पटना: उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर कांग्रेस की मंशा साफ नहीं है. वह कीमत वसूल कर ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगी. अगर दर्जा देना होता, तो बजट प्रस्ताव के समय ही मानदंड के निर्धारण के लिए कमेटी का गठन कर दिया जाता. केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जो बातें बजट भाषण में कही थीं, वहीं बातें दुहरा रहे हैं. वह जानते हैं कि यूपीए सरकार के कार्यकाल का अंतिम वर्ष है.
जो घोषणा होगी, वह लागू नहीं होगी. जब सभी दल सहमत हैं, तो कायदे से अब तक बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाना चाहिए था. यह बात तय है कि विशेष राज्य के दर्जा पर निर्णय लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में जो सरकार बनेगी, वही लेगी. मंगलवार को वह अपने आवास पर जनता दरबार के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे.
कहां है केंद्रीय विवि का मामला
उन्होंने कहा, लंबे संघर्ष के बाद केंद्र मानदंड बदलने पर राजी हुआ है. यह बिहार की जनता की जीत है. अगर विशेष दर्जा मिला, तो केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्य की हिस्सेदारी खत्म हो जायेगी. इससे बिहार को 7718 करोड़ की बचत हो जायेगी. उन्होंने कहा कि देश में 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है, वे भी केंद्र के दोहरे रवैये से परेशान हैं.
राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति के हैसियत से जून के प्रथम सप्ताह में उन राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक शिलांग में बुलायी है. उसमें उनकी समस्याओं पर चर्चा होगी. उन्होंने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट ने कई माह पहले मोतिहारी व गया में केंद्रीय विवि की स्थापना करने का निर्णय लिया था, लेकिन आज तक अधिनियम में संशोधन नहीं किया. मॉनसून सत्र के बाद केंद्र का जाना तय है. इसे बिहार के साथ छलावा नहीं और तो क्या कहेंगे. श्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस के सहयोगी दल एक-एक कर उसका साथ छोड़ रहे हैं. अब वह नया सहयोगी तलाश रही है, लेकिन उसे बिहार में दाल नहीं गलनेवाली है.