हैं और घटना को अंजाम देकर चले जाते हैं.
जांच के दौरान पुलिस अपराधी के ठिकाने तक पहुंच भी जाती है, तो मकान मालिक उसके बारे में विशेष जानकारी नहीं दे पाते. इससे शहर की सुरक्षा व्यवस्था तो खतरे में पड़ती ही है, बल्कि मकान मालिक भी बेवजह परेशान होते हैं. ऐसे में जरूरी है कि वे बेझिझक थाना पहुंचे और पुलिस को किरायेदार की जानकारी दें. ताकि, वह पता कर सके कि आपके यहां रहनेवाला शख्स कैसा है. वह अपराधी या आतंकी तो नहीं है.
इसलिए दें पुलिस को सूचना
कानूनन मकान मालिक द्वारा स्थानीय थानों को किरायेदार की सूचना देना अनिवार्य है. यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो पुलिस उनके खिलाफ एफआइआर तक दर्ज कर सकती है. यदि किरायेदार अपराध कर फरार हो जाता है, तो पुलिस मकान मालिक को मामले में आरोपित बना सकती है.
यदि वह ऐसा नहीं भी करती है, तब भी आपकी मुश्किलें बढ़ेंगी ही. वहीं, सरकार को शहर में रहनेवाले लोगों की सही जानकारी नहीं होने से जनहित की योजनाएं बनाने में परेशानी होती है. वह सभी लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करवा पाती. खास कर सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास आदि का उपयोग करनेवालों की जानकारी रखना जिला प्रशासन के लिए जरूरी है.
क्या है समस्या
– जागरूकता की कमी : पहली समस्या लोगों में जागरूकता की कमी का होना है. ज्यादातर मकान मालिक किरायेदार के बारे में थानों को सूचना देना बेकार का काम समझते हैं. उन्हें लगता है कि पुलिस के पास जाकर नाहक परेशान होंगे.
– जानकारी का अभाव : कुछ मकान मालिक थाने में किरायेदारों की सूचना देना चाहते हैं, पर उन्हें पता नहीं कि किस माध्यम से सूचना दी जा सकती है. फार्म डाउनलोड करने में परेशानी आती है, जिससे लोग ऑनलाइन सुविधा का लाभ नहीं उठा पाते.
– पुलिस की उदासीनता : डीएम के निर्देश के बावजूद अब तक किरायेदारों की सूची तैयार नहीं होने के पीछे बड़ा कारण पुलिसकर्मियों में सक्रियता की कमी है. थानाध्यक्ष मानते हैं कि किरायेदार की सूचना देना मकान मलिक का काम है.
-आर्थिक क्षति की आशंका : मकान मालिकों को लगता है कि यदि वे किरायेदार की सूचना देते हैं, तो उनकी अतिरिक्त आय सार्वजनिक हो जायेगी. इससे उन्हें आर्थिकक्षति पहुंचेगी. नगर निगम व सरकार को अधिक टैक्स देना होगा. इससे वह किरायेदार रखने की बात को छिपा लेते हैं.