देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद की जयंती ‘मेधा-दिवस’ के रूप मे मनायी जाये- जयंती समारोह में साहित्य सम्मेलन ने प्रस्ताव पारित कर की मांग पटना. देश के गौरव-पुरुष और भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जयंती ‘मेधा-दिवस’ के रूप में मनायी जाये. यह मांग गुरुवार को बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा देशरत्न की जयंती पर आयोजित समारोह में प्रस्ताव पारित कर उठाई गयी. सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त ने श्रद्धांजलि के क्रम में यह प्रस्ताव रखा, जिस पर सम्मेलन अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ की सहमति के साथ ही यह प्रस्ताव ध्वनि-मत से पारित किया गया.अपने अध्यक्षीय उद्गार में डॉ अनिल सुलभ ने कहा कि यह प्रस्ताव सर्वथा उचित है. देश में अनेक महापुरुषों के नाम से ‘बाल-दिवस’, ‘शिक्षक-दिवस’, ‘शिक्षा-दिवस’, ‘अभियंता-दिवस’, ‘समता-दिवस’, ‘शहीद-दिवस’ आदि अनेक दिवस श्रद्धापूर्वक मनाये जाते हैं. कहने की आवश्यकता नहीं है कि राजेन्द्र बाबू, जो बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के संस्थापकों में से एक तथा इसके अध्यक्ष भी रह चुके थे, अद्वितीय मेधा के विलक्षण महापुरुष थे. उनकी ही उत्तर-पुस्तिका का मूल्यांकन करते हुए, एक तत्कालीन परीक्षक ने ‘एक्जामिनी इज बेटर दैन एक्जामिनर’ जैसी अभूतपूर्व टिप्पणी लिखी थी. डॉ सुलभ ने कहा कि महात्मा गांधी के दर्शन को भारत के जिन अंगुली गण्य लोगों ने अपने जीवन का आधार बना लिया था, राजेन्द्र बाबू उनमें भी अग्रगण्य थे.‘सादा-जीवन और उच्च विचार’ के वे एक आदर्श और जीवंत उदाहरण थे. भारत में लोकतंत्र के जिस रूप की कल्पना गांधी जी ने की थी, उसे धरातल पर उतारने की वे निरंतर चेष्टा करते रहे. अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के प्रधानमंत्री आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव ने कहा कि राजेन्द्र बाबू एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनीति के आदर्श-पुरुष तो थे ही, एक बड़े साहित्य-सेवी भी थे. हिंदी-भाषा और साहित्य के अनन्य सेवी थे. उन्होंने अपनी आत्म-कथा समेत अनेक पुस्तकों की सर्जना भी की थी. वे हिंदी, संस्कृत, उर्दू, फ़ारसी और अंग्रेजी के अधीती विद्वान थे. आचार्य शिवपूजन सहाय ने लिखा है कि राजेन्द्र बाबू बिहारियों के ‘गृह-देवता’ की तरह थे, किंतु उनकी पूजा बिहार के बाहर ही अधिक थी. इस अवसर पर सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त, पं शिवदत्त मिश्र, हरेराम महतो, सच्चिदानंद सिन्हा, राज कुमार प्रेमी, आनंद किशोर मिश्र, सुरेश चन्द्र मिश्र, अरुण कुमार वर्मा, विपिन चौधरी, शंकर शरण मधुकर, प्रो सुशील झा, बांके विहारी साव, मोहन दूबे, अजय गुप्ता, हरेन्द्र चतुर्वेदी, ओम प्रकाश वर्मा, वीणा अम्बष्ठ, आर प्रवेश, पवन कुमार मिश्र तथा डा विजय कुमार सिन्हा ने भी अपने उद्गार व्यक्त किये. मंच का संचालन कवि योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन आचार्य आनंद किशोर शास्त्री ने किया.
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देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद की जयंती ह्यमेधा-दिवसह्ण के रूप मे मनायी जाये
देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद की जयंती ‘मेधा-दिवस’ के रूप मे मनायी जाये- जयंती समारोह में साहित्य सम्मेलन ने प्रस्ताव पारित कर की मांग पटना. देश के गौरव-पुरुष और भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जयंती ‘मेधा-दिवस’ के रूप में मनायी जाये. यह मांग गुरुवार को बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा देशरत्न की जयंती […]
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