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निर्णायक दौर में विशेष दर्जा

मुख्यमंत्री ने सोमवार को एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा उठाया. एक तरफ उन्होंने कहा कि इसे राजनीतिक चश्मे से देखना नासमझी होगी, तो वहीं दूसरी ओर उन्होंने वित्त आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिख कर बिहार पर विशेष ध्यान देने का अनुरोध किया है. इस बीच दिल्ली में […]

मुख्यमंत्री ने सोमवार को एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा उठाया. एक तरफ उन्होंने कहा कि इसे राजनीतिक चश्मे से देखना नासमझी होगी, तो वहीं दूसरी ओर उन्होंने वित्त आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिख कर बिहार पर विशेष ध्यान देने का अनुरोध किया है. इस बीच दिल्ली में योजना आयोग के साथ बैठक होने जा रही है, जिसमें राज्य के वार्षिक योजना आकार व विशेष योजनाओं पर विचार होगा.

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा का मामला रोचक से अब निर्णायक दौर में आ पहुंचा है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने इसके मानकों में बदलाव के लिए कमेटी बनाने की घोषणा की है. शनिवार को पटना में उनकी घोषणा के बाद विशेष दर्जे को लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए. मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि यदि वर्तमान सरकार में यह फैसला नहीं होता है, तो 2014 के लोकसभा चुनाव में हम इसे मुद्दा बनायेंगे.

भाजपा का नाम लिये बिना मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्त मंत्री की घोषणा के बाद यदि किसी नेता या दल को इसमें राजनीति दिखती है, तो यह उनकी समझ की चूक है. गलतफहमी है. जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री विशेष दर्जे को लेकर पूरे विश्वास में दिखे. कहा, पिछड़ेपन को आधार बनाते हुए बननेवाली इस कमेटी का टर्म्स ऑफ रिफरेंस क्या होगा, हम इसका इंतजार कर रहे हैं. राष्ट्रीय औसत से पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा देने की मांग हम शुरू से करते रहे हैं. अगर मानदंड बदलता है, तो बिहार सहित अन्य पिछड़े राज्यों को भी लाभ होगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास में राजनीति नहीं होनी चाहिए. विशेष दज्रे की लड़ाई राजनीतिक नहीं, बल्कि सार्वजनिक मुद्दा है. यह दल विशेष का नहीं, बल्कि बिहार के लोगों की इच्छा है. बिहार की सवा करोड़ जनता ने हस्ताक्षर किये थे. बच्चे-बच्चे की जुबान पर यह मुद्दा है. राज्यहित के मुद्दे पर गांधी मैदान के बाद नयी दिल्ली के रामलीला मैदान में अधिकार रैली से यह प्रकट हो गया था. जहां तक कांग्रेस को लेकर राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं, तो यह लोगों के मन का प्रश्न है. आखिर केंद्र में जो सरकार है, उसके सामने ही तो हम अपनी बात उठायेंगे. अगर सकारात्मक पहल होती है, तो धन्यवाद भी कहेंगे. हम विकास के अधिकार की बात कर रहे हैं.

हमें शिष्टाचार निभाना आता है
केंद्रीय वित्त मंत्री को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम तक पहुंचाने से उठ रहे सवालों को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, हमें शिष्टाचार निभाना आता है. वित्त मंत्री हमारे मेहमान थे और हम मेजबान. हेलीकॉप्टर की बैटरी डिस्चार्ज होने के कारण राजगीर से पटना सड़क मार्ग से आने की विवशता हुई. अगर वह मेरे साथ नहीं आते, तो उनका विमान छूट जाता. सदाकत आश्रम जाने की इच्छा जतायी, तो उन्हें वहां से छोड़ते हुए एयरपोर्ट आया. मेजबानी नहीं करता, तो शिकायत होती.

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