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वोट डालने को एफआइआर किया, फिर भी नहीं नाम जुड़ा

वोट डालने को एफआइआर किया, फिर भी नहीं नाम जुड़ा वोट डालने को एफआइआर किया, फिर भी नहीं नाम जुड़ापटना. वोटर पहचान पत्र तो है, पर वोट नहीं डालने दिया गया. हर बार अपना नाम वोटर लिस्ट में खोजते हैं और हर बार गायब ही मिलता है. राजेंद्र नगर के रहने वाले जगदीश कुमार पिछले […]

वोट डालने को एफआइआर किया, फिर भी नहीं नाम जुड़ा वोट डालने को एफआइआर किया, फिर भी नहीं नाम जुड़ापटना. वोटर पहचान पत्र तो है, पर वोट नहीं डालने दिया गया. हर बार अपना नाम वोटर लिस्ट में खोजते हैं और हर बार गायब ही मिलता है. राजेंद्र नगर के रहने वाले जगदीश कुमार पिछले तीन बार से वोट नहीं दे पा रहे हैं. वोट देने के अधिकार को लेकर उन्होंने कदमकुुंआ थाने में 2013 में एफआइआर की, सूचना के अधिकार के तहत जानकारी भी मांगी. तब 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नाम डालने का आश्वासन मिला, पर अफसोस इस बार भी मौका नहीं मिला. पेशे से वकील और बिहार इंकमटैक्स बार एसोसिएशन के महासचिव जगदीश कुमार ने कहा कि 2010 में मुझे बताया गया था कि तकनीकी गलती के कारण वोटर लिस्ट में नाम हट गया और कहा गया था कि अबकी जुड़ जायेगा, पर इस बार भी नहीं दे पाये. एंकर स्टोरी -1 डेढ़ लाख खर्च कर सात समंदर पार से वोट देने आये, पर लिस्ट से नाम ही गायब- इंडोनेशिया से आये आशीष अभिषेक वोटर लिस्ट में नहीं था नाम संवाददाता, पटनाबिहार में विकास हो, शिक्षा में सुधार हो, ऐसी सरकार आये, जिससे बिहार आगे बढ़े. कुछ यही सोचकर आशीष अभिषेक सात समंदर पार कर वोट देने आये थे. इंडोनेशिया में कोल माइंस में इंजीनियर आशीष अभिषेक का नाम वोटर लिस्ट में था ही नहीं. अभिषेक ने बताया कि आने-जाने में डेढ़ लाख रुपये का खर्च है, फिर भी वोट नहीं दे पाया. राजेंद्र नगर के रहने वाले आशीष अभिषेक ने बताया कि 2013 में भी लोकसभा चुनाव और 2010 में बिहार विधानसभा चुनाव में भी वोट डाला था, पर इस बार मेरा नाम ही नहीं है. मोइनुलहक स्टेडियम के 61 बूथ नंबर पर आशीष अभिषेक सुबह 6 बजे ही आ गये थे, पर वोट नहीं डाल पाये. डीएम ऑफिस से भी आ गया वापस :तीसरे चरण के मतदान में शामिल होने के लिए आशीष 24 को ही पटना आ गये थे. यहां आते ही जिला प्रशासन आॅफिस से संपर्क किया. वहीं पता चला कि नाम जुड़वाने की अंतिम तारीख आशीष अभिषेक ने बताया कि जिला प्रशासन ऑफिस से पता चला कि नाम जुड़वाना होगा, पर अंतिम तिथि 7 अक्तूबर तक ही थी. फिर भी मुझे लगा था कि शायद नाम हो, पर नहीं दे पाया. उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी श्वेता अभिषेक का नाम है, उसका भी नाम श्वेता अभिषेक के बदले श्वेता विश्वास कर दिया गया है. 73 वर्षीय विनोद मिश्र बन गये 21 साल के पटना. चुनाव आयोग ने भले सुधार करने की कोशिश की, पर इस बार भी कई मतदाता परेशान हुए. कई तो दूसरे के सामने मजाक बन गये. चुनाव आयोग की गलती के कारण राजेंद्र नगर के रहने वाले विनोद कुमार की ना सिर्फ जाति बदल गयी, बल्कि 15 साल पहले रिटायर हो चुके विनोद को 21 साल का युवा बना दिया गया. विनोद कुमार ने बताया कि मेरे पिता का नाम बनसंरक्षण मिश्रा है, पर वोटर कार्ड में मेरा नाम विनोद कुमार और पिता का नाम बंषर दास कर दिया है, चुनाव आयोग ने मेरी जाति भी बदल डाली.

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