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मोदी और शाह की होगी हार आडवाणी के छूटेंगे पटाखे : संजय सिंह
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि बिहार चुनाव के परिणाम के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ये तय करें कि वो आठ नवंबर को अपने पद से इस्तीफा दे देंगे क्या? आठ नवंबर को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का जन्मदिन है. उनके घर […]
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि बिहार चुनाव के परिणाम के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ये तय करें कि वो आठ नवंबर को अपने पद से इस्तीफा दे देंगे क्या? आठ नवंबर को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का जन्मदिन है.
उनके घर दिवाली जरूर मनेगी, क्योंकि जिस तरह से उनको जीवन के अंतिम पड़ाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें परेशान किया है उस दिन इन दोनों की हार होगी और आडवाणी जी के घर पटाखे फूटेंगे.
संजय सिंह ने केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह से पूछा है कि बिहार के गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान वे कब करवा रहे हैं. देश के निजी चीनी मिल मालिकों को सस्ता कर्ज और दूसरी सहायता तत्परता से दिलवाले वाले केन्द्रीय कृषि मंत्री बिहार के गन्ना किसानों का बकाया भुगतान करवाने के मामले में क्यों पीछे हट रहे हैं?
राधामोहन सिंह के लिए किसानों का मतलब िसर्फ वोट है. केन्द्र में सरकार बनाने के बाद तीन-तीन फसल चक्र बीत गये, लेकिन हर बार न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुद्दे पर किसानों को धोखा दिया.
वायदा किया था कि कृषि लागत पर 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करेंगे. राज्य सरकार जो अलग से बोनस देती थी, उसको लेकर भी राज्य सरकार जो अलग से बोनस देती थी. उसको लेकर भी राज्य सरकारों को चेतावनी दी और बोनस रुकवाने का प्रयास किया.
केन्द्र सरकार की किसान विरोधी नीति के कारण घाटा झेल रहे और कर्जे के दुष्चक्र में फंसे किसान बड़ी संख्या में आत्महत्या करते जा रहे हैं. देश का एक नंबर का कृषि उत्पादक राज्य रहा पंजाब आज 11 वें पायदान पर आ गया है.
लगभग सभी भाजपा शासित राज्यों में किसान तेजी से आत्महत्या कर रहे हैं. अकेले मध्यप्रदेश में ही आठ दिनों में 35 किसानों ने जान दे दी है, लेकिन किसानों की समस्याएं निबटाने के लिए इन्हें फुर्सत नहीं है. पिछले चार महीने से सभी सरकारी कामकाज छोड़कर ये बिहार में पड़े हैं. जमाखोर पूंजीपतियों से साठगांठ करके दाल की कीमत इतनी बढ़ा दी कि आम आदमी खरीद ही न सके.
किसानों से तो सस्ते में दाल ले ली गयी, लेकिन वही किसान आज खाने के लिए दाल महंगा खरीदने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा शासित मध्य प्रदेश में लगातार तीसरे साल सोयाबीन की फसल बरबाद हो गयी है. इस बार 60 प्रतिशत तक किसानों का नुकसान हुआ है. उनकी चिंता न ही राज्य सरकार कर रही है और न ही केन्द्र सरकार.
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