दोनों शायर एक मंच पर एक-दूसरे पर शब्दों के वार-पलटवार करेंगे. वहीं अपनी शायरी से आपको कभी दोस्ती, कभी दुश्मनी तो कभी देश की सरहदों तक की यात्रा करायेंगे. जीवन में प्रेम और मां की ममता को मुनव्वर राणा से बेहतर कौन आपसे साझा कर सकेगा. वहीं अपनी अनूठी अदायगी, बुलंद आवाज से मुशायरे को नयी पहचान देनेवाले राहत इंदौरी को देखना-सुनना आपके लिए यादगार होगा. राहत की शायरी उनके नाम के अर्थ के अनुरूप सुकून देनेवाली है, तो मुनव्वर भी अपने नाम के जैसे मंच को प्रकाशवान करते हैं. शायरी को हिंदुस्तान में इन दोनों शायरों ने ही आम आदमी तक पहुंचाया है.
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प्रभात खबर का विशेष आयोजन, कल आप रू-ब-रू होंगे मुनव्वर राणा व राहत इंदौरी से
पटना. शुक्रवार की शाम शहरवासियों के लिए प्रकाशवान व सुकून देनेवाली होगी. हल्की-हल्की ठंडी हवा के झोंके में आप मुशायरे की महफिल का लुत्फ ले सकेंगे. देश के दो बड़े शायर मुनव्वर राणा व राहत इंदौरी पटना से रूबरू होंगे. प्रभात खबर यह आयोजन कर रहा है. एसके मेमोरियल हॉल इसका साक्षी बनेगा. समय शाम […]
पटना. शुक्रवार की शाम शहरवासियों के लिए प्रकाशवान व सुकून देनेवाली होगी. हल्की-हल्की ठंडी हवा के झोंके में आप मुशायरे की महफिल का लुत्फ ले सकेंगे. देश के दो बड़े शायर मुनव्वर राणा व राहत इंदौरी पटना से रूबरू होंगे. प्रभात खबर यह आयोजन कर रहा है. एसके मेमोरियल हॉल इसका साक्षी बनेगा. समय शाम 6.30 बजे. इस आयोजन की विशेषता या खूबसूरती यह है कि इसमें सिर्फ दो शायर मंच पर होंगे, मुनव्वर और राहत. दोनों ही अपने आप में बड़े नाम हैं. दर्शकों को भी ऐसा महसूस होगा कि वे सीधे अपने प्रिय शायरों से जुड़े हुए हैं.
दिल पर दस्तक देते हैं मुनव्वर
ये ऐसा कर्ज है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मैं जब तक घर ना लौटूं मेरी मां सजदे में रहती है. यह शेर है उस शायर की, जिसे शायरों की दुनिया में मुनव्वर राणा के नाम से जाना जाता है. मां के नाम पर कही गयी शायरियों के दम पर हर आम और खास शायरी के शौकिनों के दिलों पर राज करने वाले मुनव्वर का जन्म यूपी के रायबरेली में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने जीवन के ज्यादातर बसंत कोलकाता में ही देखा है. बहुत कम ही लोग जानते हैं कि देश विभाजन के वक्त मुनव्वर के ज्यादातर रिश्तेदार पाकिस्तान चले गये थे, लेकिन मुनव्वर के पिता ने यही पर रहने का निश्चय किया. ऊर्दू लिटरेचर के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हो चुके मुनव्वर को मिलने वाले पुरस्कारों की सूची बहुत लंबी है.
राहत इंदौरी की है अलग पहचान
इंदौर के रहने वाले राहत इंदौरी प्रमुख उर्दू शायर और हिंदी फिल्मों के गीतकार हैं. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक रह चुके राहत इंदौरी ने शुरुआती दौर में इंदौर में उर्दू साहित्य का अध्यापन किया था. उस दौरान उनकी गिनती अच्छे व्याख्याता के रूप में होती थी. फिर बीच में वो मुशायरा में व्यस्त हो गए और देश के साथ विदेशों से निमंत्रण आने लगा. उनकी अनमोल क्षमता, कड़ी लगन और शब्द कला की एक विशिष्ट शैली थी, जिसने बहुत जल्दी इन्हें बहुत अच्छी तरह से जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया. राहत इंदौरी ने बहुत जल्दी लोगों के दिलों में अपने लिए एक खास जगह बना लिए थे और तीन-चार साल में ही कविता की खुशबू ने उन्हें उर्दू साहित्य की दुनिया में प्रसिद्ध कर दिया.
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