नेहरू को वोट करनेवाले निजामुद्दीन लोकतंत्र से खुश नहींसिंगोड़ी में हिन्दू-मुसलिम एकता की मिसाल लोकतंत्र के इस महापर्व में भी रही कायमसंवाददाता, कौशिक रंजन, पालीगंजपालीगंज विधानसभा का सिंगोड़ी एक ऐसा गांव हैं, जहां हिन्दू आबादी अल्पसंख्यक है. वाबजूद इसके यहां भाईचारे की मिसाल इस लोकतंत्र के महापर्व में भी नहीं दरक पायी. करीब तीन हजार घरवाले इस गांव के बीचो-बीच स्थित मदरसा में 218 नंबर बूथ स्थित है. इस बूथ पर भारतीय लोकतंत्र का लंबे समय तक गवाह बने 80 वर्षीय मो निजामुद्दीन ने भी बुधवार को अपने मत का उपयोग किया. उम्र ने भले ही शरीर का साथ छोड़ दिया है, परंतु हौसला इतना मजबूत कि जवान भी इनके हौसले के सामने पस्त हो जाये. मो निजामुद्दीन बताते है कि पहली बार उन्होंने नेहरू जी को वोट किया था, उस समय देश को गढ़ने का जज्बा हर युवा मन में कौंद रहा था. इसके बाद लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी बाजपेयी जैसे तमाम हस्तियों को वोट करने की यादें उनके जेहन में तरो-ताजा है. लेकिन, हाल के कुछ वर्षों में लोकतंत्र की हालत और एवं स्थिति से वे काफी क्षुब्ध दिखे. उनका कहना है कि हाल के दशकों में नेताओं ने देश की क्या दुर्गति कर दी है, हालत बदतर हो गये है. कानून-व्यवस्था की हालत बेहद खराब हो गयी है. परंतु वे जब अपने राज्य की बात करते है, तो राहत महसूस करते है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में उन्हें कॉलोनी (इंदिरा आवास) दी, पेंशन दी और तमाम जन सरोकार से जुड़ी सुविधाएं मुहैया करायी. जिनके वे कायल है. उन्हीं काम से इंप्रेस होकर वे राज्य सरकार के साथ बने रहना चाहते है. हालांकि उनकी कुछ समस्याएं है, जिन पर खुल कर बात नहीं करते है. पुनपुन नदी के किनारे बसे इस गांव में मजहबी एकता को चुनाव जैसे संवेदनशील पर्व भी नहीं दरका पाये. सभी ने अपने-अपने मत और अभिमत के अनुसार अपने-अपने उम्मीदवारों को वोट किया है. चुनावी मतभेद हो सकते है, लेकिन मनभेद नहीं हो सकता कभी.
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नेहरू को वोट करनेवाले निजामुद्दीन लोकतंत्र से खुश नहीं
नेहरू को वोट करनेवाले निजामुद्दीन लोकतंत्र से खुश नहींसिंगोड़ी में हिन्दू-मुसलिम एकता की मिसाल लोकतंत्र के इस महापर्व में भी रही कायमसंवाददाता, कौशिक रंजन, पालीगंजपालीगंज विधानसभा का सिंगोड़ी एक ऐसा गांव हैं, जहां हिन्दू आबादी अल्पसंख्यक है. वाबजूद इसके यहां भाईचारे की मिसाल इस लोकतंत्र के महापर्व में भी नहीं दरक पायी. करीब तीन हजार […]
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