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वोट नहीं देते तो क्या करते हैं बिहार के लोग

वाेट नहीं देते तो क्या करते हैं बिहार के लोग – निर्वाचन आयोग के निर्देश पर एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट ने किया सर्वे संवाददाता, पटनामतदान के दिन जब सरकारी छुट्टी दी जाती है, तो फिर लोग मतदान करने क्यूं नहीं निकलते हैं. मतदान नहीं करते हैं तो लोग उस दिन करते क्या हैं. इन सब बातों […]

वाेट नहीं देते तो क्या करते हैं बिहार के लोग – निर्वाचन आयोग के निर्देश पर एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट ने किया सर्वे संवाददाता, पटनामतदान के दिन जब सरकारी छुट्टी दी जाती है, तो फिर लोग मतदान करने क्यूं नहीं निकलते हैं. मतदान नहीं करते हैं तो लोग उस दिन करते क्या हैं. इन सब बातों को जानने के लिए चुनाव आयोग की ओर से एक सर्वे करवाया गया. एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट द्वारा यह सर्वे किया गया. 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद यह सर्वे का काम शुरू किया गया. पहला सर्वे प्रो. सुधार कुमार और उनकी टीम द्वारा 2009 और 2010 के दौरान किया गया. वहीं दूसरा सर्वे 2014-15 में प्रो. अजय कुमार झा द्वारा किया गया. सर्वे में मतदान नहीं करने का कारण बताया गया तो वहीं मतदान को बढ़ाने के लिए सलाह भी एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट द्वारा दिया गया. – बढ़ा इस बार वोटिंग परसेंटेज सर्वे में जो प्वाइंट एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट द्वारा बताया गया, उसको लेकर चुनाव अायोग की तरफ से कई कार्यक्रम चलाने शुरू हुए. सर्वे में आमलाेगों से मतदान बढ़ाने जाने को लेकर राय मांगी गयी थी. किस माध्यम से मतदान के प्रति लोग अवेयर होंगे, इसकी जानकारी भी लाेगों से लिया गया था. चुनाव आयोग ने उन तमाम माध्यमों को अवेयरनेस के तौर पर 2014 के लोकसभा चुनाव में उपयोग किया गया. इससे वोटिंग परसेंटेज बढ़ा. इसके अलावा वोटिंग परसेंटेज बिहार विधानसभा के इस बार के चुनाव में भी देखने को मिल रहा है. बिहार में पिछले तीन बार का विस में वोटिंग परसेंटेज साल – परसेंटेज 2005 – 45.85 2009 – 44.46 2010 – 52.71 वोट नहीं करने की मुख्य वजह – वोट के दिन उपलब्ध नहीं होते हैं.- इलेक्ट्रोलर सीट पर नाम दर्ज नहीं होना. – इपिक नंबर या आइडी प्रूव में कमी होना. – अल्टरनेटिव आइडी प्रूव को मान्यता नहीं देना. – मतदान केंद्र पर असुरक्षा महसूस करना. – पोलिंग स्टेशन से घर की दूरी अधिक होना. – मौसम का साथ नहीं देना. – पोलिटिकल पार्टी द्वारा हतोत्साहित करना. – प्रत्याशी को पसंद नहीं करना. – बूथ पर जाने के बाद दिक्कतों का सामना करना. – पार्टी या प्रत्याशी से कोई उम्मीद नहीं होना. आमलोगों की राय पर एएन सिन्हा इंस्ट्रीच्यूट द्वारा चुनाव आयोग को दी गयी सलाह माध्यम – लोगों का च्वाइस परसेंटेज टीवी – 21.3 फीसदी रेडियाे – 21 फीसदी नुक्कड़ नाटक – 0.7 फीसदी पोस्टर और बैनर – 18.7 फीसदी प्रभात फेरी, अवेयरनेस रैली – 5.2 फीसदी बीएलओ – 7.7 फीसदी बीएलए – 8.2 फीसदी ब्रांड एंबेसडर बनाना – 4.2 फीसदी न्यूज पेपर – 6.3 फीसदी सर्वे का काम चुनाव आयोग की ओर से दिया गया था. 2009 से ही सर्वे किया गया था. बिहार में मतदान को लेकर अवेयरनेस की काफी कमी थी. सर्वे में कई बातें सामने आयी. रिपोर्ट तैयार कर चुनाव आयोग के भेजा गया. इसके बाद 2010 और 2014 के चुनाव में उपयोग किया गया. डीएन दिवाकर, अध्यक्ष, एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट मतदान करने की सुविधा का बहुत ज्यादा अभाव है. एक तो वोटर आइडी कार्ड बनवाने में दिक्कतें होती हैं. इसके अलावा मतदान केंद्र पर भी कई असुविधा होने से लोग मतदान नहीं करना चाहते हैं. मुझे खुद वोटर आइडी कार्ड पर नाम की स्पेलिंग सही करने में दो साल लग गये. प्रो. अजय कुमार झा, सर्वे इंचार्ज \\\\B

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