पटना: स्वास्थ्य विभाग का खाद्य सुरक्षा प्राधिकार पूरी तरह शिथिल बना हुआ है. छापेमारी के लिए न गाड़ी है और न पर्याप्त अफसर. अफसरों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है, लेकिन उनकी बहाली हो ही नहीं रही है. अगर यही स्थिति रही, तो वह दिन दूर नहीं, जब पूरी तरह विभाग खाली हो जायेगा. खासकर डीओ पद को लेकर ऊहापोह बनी हुई है. सूत्रों की मानें तो 2016 तक सभी डीओ रिटायर्ड हो जायेंगे.
एक के पास तीन प्रमंडल
दरअसल स्वास्थ्य विभाग के शाखा खाद्य सुरक्षा प्राधिकार पर ही राज्य के लोगों तक शुद्ध खाद्य पदार्थ पहुंचाने की पूरी जिम्मेवारी है. इस समय खाद्य सुरक्षा प्राधिकार में पूरे बिहार में चार अभिहित पदाधिकारी (डीओ) हैं. वैसे तो यह पद वरीय अधिकारी के लिए है, लेकिन इन पदों पर चारों अधिकारियों को फूड इंस्पेक्टर का वेतन दिया जा रहा है. साथ ही हर डीओ के पास तीन प्रमंडल का प्रभार हैं.
बंद करनी पड़ेगी शाखा
खाद्य सुरक्षा प्राधिकार में जो डीओ हैं, वे भी लाचार ही हैं. क्योंकि, उनके पास न तो छापेमारी के लिए गाड़ी है और न ही जांच के लिए लैब. पहले इनको टीए व डीए भी मिलता था, लेकिन अब उसे भी बंद कर दिया गया है. इस कारण छापेमारी भी बंद हो गयी है और 2016 तक सभी डीओ रिटायर्ड हो जायेंगे. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को अपनी इस शाखा को बंद करना ही पड़ेगा.
स्वीकृत फाइल खो गयी
जानकारी के मुताबिक कैबिनेट से पदाें के सृजन की स्वीकृति मिलने के बाद भी अब तक इन पदों पर बहाली नहीं हो पायी है. स्वीकृति के बाद विभागों के चक्कर में फाइल इधर-से-उधर भटक रही है. इसी वजह से अभी फाइल कहां है, इसकी जानकारी किसी को नहीं है.
यह है नियम
खाद्य सुरक्षा प्राधिकार एक्ट के मुताबिक हर जिले में एक डीओ और एफएसओ को रखना है, जो ब्लॉक स्तर पर काम कर सके. सूत्रों की मानें तो एक्ट को दरकिनार कर इस शाखा को बस नाम के लिए चलाया जा रहा है.
चुनाव का बहाना बनाया
ऐसी बात नहीं है. वह डीओ के पद पर ही हैं. पहले कुछ संरचना तैयार हो, उसके बाद सारा काम खुद गति पकड़ लेगा. चुनाव के बाद खाद्य सुरक्षा प्राधिकार को बेहतर किया जायेगा. पदों पर बहाली की प्रक्रिया पूरी हो गयी है और इसके बाद इनको काम करने में भी परेशानी नहीं होगी.
– रजनीश कुमार, प्रशासी पदाधिकारी, स्वास्थ्य समिति