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एक पाये में लटका कमला का रेल पुल
देश में अजूबा : आगे छुक-छुक रेलगाड़ी, पीछे हौले-होले फटफटिया झंझारपुर से शैलेंद्र चुनावी चर्चा के बीच कमला नदी के आधा-अधूरे पुल की याद किसे है? दो साल बीत गये. सिर्फ एक पाये की वजह से पुल तैयार नहीं हो पाया.झंझारपुर जंकशन से मीटरगेज लाइन पर कुछ दूर चलते ही कमला नदी पड़ती है. जैसे […]
देश में अजूबा : आगे छुक-छुक रेलगाड़ी, पीछे हौले-होले फटफटिया
झंझारपुर से शैलेंद्र
चुनावी चर्चा के बीच कमला नदी के आधा-अधूरे पुल की याद किसे है? दो साल बीत गये. सिर्फ एक पाये की वजह से पुल तैयार नहीं हो पाया.झंझारपुर जंकशन से मीटरगेज लाइन पर कुछ दूर चलते ही कमला नदी पड़ती है. जैसे ही ट्रेन इस पुल पर पहुंचती है, यात्रियों का कौतूहल बढ़ जाता है. वे आधे-अधूरे रेल पुल को डिब्बों की खिड़कियों से झांक कर देखते हैं और शुरू हो जाती है उस पाये की चर्चा, जिसकी वजह से पुल अब तक नहीं बन पाया.
निर्मली- झंझारपुर – सकरी मीटरगेज लाइन का चौड़ीकरण होना है. लेकिन, दो साल में एक पाया तैयार नहीं हुआ. अंगरेजों के जमाने के जिस पुल पर ट्रेन चलती है, उसी के पीछे-पीछे गाड़ियां, बाइक, साइकिल और बैलगाड़ी भी.
झंझारपुर को गेट-वे ऑफ कोसी कहते हैं. यह मधुबनी जिले के प्रमुख बाजारों में है. यहां जंकशन है, जहां से होकर 24 घंटे में आठ ट्रेनें गुजरती हैं. अब इसे बड़ी लाइन में बदला जाना है, लेकिन कमला नदी पर बन रहे पुल का पूरा न हो पाना बड़ी बाधा है. अभी अंगरेज जमाने का रेल पुल है, जिससे लोग गुजरते हैं.
यह सकरा है. देश का शायद यह अकेला रेलपुल होगा, जिससे ट्रनें भी गुजरती हैं और मोटरगाड़ियां भी. इस नदी को पैदल पार करने का भी यही एक जरिया है. पुल इतना सकरा है कि एक बार में एक ही तरफ से लोग गुजर सकते हैं. दूसरी तरफ के लोगों को इंतजार करना पड़ता है. इस पुल को लेकर झंझारपुर में जनसंघर्ष मोर्चा बना है. इसके संयोजक ओम प्रकाश पोद्दार कहते हैं कि पुल हर चुनाव में मुद्दा रहता है. हमलोग जब आंदोलन करते हैं, तो आश्वासन दिया जाता है. सांसद ने भी कहा कि पुल जल्द बनेगा, मगर काम नहीं हो रहा.
इस बार भी पुल का यह मामला जनता का चुनावी मुद्दा है. जनता के मूड को देखते हुए सभी पार्टियां, उम्मीदवार और नेता यह भरोसा देने में जुटे हैं कि जल्द ही पुल बनवा देंगे, मगर आवाम को भरोसा नहीं हो रहा. बात केवल पुल की नहीं है. पुल बनेगा, तो बड़ी लाइन होगी. तभी ट्रेनों की संख्या भी बढ़ेगी और उनकी रफ्तार भी. तभी यात्री सुविधाओं का भी विस्तार भी होगा.
झंझारपुर जंकशन के स्टेशन अधीक्षक जेएस मिश्र का कहना है कि सात सौ फीट लंबा पुल है. यात्री नंदन कुमार कहते हैं- बड़ी लाइन बनेगी, तभी स्थिति सुधरेगी. थोड़ी दूरी तय करने में घंटों लग जाते हैं.
रेल पुल जल्दी बने. हम झंझारपुर में रहकर पढ़ते हैं. आने-जाने में भारी परेशानी है. इस वजह से मुङो हॉस्टल में रहना पड़ता है.
-कन्हैया कुमार, मंडन मिश्र हॉल्ट निवासी छात्र
बड़ी लाइन का रेल पुल बने और अभी जो पुल है, इसका चौड़ीकरण हो. अभी कभी तो पुल पार करने में आधे घंटे से ज्यादा का समय लगता है. रेल पुल केंद्र सरकार है, जिसका टैक्स लिया जाता है, लेकिन सुविधा नहीं दी जा रही है. .
-ओम प्रकाश, संयोजक, जन संघर्ष मोर्चा
चार बार टेढ़ा हुआ पिलर
कमला नदी पर बननेवाले पुल के पिलर को ढ़ालने की चार बार कोशिश की गयी. हर बार पिलर टेढ़ा हो गया.
अमेरिका तक से वैज्ञानिकों की टीम आयी, लेकिन कोई उपाय नहीं निकल सका. अब पुल के लिए सव्रे करनेवाली एजेंसी पर उंगली उठ रही है. वहीं, स्थानीय लोगों में पिलर नहीं बन पाने को लेकर तरह-तरह की बातें होती हैं. लोगों का अपना अनुमान है.
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