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बाहरी नहीं, भाजपा का बिहारी सीएम होगा

केंद्रीय कौशल विकास व संसदीय कार्यमंत्री राजीव प्रताप रु डी का दावा है कि बिहार में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनेगी और मुख्यमंत्री कोई बाहरी नहीं, बल्कि भाजपा का बिहारी ही बनेगा. उनसे बातचीत की दीपक कुमार मिश्र ने. लोग बदलाव चाह रहे बिहार में परिवर्तन की चाहत है. यहां की मानसिकता […]

केंद्रीय कौशल विकास व संसदीय कार्यमंत्री राजीव प्रताप रु डी का दावा है कि बिहार में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनेगी और मुख्यमंत्री कोई बाहरी नहीं, बल्कि भाजपा का बिहारी ही बनेगा. उनसे बातचीत की दीपक कुमार मिश्र ने.
लोग बदलाव चाह रहे
बिहार में परिवर्तन की चाहत है. यहां की मानसिकता में अब परिवर्तन और बदलाव घर कर गया है. 25 साल तक लोगों ने कांग्रेस की सांप्रदायिकता को देखा, जो वोट के नाम पर हिंदू-मुसलिम में भेदभाव करते रहती थी. जब लोग उससे ऊब गये तो उन्होंने लालू यादव को मौका दिया.
लालू यादव जैसा कि खुद कहते रहे हैं कि वे भैंस चराने वाले थे. इसके बाद भी बिहार के लोगों ने उन पर भरोसा किया और 15 साल का लंबा मौका दिया. चारा घोटाले में वे जेल गये. कोर्ट ने उनके शासनकाल को जंगलराज कहा. कोर्ट के द्वारा इस तरह की टिप्पणी विरले ही होती है. बिहार के लोग उनसे निराश हो गये थे. इसी जंगलराज को मुद्दा बना कर नीतीश कुमार उनसे अलग हुए थे. भाजपा को उनकी ताकत मिली. उनको मौका मिला और वे मुख्यमंत्री बने. नीतीश कुमार छुपे हुए अहंकारी हैं.
जिस व्यक्ति ने उनके साथ काम किया है या कर रहा है, वही उनके अहंकार को पहचानेगा. जिस तरह वे लालू प्रसाद से अलग हुए, उसी तरह अब लोग उनसे अलग हो गये. वृषिण पटेल, शकुनी चौधरी, उपेंद्र कुशवाहा जैसे कई लोग उनके अहंकार की वजह से अलग हो गये. जबकि ये लोग नीतीश कुमार को बनाने वाले लोग हैं. मांझी प्रकरण के बाद उनकी विश्वसनीयता और समाप्त हो गयी. उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक भूल उनका भाजपा से अलग होना और पीएम का सपना देखना रहा.
अव्यवहारिकता में वे इतने आगे निकल गये कि तीसरे मोरचे में अपनी पहचान बनाने में नरेंद्र मोदी के खिलाफ आग उगलने लगे. देश की जनता ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पूर्ण बहुमत देकर केंद्र में प्रधानमंत्री बनाया. अपने अहंकार की वजह से नीतीश कुमार आज कहीं के नहीं रह गये. मुख्यमंत्री बनने के लिए लालू प्रसाद के सामने घुटने टेक दिये. नीतीश कुमार के साथ बिहार की बड़ी संभावना अब मिट गयी है.
उन्होंने बिहार के साथ जो किया, बिहार की जनता उसे धोखा मानती है. उन्होंने जिस दिन लालू प्रसाद से दोस्ती की, उसी दिन उनकी राजनीतिक विश्वनीयता समाप्त हो गयी. बिहार में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनेगी और बिहार का मुख्यमंत्री कोई बाहरी नहीं, भाजपा का बिहारी ही बनेगा. बिहार के जिन भाजपा नेताओं ने इस पार्टी को बिहार में रह कर सींचा है और मजबूत किया, उनका नेता का अधिकार पहले बनता है. बाहर के नेता की कोई गुंजाईश नहीं है.
पहले और दूसरे चरण का मतदान
पहले और दूसरे चरण में एनडीए की स्थिति बेहतर होगी. जनता में एनडीए के प्रति असीम उत्साह देखने को मिला है. अब तक हुए दो चरणों के मतदान के रूझान के आधार पर पूरे भरोसे के साथ कह सकते हैं कि बिहार में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनेगी. इसमें शक सुबहा की बात नहीं है.
आरक्षण को लेकर विवाद
आरक्षण पर भाजपा की नीति बिल्कुल स्पष्ट है. भाजपा के केंद्र और राज्य नेतृत्व ने अपनी बात बिल्कुल स्पष्ट कर दी है. पिछड़ों, अति पिछड़ों, अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए आरक्षण संवैधानिक अधिकार है. इसमें फेर-बदल और छेड़-छाड़ की कोई गुंजाईश नहीं है. आरक्षण है और यह रहेगा.
आरक्षण पर लालू और नीतीश कुमार बे-वजह अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं. जनता को गुमराह और भरमा रहे हैं. भाजपा शुरू से ही समाज के सबसे अंतिम पायदान के व्यक्ति को मुख्यधारा में लाने की पक्षधर रही है. तो फिर ऐसे में आरक्षण पर बेवजह का झूठा और भ्रामक प्रचार लालू और नीतीश कर रहे हैं.
उनके पास जनता की बेहतरी के लिए कोई मुद्दा नहीं है, जिसे वे चुनाव में बता सके. इसलिए वे लोग ऐसे मामले को तूल दे रहे हैं. पिछड़ों की राजनीति करने वाले इन लोगों ने उस वर्ग के लिए कुछ नहीं किया है. और जनता जब हिसाब मांग रही है, तो ये लोग जनता को भरमाने के लिए आरक्षण का मुद्दा उछाल रहे हैं.
बीफ पर बयानबाजी
भाजपा पर सांप्रदायिकता का आरोप लगता है. झूठ-मूठ का आरोप. सबसे बड़े आरोपी लालू प्रसाद हैं. लालू प्रसाद ने कहा है कि हिंदू गाय का मांस खाते हैं. वोट के लिए इस तरह की बात करना और एक वर्ग को अपमानित करना, यह स्वीकार नहीं है. भाजपा ने तो इस तरह की कोई बात नहीं की, पर जब लालू प्रसाद इस तरह की बात करेंगे, तो उन्हें उत्तर तो मिलेगा ही.
नीतीश कुमार इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं. वह इस पर सहमत हैं या असहमत हैं, उन्हें बताना चाहिए. वे दुनिया भर के सवाल उठाते हैं. भाजपा और नरेंद्र मोदी पर तरह-तरह के सवाल उठाते हैं, तो इस मामले में चुप क्यों हैं. अभी तो नरेंद्र मोदी की सरकार का डेढ़ साल हुआ है और साढ़े तीन साल कार्यकाल बचा हुआ है. इसके बाद भी दशकों तक जनता के समर्थन से भाजपा को सरकार चलाना है. उत्तर तो नीतीश कुमार को देना है.
उन्हें रिपोर्ट कार्ड पेश करना है. हम तो देश की जनता को समय आने पर एक-एक बात का उत्तर देंगे. अपने काम को बतायेंगे, क्योंकि हम उसके लिए बाध्य हैं. नीतीश कुमार अपनी विफलताओं के बीच विधानसभा चुनाव में जनता से वोट मांग रहे हैं. वे जनता को हिसाब देने के अलावा बाकी सभी काम कर रहे हैं.
पार्टी में अंतर्कलह का असर
पार्टी में अब कोई असंतुष्ट नहीं हैं. जो कार्यकर्ता काम करता है, उसे पार्टी से उम्मीद और अपेक्षा होती है. जिनको टिकट नहीं मिला, उनमें नाराजगी स्वाभाविक थी. वे दुखी हुए. लेकिन, वे सभी लोग अब पुरानी बातों को भूल कर अपने काम में जुट गये हैं, ताकि बिहार में पूर्ण बहुमत की विकासशील तथा बिहार को आगे ले जानेवाली सरकार बन सके. पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता का लक्ष्य है – बिहार में पूर्ण बहुमत वाली एनडीए की सरकार का गठन.
एनडीए का भविष्य
राजनीति में किसी के भविष्य पर कोई टिप्पणी करना सही नहीं है. जहां तक एनडीए की बात है, तो बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी. हम इस बात से बिल्कुल संतुष्ट हैं कि बिहार में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनेगी. लालू प्रसाद और नीतीश कुमार आउट एंड ओवर हैं. उन्हें जनता ठुकरा चुकी है.
एनडीए जीतेगा, क्योंकि..
1. बिहार के लोगों की सोच में बदलाव, वे विकास चाहते हैं.
2. नीतीश कुमार का धोखा. उन्होंने जनादेश के साथ विश्वासघात किया.
3. बिहार का सामूहिक नेतृत्व. युवा, महिला और सभी वर्ग का भाजपा को समर्थन.
4. केंद्र के साथ सहयोग करने वाली सरकार बिहार को चाहिए.

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