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ब्लैक मनी को व्हाइट कर रहे व्यवसायी
गोरखधंधा. हवाला के कारोबार में जुड़े हैं सूबे के व्यवसायी, आयकर और इडी की है नजर कौशिक रंजन पटना : राज्य में भी हवाला के जरिये ब्लैक या अनएकाउंटेड मनी (बिना स्रोत वाले रुपये) का बड़े स्तर पर काला धंधा चलता है. इस धंधे को संचालित करने में राज्य के बड़े-बड़े व्यवसायी के अलावा कुछ […]
गोरखधंधा. हवाला के कारोबार में जुड़े हैं सूबे के व्यवसायी, आयकर और इडी की है नजर
कौशिक रंजन
पटना : राज्य में भी हवाला के जरिये ब्लैक या अनएकाउंटेड मनी (बिना स्रोत वाले रुपये) का बड़े स्तर पर काला धंधा चलता है. इस धंधे को संचालित करने में राज्य के बड़े-बड़े व्यवसायी के अलावा कुछ नामी-गिरामी बिजनेसमैन भी शामिल हैं. हाल में इनकम टैक्स और इडी (प्रवर्तन निदेशालय) की छापेमारी में इस बात का खुलासा हुआ है. इससे जुड़े कई तथ्यों पर पूरी गंभीरता से तफ्तीश करने के बाद पूरे देश में फैले हवाला के इस रैकेट पर शिकंजा कसने के लिए यह सशक्त कार्रवाई की गयी है.
इस नेटवर्क से जुड़े कुछ बड़े रैकेटरों की शिनाख्त बिहार में भी हुई है. इन पर भी शिकंजा कसा गया है. परंतु सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अभी भी राज्य में छोटे और मंझोले स्तर के कई व्यापारी या रैकेटियर पकड़ से बाहर हैं. इन पर अगले चरण में कार्रवाई हो सकती है.
ऐसे होता है हवाला का कारोबार
हवाला कारोबार बहुत ही गोपनीय ढंग से होता है. इसके माध्यम से अगर किसी को अपनी अनएकाउंटेड या ब्लैक मनी को किसी दूसरे शहर या विदेश भेजना होता है, तो किसी हवाला के रैकेटियर या बुकी के पास जाकर पूरा एमाउंट बताना पड़ता है. वह बुकी इस ब्लैक मनी को लेकर संबंधित शहर में स्थित अपने साथी बुकी को पैसा देने के लिए कह देता है और पैसे देनेवाले इस क्लाइंट को एक खास ‘पासवर्ड’ बता देता है.
इस पासवर्ड को जब इसका आदमी दूसरी तरफ बैठे बुकी को बताता है, तो उतना पैसा तुरंत उसे दे देता है. इस अवैध लेन-देन का कहीं कोई लिखित में हिसाब नहीं होता है. इसमें बुकी को 1-1.5 प्रतिशत पूरे एमाउंट का कमीशन के तौर पर मिलता है. कमीशन कई बार एमाउंट पर भी निर्भर करता है.
बड़े व्यवसायियों की इस धंधे में भूमिका
बताया जाता है कि हवाले के इस अवैध कारोबार में बड़े व्यवसायियों की भूमिका ही होती है. क्योंकि, ये लोग ही सबसे ज्यादा अपने ब्लैक मनी को दूसरे स्थान पर भेजने के लिए इस चैनल का उपयोग करते हैं.
सूत्राें की मानें तो बैंक अथवा अन्य माध्यम से पैसे भेजने पर कारोबारियों को इनकम टैक्स विभाग को इसका हिसाब देना पड़ेगा. लेकिन हवाले के रास्ते में ऐसी कोई बात नहीं है, िजससे इन्हें आयकर देना पड़े. ऐसे में इनका लाखों रुपये आसानी से बच जाते हैं. इसके अलावा जिन-जिन शहरों में यह रैकेट चलता है, वहां इतने बड़े एमाउंट का लेन-देन किसी बड़े कारोबारी की मदद से संभव नहीं है. बड़े कारोबारियों को अपना ब्लैक मनी फ्लो करने या ट्रांसजक्शन करने का इससे बेहतर अन्य कोई माध्यम नहीं है.
ब्लैक मनी को व्हाइट करने का जरिया
बड़े कारोबारियों के बीच ब्लैकमनी को व्हाइट करने का सबसे अच्छा जरिया हवाला ही है. इसके जरिये ये किसी दूसरे देश या राज्य में स्थित फर्जी फर्म से कागज पर ही कुछ खरीदारी करने का बिल दिखा देते हैं. फिर कुछ समय बाद इसी फर्म या इस तरह के दूसरे फर्म को इस समान को बेच देते हैं.
इसमें घाटा या मुनाफा दिखा कर ब्लैक मनी को व्हाइट कर देते हैं. इस पैसे पर कुछ टैक्स भी पेमेंट कर देते हैं. इस तरह की लेन-देन पूरी तरह से कागजी होती है. इसके अलावा कुछ बड़े कारोबारी कागज पर ही किसी तरह की ‘कमोडेटी’ की खरीदारी कर लेते हैं और कुछ समय बाद इसे बेच देते हैं. इस कारोबार में ब्लैकमनी का उपयोग किया जाता है.
कितने का कारोबार, पता नहीं
सूत्रों की मानें तो हवाला के जरिये पटना या बिहार के अन्य शहरों में कितने का कारोबार चल रहा है, कितने कारोबारी इस धंधे से जुड़े हुए हैं, इसका कोई स्पष्ट आंकलन किसी के पास नहीं है. ऐसे में कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि इसके माध्यम से कितने का मनी गेम हो रहा है.
लेकिन यह तय है इसमें करोड़ का खेल हो रहा है. इसका पूरा नेटवर्क ब्रेक होने के बाद इस संबंध में कुछ जानकारी मिल सकती है. हालांकि इसकी जांच में कई केंद्रीय एजेंसियां लगी हुई हैं. इसके जरिये मौजूद विधानसभा चुनाव के दौरान भी काफी बड़ा एमाउंट के आने-जाने की भी सूचना है. हालांकि इस पहलू पर अभी जांच चल रही है.
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