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नहीं लेना है : चुनाव में बड़ी संख्या में ब्लैक मनी पकड़ से बाहर

नहीं लेना है : चुनाव में बड़ी संख्या में ब्लैक मनी पकड़ से बाहर- इनकम टैक्स विभाग भी नहीं पकड़ पा रहा इस तरह की ब्लैक मनी को – इस चुनाव में अब तक इनकम टैक्स ने दो करोड़ रुपये ही जब्त कर पाया संवाददाता, पटनामौजूदा विधान सभा चुनाव के दौरान पैसे का खेल जोर-तोर […]

नहीं लेना है : चुनाव में बड़ी संख्या में ब्लैक मनी पकड़ से बाहर- इनकम टैक्स विभाग भी नहीं पकड़ पा रहा इस तरह की ब्लैक मनी को – इस चुनाव में अब तक इनकम टैक्स ने दो करोड़ रुपये ही जब्त कर पाया संवाददाता, पटनामौजूदा विधान सभा चुनाव के दौरान पैसे का खेल जोर-तोर तरीके से चल रहा है. आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक तीन दर्जन से ज्यादा स्थानों पर अवैध रुपये जब्त किये गये हैं. इसमें करीब एक दर्जन बड़े मामले हैं, जिसमें आयकर विभाग दो करोड़ से ज्यादा रुपये जब्त कर चुका है. बावजूद इसके चुनाव में ब्लैक मनी का प्रवाह जारी है. बड़े स्तर पर अभी भी पैसों का उपयोग हो रहा है. इन्हें पकड़ने मेंं आयकर विभाग भी सफल नहीं हो रहा है. इसके कई प्रमुख कारण हैं. इनमें ब्लैक मनी के फ्लो का तरीका बदलना सबसे प्रमुख है. अवैध रुपये को जब्त करने के लिए कई तरह के कारगर तरीके अपनाये जा रहे हैं.पिछले चुनाव से इस बार ब्लैक मनी ज्यादा एक अनुमान के अनुसार, इस विधान सभा चुनाव में पिछले सभी चुनाव की तुलना में ब्लैक मनी का उपयोग सबसे ज्यादा हो रहा है. पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान पूरी चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद छह करोड़ रुपये ही जब्त हुए थे, जबकि इस बार अब तक 13 करोड़ से ज्यादा रुपये जब्त हो चुके हैं. इसमें दो करोड़ सिर्फ आयकर ने जब्त किया है. वाबजूद इसके आयकर या प्रशासनिक महकमा सभी ब्लैक मनी को पकड़ने में नाकाम साबित हो रहा है. कुछ बड़े मामलों में आयकर को सफलता भी मिली है, लेकिन अभी भी बहुत बड़ा हिस्सा पकड़ से छूट जा रहा है. इन हथकंडों के आगे बेबस आयकर भीइस बार कई मामलों में ब्लैक मनी का उपयोग करने वालों के हथकंडे ज्यादा कारगर साबित होना है. एक बड़ी बात यह देखने को मिल रही है कि इस बार ब्लैक मनी को छोटे-छोटे अमाउंट में लाने या ले जाने का काम किया जा रहा है. इससे आयकर की सीधी नजर इन तक नहीं पड़ती है. आयकर ज्यादातर 10 लाख से ज्यादा की रकम में ही हस्तक्षेप करता है. इससे छोटे मामलों में पुलिस अपने स्तर से जांच कर छोड़ सकती है. इस कारण बड़ी संख्या में छोटे-छोटे अमाउंट का ही ट्रांसपोर्टेशन किया जा रहा है. कई मामलों में यह देखा गया है कि पैसा पकड़ाने के बाद कोई बड़ा व्यवसायी या बिजनेस फर्म इस पैसे पर मालिकाना हक जताने आ जाते हैं. कई बड़े व्यवसायियों के लिए चार-पांच रुपये का प्रूफ दिखाना बहुत बड़ी बात नहीं है. कई व्यवसायी या अन्य लोग व्यापार के नाम पर भी ब्लैक मनी का खूब ट्रांसपोर्टेशन कर रहे हैं. इस बार ब्लैक मनी को ढोने के लिए इस तरह के फर्जी प्रूफ का भी जमकर उपयोग हो रहा है. इन्हें तुरंत की छानबीन में पकड़ना बेहद मुश्किल होता है. इसके लिए गहन छानबीन करने की जरूरत पड़ती है, जिसमें कई दिन लग सकते हैं. आयकर बढ़ा रहा अपनी मुस्तैदीब्लैक मनी को पकड़ने के लिए आयकर ने भी अपनी मुस्तैदी बढ़ा दी है. आयकर ऐसे लोगों या व्यवसायियों या अन्य को चिन्हित करके यह जांचने में जुट गया है कि ये पैसे कितनी बार कहां-कहां ले जा रहे हैं. जितनी बार कोई एक व्यक्ति पैसे की लेन-देन कर रहा है, उसके मुताबिक वह टैक्स देता है या नहीं. टैक्स का अवलोकन भी बारीकी से किया जा रहा है.

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