पटना: शुक्रवार को प्रभात खबर में प्रकाशित खबर ‘पुलिस हुई हाइटेक, लेखनी है पुरानी’ में पुलिस रिपोर्ट के दौरान लिखे गये शब्दों के अर्थ पाठकों से पूछा गया था, जिसका सही जवाब कुछ पाठकों ने दिया.
कई पाठकों ने इसे काफी कठिन बताया. आलमगंज निवासी रिटायर्ड डिस्ट्रिक जज पीके सिंह का कहना है कि पुलिसिया लेखनी में उपयोग किये जानेवाले फारसी और उर्दू शब्दों के लिए ट्रेनिंग के दौरान ही अधिवक्ताओं और पुलिस को जानकारी दी जाती है. इन शब्दों का अधिक उपयोग बिहार के गया, आरा, छपरा, मुंगेर, सीतामढ़ी, देवघर के साथ उत्तरप्रदेश में होता है.
ट्रायल के दौरान अधिवक्ता शब्दों की चूक का फायदा उठाते हैं, जिसके कारण कभी-कभी आरोपितों को फायदा मिल जाता है. कंकड़बाग निवासी सुनील कुमार सिंह का कहना है कि पुलिस रिपोर्ट में उपयोग होनेवाले शब्दों को वे जान रहे हैं, लेकिन आम लोगों के लिए ये काफी कठिन हैं. वे इस तरह के फारसी शब्दों के बारे में कुछ समझते नहीं हैं. रिपोर्ट दर्ज होने के दौरान वे ये सोच करके शांत रहते है कि पुलिस उनके बयान को ही लिख रही है.