एजुकेशन सिस्टम में बड़े बदलाव की जरूरत पीयू और एमयू के टीचर्स एवं स्टूडेंट्स जता रहे आवश्यकतापटना यूनिवर्सिटी के साथ एमयू के कई कॉलेजों में प्रोफेसर से लेकर स्टूडेंट्स चुनावी चर्चा में मशगूल हैं. प्रोफेसर से लेकर स्टूडेंट्स तक चुनाव में एजुकेशन सिस्टम में सुधार पर चर्चा नहीं होने से नाराज हैं. लोग बेसिक से लेकर हायर एजुकेशन तक के फॉर्मेट में लंबे समय से बदलाव की जरूरत महसूस कर रहे हैं. सरकार कोई भी हो, लेकिन जनता उम्मीद रखती है कि हमारे एजुकेशन सिस्टम में सुधार हो. बिहार के एजुकेशन में क्या-क्या खामियां हैं? एजुकेशन सिस्टम में किन-किन बदलावों की जरूरत है ? इन्हीं मुद्दों एक्सपर्ट्स ने अपनी बात रखी है. उसी के आधार पर पेश है एक रिपोर्ट :वैल्यू-बेस्ड हो एजुकेशन सिस्टम पीजी पॉलीटिकल साइंस की एचओडी प्रो शशि शर्मा कहती हैं कि बेसिक से लेकर हायर एजुकेशन तक के फॉर्मेट में बदलाव की जरूरत है. एजुकेशन का मतलब सिर्फ किताबी जानकारी नहीं होनी चाहिए. प्रैक्टिकल की भी जानकारी होनी चाहिए. एजुकेशन से समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. वैल्यू-बेस्ड और सोशल एजुकेशन एक अच्छा नागरिक बनाते हैं. सबसे पहले शिक्षित होकर एक अच्छा नागरिक बनना ही हमारा कर्तव्य है. स्कूलों व कॉलेजों में टीचर्स को अपने स्टूडेंट्स को बेहतर तरीके से शिक्षित करने की जरूरत है, ताकि स्टूडेंट्स अपने भविष्य के साथ समाज व देश का बेहतर निर्माण कर सकें.रियलिटी से कोसों दूरपीयू के साइंस के पूर्व डीन प्रोफेसर अमरेंद्र मिश्र कहते हैं कि इस समय एजुकेशन सिस्टम असलियत से कोसों दूर है. सिर्फ किताबी ज्ञान दिया जा रहा है, जिसका यूज जॉब में नहीं है. प्रैक्टिकल देने की प्रथा तो खत्म हो गयी है. इसका कारण यह है कि लैब खत्म हो चुके हैं. रिसर्च के काम पर ब्रेक लग गया है. इसका कारण है कि प्राइवेट कॉलेज या इंस्टीट्यूट्स में भीड़ लगी है. वहां जॉब ओरिएंटेड कोर्स तो करा तो रहे हैं, लेकिन उनके द्वारा कराये जानेवाले कोर्सेज के बारे में गांव और छोटे शहरों के स्टू्डेंट्स को पता नहीं रहता है. वहीं सरकार भी काफी दोषी है. कॉलेज व यूनिवर्सिट में प्रयाप्त संख्या में टीचर नहीं हैं. बड़े पैमाने पर टीचर की बहाली कई वर्षों से नहीं हुई है. पीयू डीडीइ के पूर्व निदेशक प्रो आरएस मिश्र कहते हैं कि अब तो सातवीं से आठवीं के बाद ही स्टूडेंट्स अपनी दिशा तय कर लेते हैं. एजुकेशन जॉब ओरिएंटेड हो. टीचर पूरी ईमानदारी और डेडिकेशन के साथ अपनी ड्यूटी करें. इन दिनों स्टूडेंट्स को पढ़ाई में दिलचस्पी कम हो गयी है. दसवीं या बारहवीं की परीक्षा असान होने से स्टूडेंट्स को नंबर तो अच्छे आ रहे हैं, लेकिन एजुकेशन की क्वालिटी घट गयी है.बेहतर सिस्टम तैयार करेंपटना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो नवल किशोर चौधरी कहते हैं कि एजुकेशन सिस्टम को बेहतर करने के लिए सही कदम उठाने की जरूरत है. एजुकेशन को राजनीति से जोड़ना नहीं चाहिए. सरकार को अच्छी योजनाएं बनाये ताकि इसका सही से पालन हो. शिक्षा का पूरा दारोमदार एक टीचर पर निर्भर करता है. आज के समय में टीचर्स में डेडिकेशन की कमी है. एक ऐसा सिस्टम डेवलप किया जाये, जिसमें टीचर्स खुद जिम्मेवारी लें और सिस्टम को सही करने का प्रयास किया जा सके. स्टूडेंट्स को एक शिक्षित नागरिक बनाने के साथ-साथ इस काबिल इनसान भी बनाना है, ताकि वे अपने परिवार की जिम्मेवारी निभायें.टीचर्स में हो डेडिकेशनबीडी कॉलेज के प्रो सुनित कुमार कहते हैं कि सरकारी स्कूलों में आज भी मूलभूत सुविधाओं की काफी कमी है. इसके साथ ही समय के अनुसार सिलेबस को चेंज करने की जरूरत है. अभी रेगुलर कोर्स में स्टूडेंट्स मजबूरी में एडमिशन लेते हैं. रेगुलर कोर्स को भी बेहतर व रोजगार से जोड़ना होगा. सिलेबस में भी हर पांच साल में चेंज जरूरी है. टीपीएस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य श्रीकांत शर्मा ने कहा कि स्टूडेंट्स को अपना रॉल मॉडल टीचर को मानना चाहिए. पैरेंट्स की आकांक्षाएं बढ़ींपैरेंट अनिल प्रसाद सिंह कहते हैं कि आज कल पैरेंट्स की आकांक्षाएं बढ़ने से प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन के लिए होड़ मची है. एजुकेशन के मॉडर्न स्टाइल को समय-समय पर एडॉप्ट करते रहना चाहिए, ताकि स्टूडेंट्स के साथ-साथ वर्तमान एजुकेशन सिस्मट अपटूडेट रहे. वहीं जहां से गांवों की बेसिक शिक्षा हासिल होती है, वहां के सरकारी स्कूलों में बेसिक चीजों तक का अभाव है. यही कारण है कि बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजकर पैरेंट्स अपने बच्चों का भविष्य खराब नहीं करना चाहते हैं.
एजुकेशन सस्टिम में बड़े बदलाव की जरूरत
एजुकेशन सिस्टम में बड़े बदलाव की जरूरत पीयू और एमयू के टीचर्स एवं स्टूडेंट्स जता रहे आवश्यकतापटना यूनिवर्सिटी के साथ एमयू के कई कॉलेजों में प्रोफेसर से लेकर स्टूडेंट्स चुनावी चर्चा में मशगूल हैं. प्रोफेसर से लेकर स्टूडेंट्स तक चुनाव में एजुकेशन सिस्टम में सुधार पर चर्चा नहीं होने से नाराज हैं. लोग बेसिक से […]
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