महाराजगंज उपचुनाव
छपरा : बिहार के महाराजगंज संसदीय क्षेत्र में आगामी दो जून को होने वाले उपचुनाव के लिए प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी राजद और कांग्रेस के उम्मीदवारों ने आज अपना-अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. सारण जिला मुख्यालय छपरा के समाहरणालय सभागार पहुंचकर राजद उम्मीदवार प्रभुनाथ सिंह ने आज में जिला निर्वाचन पदाधिकारी अभिजीत सिन्हा के समक्ष अपना नामांकन पत्र दाखिल किया.
इस अवसर पर समाहरणालय परिसर में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी भी उपस्थित थे. वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार और महाराजगंज सीट से दिवंगत सांसद उमाशंकर सिंह के पुत्र जितेंद्र स्वामी ने प्रदेश जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज भारद्वाज की उपस्थिति में आज अपना नामांकन पत्र दाखिल किया.
प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी जदयू उम्मीदवार और बिहार के शिक्षा मंत्री पीके शाही ने कल अपना नामंकन पत्र दाखिल किया था. इस उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 मई है और दाखिल नामांकन पत्रों की जांच 16 मई को की जाएगी, जबकि नाम वापस लेने की तारीख 18 मई निर्धारित की गयी है. इस उपचुनाव के लिए मतदान दो जून को होगा और मतों की गणना 5 जून को होगी.
महाराजगंज संसदीय क्षेत्र में सारण एवं सीवान जिले के कुल छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इसमें सारण के चार विधानसभा क्षेत्र बनियापुर, एकमा, तरैया एवं मांझी तथा सीवान जिले के दो विधानसभा क्षेत्र गोरिया कोठी एवं महाराजगंज शामिल हैं. गौरतलब है कि महाराजगंज से राजद सांसद उमाशंकर सिंह के आकस्मिक निधन से इस क्षेत्र में उपचुनाव कराये जा रहे है.
दिवंगत राजद सांसद उमाशंकर सिंह के पुत्र जितेंद्र स्वामी के चुनावी मैदान में उतरने से यह उपचुनाव अब त्रिकोणीय होता दिख रहा है, क्योंकि जहां स्वामी दिवंगत सांसद के पुत्र हैं. वहीं, वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में उमाशंकर के हाथों पराजित हुए तत्कालीन जदयू उम्मीदवार प्रभुनाथ सिंह पूर्व में तीन बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, जबकि जदयू उम्मीदवार पीके शाही प्रदेश के शिक्षा मंत्री हैं.
स्वामी को कांग्रेस द्वारा अपना उम्मीदवार बनाया जाना जहां एक तरफ कांग्रेसनीत केंद्र की संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे राजद की चिंता बढा दी है. वहीं, दूसरी तरफ जदयू के टिकट पर पूर्व में उक्त सीट से चुनाव लड चुके प्रभुनाथ सिंह को राजद द्वारा अपना उम्मीदवार बनाए जाने से प्रदेश की सत्ताधारी दल जदयू के लिए जीत राह आसान नहीं दिख रही. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज चल रहे प्रभुनाथ सिंह जदयू छोडकर राजद में शामिल हो गए थे.