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इन कमरों में कैसे होगी पढ़ाई

पटना: राजधानी में शिक्षा दिवस समारोह चल रहा है. समारोह में शिक्षा के क्षेत्र में हुए सुधार पर चर्चा हो रही है. पुरस्कार वितरण व व्याख्यान का सिलसिला जारी है. विभिन्न जिलों से आये प्रतिभावान छात्र समारोह में अपनी प्रतिभा का परिचय दे रहे हैं. इससे इतर राजधानी के कई स्कूलों के बच्चे कुंठित हैं. […]

पटना: राजधानी में शिक्षा दिवस समारोह चल रहा है. समारोह में शिक्षा के क्षेत्र में हुए सुधार पर चर्चा हो रही है. पुरस्कार वितरण व व्याख्यान का सिलसिला जारी है. विभिन्न जिलों से आये प्रतिभावान छात्र समारोह में अपनी प्रतिभा का परिचय दे रहे हैं. इससे इतर राजधानी के कई स्कूलों के बच्चे कुंठित हैं. उन्हें अफसोस है कि उनके विद्यालय में आधारभूत संरचना की कमी है.

बैठने के लिए बेंच नहीं है. भवनों की हालत ऐसी है कि अचानक ही छत व दीवार दरक कर गिरने लगते हैं. इस कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन करें भी तो क्या? यह स्थिति शास्त्री नगर मध्य विद्यालय, दयानंद मध्य विद्यालय मीठापुर, उच्च विद्यालय टीके घोष व मध्य विद्यालय धीरा चक की है, जहां बच्चे बरामदे पर बैठ पढ़ाई करने को विवश हैं.

देख-रेख नहीं
शास्त्रीनगर कन्या मध्य विद्यालय और बालक मध्य विद्यालयों की स्थापना 1971 में हुई है. 42 साल से विद्यालयों की मरम्मत नहीं होने के कारण ऐसी स्थिति हुई है. प्राचार्यो का कहना है कि विद्यालय जजर्र हालत में हैं. विद्यालय ने अपने स्तर पर मरम्मत कार्य कराया है. बृहत कार्य के लिए भवन निर्माण विभाग को लिखा गया है. टीके घोष स्कूल के छात्र सुनील ने बताया कि अचानक ही छत का टुकड़ा गिरने लगता है. जहां अधिक गड़बड़ी है, वहां पर सर बैठने से मना करते हैं. मध्य विद्यालय धीराचक, अनिसाबाद की मुक्ता कहती है कि कमरे बिना खिड़की व दरवाजे के हैं. गरमी में धूप, धूल व बारिश से परेशानी होती है.

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