पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा के वरीय नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पाकिस्तान जाने की जरूरत ही क्यों पड़ी. पाकिस्तानी अखबार डान में चुनावी विज्ञापन देने का मकसद किन लोगों के जरिए राजनीतिक मदद पाना था . मामला उजागर होने के बाद विज्ञापन वापस क्यों लिया गया . नीतीश कुमार कोई संयुक्त राष्ट्र के शांतिदूत तो हैं नहीं, फिर उनकी विदेश यात्र से लेकर विज्ञापनों तक का उद्देश्य वोटबैंक की राजनीति के अलावा क्या हो सकता है .
ऐसे कई सवालों पर जनता जवाब चाहती है. श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद ने बिहार में 25 साल तक राज किया, लेकिन अल्पसंख्यकों की तालीम और तरक्की के लिए कोई काम नहीं किया. वे केवल भाजपा का भय दिखाकर वोट लेते रहे. 1989 में कांग्रेस के शासन में भागलपुर में भीषण दंगा हुआ.
बाद में लालू प्रसाद ने दंगाइयों को संरक्षण दिया. नीतीश कुमार ने दंगा के लिए जिम्मेवार कांग्रेस और आरोपियों को संरक्षण देने वाले लालू प्रसाद, दोनों से हाथ मिला लिये. क्या इन गुनाहों पर जज्बाती पर्दा डालने के लिए पाकिस्तानी अखबार में विज्ञापन दिया गया .
भाजपा नेता ने कहा कि 2005 में एक ही कार्यक्रम के दौरान एक ही मंच से लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने की वकालत की थी. जब सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसद से अधिक आरक्षण पर रोक लगा रखी है, तब दलितों–पिछड़ों के आरक्षण कोटे में कटौती किये बिना मुसलमानों–ईसाइयों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता. दलितों–पिछड़ों के साथ लालू–नीतीश का यह विश्वासघात सामने आ गया है. भाजपा न दलितों–पिछड़ों की हकमारी होने देगी, न किसी को धार्मिक आधार पर आरक्षण लागू करने देगी.
श्री मोदी ने कहा कि
चुनावी फायदे के लिए लालू प्रसाद ने गोमांस खाने का समर्थन किया और दादरी में हत्या के एक मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की. ये मुद्दे भाजपा ने नहीं उठाये.
भाजपा की सरकार बनी तो बिहार में गोहत्या पर रोक के लिए कड़ा कानून बनायेंगे, जिसमें 1 लाख रुपये के जुर्माने और 10 साल तक कैद की सजा का प्रावधान होगा. भाजपा गोवंशीय पशुओं की रक्षा को संस्कृति से जोड़कर देखती है.