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सिंगल विंडो सिस्टम से तुरंत मिलेगी पेंशन

– नरेंद्र – – राज्य सरकार ने सरकारी सेवा से रिटायर होनेवाले पेंशनकर्मियों के लिए बनायी योजना – बिहार बनेगा रोल मॉडल – वित्त विभाग व बैंक प्रबंधन की बैठक में निर्णय पटना : राज्य सरकार ने सरकारी सेवा से रिटायर होने वाले कर्मियों को पेंशन संबंधी मामलों का निबटारा सिंगल विंडो सिस्टम से करने […]

– नरेंद्र –

राज्य सरकार ने सरकारी सेवा से रिटायर होनेवाले पेंशनकर्मियों के लिए बनायी योजना

– बिहार बनेगा रोल मॉडल

– वित्त विभाग बैंक प्रबंधन की बैठक में निर्णय

पटना : राज्य सरकार ने सरकारी सेवा से रिटायर होने वाले कर्मियों को पेंशन संबंधी मामलों का निबटारा सिंगल विंडो सिस्टम से करने का फैसला लिया है. देश में पहली बार बिहार में इस सिस्टम को लागू किया जा रहा है.

इसका मकसद पेंशन संबंधी सभी प्रकार के मामलों यानी पेंशन की स्वीकृति निकासी तथा निर्धारण का काम एक ही जगह से करना है.

इस व्यवस्था का फायदा यह होगा कि रिटायरमेंट के बाद कर्मियों को पेंशन स्वीकृति के लिए महालेखाकार, ट्रेजरी और बैंक की शाखाओं का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. यह फैसला हाल ही में बैंक प्रबंधन वित्त विभाग के अधिकारियों की बैठक में फैसला लिया गया है.

नयी व्यवस्था : सरकार ने जो नयी व्यवस्था की है उसके अनुसार महालेखाकार कार्यालय से स्वीकृति संबंधी पत्र को अपने यहां रजिस्टर मेंटेन कर सीधे एसबीआइ के अंटा घाट स्थित कार्यालय को भेजा जायेगा.

स्टेट बैंक पटना की किसी शाखा को नोडल ब्रांच चिह्न्ति करेगा और वही ब्रांच भुगतान करने वाली शाखा को भुगतान का आदेश देगा. इससे पेंशन स्वीकृत होने के बाद प्रक्रिया में जो तीनचार माह का समय लगता था,वह बच जायेगा. एक माह के अंदर रिटायर होने वाले कर्मचारियों को पेंशन मिलनी शुरू हो जायेगी.

सरकार को यह फायदा होगा कि पेंशन का हिसाब पटना के नोडल ब्रांच से ही मिल जायेगा.अलगअलग शाखाओं से हिसाब लेने की जरूरत नहीं होगी. पुराने पेंशनरों के मामले में सरकार को प्रक्रियात्मक कार्रवाई में बचत होगी. इस मामले में भी सरकार को एक ही जगह से हिसाब मिल जायेगा.

वर्तमान व्यवस्था : वर्तमान व्यवस्था के अनुसार सेवानिवृत्त सरकारी सेवक के पेंशन की स्वीकृति महालेखाकार कार्यालय करता है और वह पीपीओ निर्गत कर ट्रेजरी को भेजता है. अगर कोई कर्मी पटना से रिटायर्ड होता है और वह पेंशन एसबीआइ, खगड़िया की किसी शाखा से लेना चाहता है तो ट्रेजरी पेंशन स्वीकृति आदेश को अपने यहां मेंटेन कर वहां स्थित नोडल ब्रांच को इसकी सूचना देता था.

नोडल ब्रांच पटना के अंटा घाट भेजता था और वहां से उसकी स्वीकृति मिलती थी. इसके बाद भुगतान करने वाली शाखा को भुगतान के लिए आदेश जारी होता था. इस तरह से प्रक्रिया लंबी हो जाती थी.

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