22.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अर्थक्वेक छोड़ कर बाकी आपदा की जानकारी पहले मिल जाती है

अर्थक्वेक छोड़ कर बाकी आपदा की जानकारी पहले मिल जाती हैसायंस कॉलेज में डिजास्टर मैनेजमेंट पर हुआ सेमिनार पटनाआपदा की स्टडी पहले से होती है. अर्थ क्यूक छोड़ कर बाकि डिजास्टर की जानकारी पहले मिल जाती है. अर्थक्वेक के कारण व्यक्ति नहीं मरते. जो खराब हालात में बिल्डिंग है उसके कारण मौत होती है. अभी […]

अर्थक्वेक छोड़ कर बाकी आपदा की जानकारी पहले मिल जाती हैसायंस कॉलेज में डिजास्टर मैनेजमेंट पर हुआ सेमिनार पटनाआपदा की स्टडी पहले से होती है. अर्थ क्यूक छोड़ कर बाकि डिजास्टर की जानकारी पहले मिल जाती है. अर्थक्वेक के कारण व्यक्ति नहीं मरते. जो खराब हालात में बिल्डिंग है उसके कारण मौत होती है. अभी भी स्टेट गवर्मेंट फेल रही है एंटी अर्थक्वेक बिल्डिंग बनाने में. लोकल बॉडी को भी इस पर ध्यान देना चाहिए. विकास ऐसा हो जो आफत से बचाए., ऐसा न हो कि आफत बन जाये. यह बातें शुक्रवार को डिजास्टर मैनेजमेंट मिटिगेशन सेंटर के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर अरुण कुमार झा ने कही. वह सायंस कॉलेज के जिलोलॉजी विभाग के ऑडिटोरियम में डिजास्टर मैनेजमेंट पर लेक्चर दें रहे थे. उन्होंने कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट के बारे में सभी को जानकारी रखना जरूरी है. इसमें कॉलेज के स्टूडेंट्स भी भाग ले सकते हैं और अपा प्रोजेक्ट बना सकते हैं. स्टूडेंट्स को इसमें शामिल हो कर समाज को जागृत करना होगा. सेफ्टी के टिप्स के साथ-साथ वह छुट्टियों में समर प्रोजेक्ट बना सकते हैं डिजास्टर पर. बिल्डिंग के बनावट पर सर्वे भी कर सकते हैं. इसके लिए टीचर को भी आगे आना होगा. मुख्य अतिथि डिजास्टर मैनेजमेट ऑथोरिटी के वाइस चेयरमैन अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि जिंदगी में कई चिजें ऐसी होती है जिससे खुशी होती है. कभी भी कोई परिस्थिति आये घबराने नहीं अपने ऊपर विश्वास रखेें. मुझे पनिशमेंट के कारण डिजास्टर का काम सौंपा गया. पनिसमेंट को मैं चैलेंज लिया. 1997 में मुझे राजनीति कारण के कारण से डिजास्टर का पद भार सौंप गया. यहा उस समय कोई काम नहीं था. इसलिए मैं संगीत सिखने लगा. लेकिन, धीरे-धीरे काम करने लगा और मुझे अच्छा लगने लगा. उन्होंने डिजास्टर के बारे में बताते हुए कहा कि अर्थक्वेक में तीन तरीके से लोग रिएक्ट करते हैं. पहले में लोग फ्रिज कर जाते हैं. दूसरे में घबरा कर इधर-उधर भगने और छत से कूदने लगते हैं और तीसरे में लोग घबराते नहीं और बह बचाव के तरीके अपनाते हैं. डिजास्टर में थर्ड कैटेगरी सबसे बेस्ट है. अर्थक्वेक में बिल्डिंग गिरने के कारण ही लोग मरते हैं. अगर बिल्डिंग एंटी अर्थक्वेक बनायी गयी तो काफी बेहतर होगा. सुरक्षित रहने की जिम्मेदारी आप की भी बनती है. उन्होंने लोगों ने पूछा कि आज भी पैरेंट्स स्कूल मैनेजमेंट से सुरक्षा के बारे में प्रश्न नहीं करते. घर खरीदने वक्त भी एंटी अर्थक्वेक के बारे में नहीं पूछते, लोगों को इसके प्रति जागरूक होना होगा. उन्होंने कहा की आपदा से पहचे के लिए कॉमिक्स फॉर्म में किताब लायी गयी है. उन्होंने जागरूकता पर दो लड़कियों की कहानी भी स्टूडेंट्स को बतायी. इस मौके पर कॉलेज के प्राचार्य प्रो यूके सिन्हा, प्रो उदय कांत मिश्रा, प्रो अतुल आदित्य पांडेय के साथ कॉलेज के अन्य सभी टीचर व स्टूडेंट्स मौजूद थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें