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भागवत कथा में बही भक्ति की धारा

भागवत कथा में बही भक्ति की धाराफोटो है – कथा के दूसरे दिन धर्म और महाभारत के प्रसंगों पर हुई चर्चा- श्रोताओं को भारतीय कल्चर व कथा का महत्व बताया गयासंवाददाता, पटनागांधी मैदान का वातावरण इन दिनों भक्तिमय हुआ है. विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन […]

भागवत कथा में बही भक्ति की धाराफोटो है – कथा के दूसरे दिन धर्म और महाभारत के प्रसंगों पर हुई चर्चा- श्रोताओं को भारतीय कल्चर व कथा का महत्व बताया गयासंवाददाता, पटनागांधी मैदान का वातावरण इन दिनों भक्तिमय हुआ है. विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य देवकी नंदन ठाकुर ने कथा की महत्ता के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि हमें कथा को देखने नहीं बल्कि एक सच्चे श्रोता की तरह श्रवण करने आना चाहिए. भगवान की सच्ची भक्ति करने के लिए हमें अपनी सोच को सुंदर बनाना होगा. उन्होंने कहा कि कलयुग में मानव के सोचने की दिशा नकारात्मक हो गयी है, इसलिए उसे कष्टों से गुजरना पड़ता है. ऐसे में भागवत कथा ही लोगों को सत्कर्म की ओर ले जाती है. कथा के बीच में उन्होंने महाभारत प्रसंग को उठाते हुए कहा कि हमें अनावश्यक रूप से किसी पर कटाक्ष नहीं करना चाहिए. इसका उदाहरण उन्होंने द्रोपदी द्वारा दुर्योधन पर दिये गये कटाक्ष तू अंधा तेरा बाप भी अंधा के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि यही वजह थी कि महाभारत युद्ध हुआ. ठाकुर जी ने आज हमारे देश के युवा बच्चे संस्कृति और सभ्यता को भूलते जा रहे हैं, इसलिए जरूरी है कि माता-पिता अपने साथ अपने बच्चों को भी कथा सुनवाने में मदद करें. धर्म के बारे में बताया कि आजकल के बच्चे अगर अपने धर्म को नहीं जानेंगे, तो आने वाले समय में हमारा धर्म कमजोर पड़ जायेगा, इसलिए आवश्यक है कि युवा बच्चे धर्म के रास्ते पर चलें और दूसरों को भी इस रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करें.

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