पटना: पटना हाइकोर्ट ने आइएएस अधिकारी राजेश कुमार पर सीडीपीओ रश्मि सिंह का यौनशोषण करने संबंधी आरोपों पर चार सप्ताह में जवाब मांगा है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के आवेदन पर लिये गये निर्णय की भी जानकारी मांगी है.
न्यायाधीश जेएन सिंह के कोर्ट में सोमवार को इस मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने सरकार से कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट विशाखा बनाम राजस्थान सरकार मामले में जांच प्रक्रिया निर्धारित कर चुका है, तो किस परिस्थिति में अब तक याचिकाकर्ता के आवेदन पर आरोपित अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू नहीं की गयी. कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि वह कितने दिनों में जांच पूरी कर लेगी.
शिकायतकर्ता को ही कर दिया निलंबित
मामला 2009 का है, जब राजेश कुमार आइसीडीएस में निदेशक के पद पर कार्यरत थे और शिकायतकर्ता रश्मि सिंह दानापुर की सीडीपीओ थी. रश्मि सिंह के पति डॉ अमिताभ इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में कार्यरत हैं. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि राजेश सिंह की उन पर बुरी नजर थी और वह ईल हरकत भी करते थे. इसकी शिकायत उन्होंने आलाधिकारियों को की. कमेटी भी बनी, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. जबकि, राजेश कुमार ने अपने पद का इस्तेमाल करते हुए उन्हें निलंबित करवा दिया. पति की मेडिकल डिग्री की जांच करवायी.
पत्नी ने भी मढ़े थे आरोप
याचिकाकर्ता ने कोर्ट के समक्ष राजेश कुमार की पत्नी की शिकायत का भी ब्योरा दिया, जिसमें उन्होंने अपने पति पर मनचला होने का आरोप लगाया है. पत्नी ने कहा कि वह एक बच्चे की मां है. इसके बाद भी राजेश कुमार उस पर तलाक का दबाव बना रहे हैं. कोर्ट को बताया गया कि राजेश कुमार के विरुद्ध कई महिलाओं व कर्मचारियों ने गवाही दी है. गवाहों का कहना था कि निदेशक से बात करने के बाद रश्मि सिंह काफी परेशान थी. शिकायतकर्ता ने आइएएस अधिकारी पर रिश्वत मांगने का भी आरोप लगाया है. कहा, मेरी शिकायत पर कमेटी बनी, पर राजेश सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी. उलटे मेरे ऊपर ही कार्रवाई कर दी गयी.