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पटना में कोई किरायेदार नहीं!

पटना पुलिस की मानें, तो शहर में एक भी किरायेदार नहीं है. थानों में इसका कोई रेकॉर्ड नहीं है कि किस मकान में कौन रहता है, वह आतंकवादी है, विदेशी है या छात्र है. किसी को कुछ पता नहीं. पटना ब्लास्ट के बाद भी मकान मालिक व पुलिस दोनों ने कोई सबक नहीं लिया है. […]

पटना पुलिस की मानें, तो शहर में एक भी किरायेदार नहीं है. थानों में इसका कोई रेकॉर्ड नहीं है कि किस मकान में कौन रहता है, वह आतंकवादी है, विदेशी है या छात्र है. किसी को कुछ पता नहीं. पटना ब्लास्ट के बाद भी मकान मालिक व पुलिस दोनों ने कोई सबक नहीं लिया है.

किसी ने पुलिस से किरायेदार का वेरिफिकेशन करवाना जरूरी नहीं समझा. जबकि, कानूनन मकान मालिक को किरायेदार के बारे में सूचना देना अनिवार्य है. नहीं तो उन पर एफआइआर भी हो सकती है.

पटना : पटना के घरों में रहनेवाला किरायेदार छात्र, बेरोजगार या फिर आतंकी है, इस बात की जानकारी न तो मकान मालिक को है और न ही पुलिस को. मकान मालिक को तो केवल किराये से मतलब है. अधिक किराये की चाहत में वे आनेवालों से कभी नहीं पूछते कि कहां से आये हैं और क्या करते हैं. अगर पूछ भी लिया, तो किरायेदार ने जो कहा, उसे सच मान लिया.

पुलिस भी बेफिक्र है. सूचना मिलने पर भी वेरिफिकेशन की जहमत नहीं उठाती. ऐसे में जब कोई बड़ी घटना होती है, तो मकान मालिक और पुलिस नींद से जागते हैं. किरायेदार के बारे में जानकारी जुटायी जाती है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है. इससे मकान मालिक भी परेशानी महसूस करते हैं.

पटना में छह लाख से अधिक किरायेदार : पुलिस सूत्रों की मानें, तो पटना में छह लाख से अधिक किरायेदार हैं. इनमें ज्यादातर लोग पाटलिपुत्र, राजीवनगर, बांस घाट, शिवपुरी, श्रीकृष्णा नगर, बेलीरोड, कंकड़बाग आदि इलाकों में रहते हैं. लेकिन, इनके बारे में पुलिस को कोई औपचारिक सूचना नहीं है.

राजीवनगर के अविनाश कुमार ने बताया कि फॉर्म के बारे में उनको कोई जानकारी नहीं है. इसके कारण उनकी समझ में नहीं आता कि पुलिस को कैसे से सूचित करें.

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