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ए भईया! विकास के बतिया उपरे से, वोट त जतिए पर पड़तई…

विजय सिंह, पालीगंज पालीगंज के नहरों में भले ही सुखाड़ हो, पर फिजा में सियासत की बातें हरी और खरी हैं. बेबाकी सी बातें, नेताओं की पर्सनॉलिटी उनकी जुबान पर है. चुनाव का पूरा गणित अंगुलियों पर और परिणाम बातों में. अधर में लटके विकास के नाम पर गुस्सा है, पर चुनाव को लेकर पूरा […]

विजय सिंह, पालीगंज

पालीगंज के नहरों में भले ही सुखाड़ हो, पर फिजा में सियासत की बातें हरी और खरी हैं. बेबाकी सी बातें, नेताओं की पर्सनॉलिटी उनकी जुबान पर है. चुनाव का पूरा गणित अंगुलियों पर और परिणाम बातों में. अधर में लटके विकास के नाम पर गुस्सा है, पर चुनाव को लेकर पूरा उत्साह भी. 2 लाख 61 हजार, चार सौ तेरह मतदाताओं वाला यह विधानसभा क्षेत्र सड़क, बिजली, पानी की बात तो करता है, पर जाति के मुद्दे को ही प्रमुखता देता है. गांव-गिरांव, चौक-चौराहे हर जगह चुनावी रंग.

आइये, इस उत्सव में भागीदार होने से पहले, यहां की ग्राउंड रिपोर्ट से आपको अवगत करायें.पटना से विक्रम होते हुए पालीगंज के शानदार स्टेट हाइवे पर जब हमने बाइक ड्राइव की, तो पता चला कि हां, बिहार में हिचकोले देने वाली सड़कों के सामने यह आइना है. पालीगंज की सीमा में प्रवेश करने के कुछ देर बाद हम दुल्हिन बाजार पहुंचे. यहां चौराहे पर भीड़ है, लोग-बाग चाय-नाश्ता, पान खाने में मशगुल हैं, बस व टेंपो का आना-जाना हो रहा है. एक पान दुकान पर दो-चार लोगों को देखकर पान खाने के बहाने जब चुनाव की चरचा छेड़ी गयी, तो लागाें ने फौरन लपक लिया.

बीएससी हूं और पान बेच रहा हूं : पान के पत्ते पर चूना और कत्था फेंटते हुए महेन्द्र प्रसाद कहते हैं, अबकि ते भईया अइसन भोट के चोट होई कि नेताजी लोग के दिमाग ठिकाने आ जायी. बात में गुस्सा था और चेहरे पर तनाव. उनसे सवाल किया गया कि क्या हुआ, यहां नेताजी लोग काम नहीं किये हैं क्या.

महेन्द्र प्रसाद और उखड़ गये. बोले, 1988 का बीएससी हूं, इसके बाद शारीरिक शिक्षा की ट्रेनिंग कर चुका हूं. दो बार बहाली हुई, 2006 में और 2008 में. पहली बार में 35 जगहों से आवेदन, दूसरी बार में 60 जगहों से आवेदन. 95 जगह ट्राई करने के बाद क्या हुआ, कुछ नहीं, यहीं दुल्हिन बाजार मेें चार साल से पान बेच रहा हूं और दावा करते हैं कि बेरोजगारी खत्म हो गयी है.

हमने पूछा इसके लिए दोषी कौन है, आपका चयन क्यों नहीं हो पाया, बोले कैसे होगा चयन प्रक्रिया ही गलत थी. शिकायत कोई सुनने वाला नहीं, कहते हैं विकास हो गया है. महेंद्र की प्रतिक्रिया ने माहौल को शांत कर दिया.करीब 20 वर्षीय राहुल कुमार भी उनकी बातों को सुन रहा था. उससे पूछे यहां किसकी लहर है. उसके चेहरे पर चालाकी के भाव दौड़ गये, पहले इधर-उधर देखा और बोला यहां सब 50-50 है.

बांस भर बाति के पीछे जाति समीकरण बा

अरे जाति समीकरण देख के टिकट बंटल बा और भोट भी वईसे देहल जाइ. टाउन से डेढ़ किलो मीटर दूर खुपरा गांव के रहने वाले मिथिलेश कुमार ने भी अपनी प्रतिक्रिया दिये तो बोले, ई मंच से नेता लोग जो विकास के बाति करेले उ बस यहिसने है. बांस भर बाति के पीछे जाति की गणित समझाया जाता है. मोहम्मद अफजल इमाम कहते हैं, कि बदलाव तो बहुत आया है, पहले दुकान बंद करके रात को घर जाने में डर लगता था. सब ठीक हो रहा है. चंढ़ौस में चुनाव की बात करने पर राम प्रवेश, गनौरी कहते हैं, हमेशा हम लोगों को उजाड़ने की कोशिश होती है़

चुनाव आया, तो नेताजी को भी नहर का पानी याद आने लगा

प्रभात रंजन/बिक्रम

बिक्रम विधान सभा क्षेत्र के पांच हजार आबादी वाले गांव अराप पहुंचे, तो एक जगह पांच-छह व्यक्ति चुनावी चर्चा में मशगुल थे. वहां रुक कर चुनावी चर्चा सुनने लगा. गांव के ही धनेष कुमार सरकार की व्यवस्था पर तंज कसते हुए कहते है कि वोटर लिस्ट या बीपीएल सूची में नाम जुड़वाना हो, तो महीनों सरकारी दफ्तर का चक्कर लगाने के बाद भी नहीं बनता है.

गांव में बिजली आयी है, तो बांस-बल्ला से तार खीच कर ले गये हैं. कैसे कहे कौन-सी सरकार ठीक है. वहीं, सुबोध कहते है कि पिछले चुनाव में पिछले चुनाव में भी अनिल शर्मा व सिद्धर्थ के बीच टक्कर था और इस चुनाव में भी वहीं लग रहा है. इस पर चौपाल पर बैठे लोगों में एक ही सहमति दिखा. इस चर्चा को सुनने के बाद बिक्रम की ओर चल पड़े.

पानी के चलते सुखा है खेत : बिक्रम विधान सभा में नहरों की जाल है, जिससे धान की खेती समृद्ध थी. आज धान की खेती पर संकट छाया है. क्षेत्र के किसान बेहाल हैं. चिहुता गांव के अरवींद शर्मा कहते हैं कि चित्रा नक्षत्र चल रहा है. इस सयम खेतों में पानी होता, तो धान की बाली अच्छा होता. लेकिन, खेत सुखा है. चुनाव आया, तो नेताजी को भी नहर के पानी याद आने लगा है. क्षेत्र में विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ, सिर्फ वादे किये गये.

हल्की बारिश में जलजमाव की समस्या : विधानसभा क्षेत्र के विक्रम शहर, जहां प्रखंड कार्यालय, हाई स्कूल के साथ साथ अच्छा बाजार और शहर से होकर गुजर रहा एनएच-98. लेकिन इस शहर की दुर्दशा पर क्षेत्र के लोग रो रहे है. स्थानीय लोग कहते हैं कि भाजपा प्रत्याशी पिछले दस वर्षों से विधायक हैं. पिछले चुनाव में वादें किये, लेकिन वादा पूरा नहीं किया. स्थिति यह है कि हल्की बारिश हो जाये, तो बिक्रम बाजार के किसी सड़क पर नहीं निकल सकते हैं. इस शहर में एक सार्वजनिक चापाकल नहीं लगा है. हां, चापाकल लगा है, जो किसी के अधीन में है.

क्षेत्र में नहीं मिलेगा दस भी शिलापथ : बिक्रम से पालीगंज जाने वाली सड़क से गुजर रहा था, तो रास्ते में शहर के मशहूर चिट्टी-चना दुकान पर पहुंचा, तो वहां भी चुनावी चर्चा जोर-शोर से किया जा रहा था. दनारा गांव के रहने वाले दिलीप कुमार चंद्रवंशी कहते हैं कि पिछले दस वर्षों से विधायक जी के नाम का दस शिलापथ दिखा दें. अजय लिट्टी खाते हुए कहते हैं कि विधायक जी को गाली-गलौज भी कर दे, तो जवाब नहीं देते हैं.

ट्रामा सेंटर के चालू होने का है इंतजार

सीपी ठाकुर जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री थे, तो वर्ष 2001 में बिहटा ट्रामा सेंटर का उद्घाटन किया गया. उद्घाटन के बाद ट्रांमा सेंटर का बिल्डिंग भी बन गया और अत्याधुनिक सुविधा से लैस भी कर दिया गया, लेकिन 15 वर्ष बाद भी ट्रांमा सेंटर में मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है. ट्रामा सेंटर में रखे एंबुलेंस जर्जर हो गया.

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