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बागियों की ठौर बनीं छोटी पार्टियां

सपा व जन अधिकार पार्टी को बैठे-बिठाये मिल गये नेता व प्रत्याशी निर्भय पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरे मोरचे की पार्टियां एनडीए और महागंठबंधन के बड़े घटक दलों के बागियों की ठौर बन गयी हैं. जिनका टिकट कटा, उन्होंने अपना नया राजनीतिक आशियाना तीसरे मोरचे की पार्टियों में ढूंढ़ा. इस वजह से सपा […]

सपा व जन अधिकार पार्टी को बैठे-बिठाये मिल गये नेता व प्रत्याशी

निर्भय

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरे मोरचे की पार्टियां एनडीए और महागंठबंधन के बड़े घटक दलों के बागियों की ठौर बन गयी हैं. जिनका टिकट कटा, उन्होंने अपना नया राजनीतिक आशियाना तीसरे मोरचे की पार्टियों में ढूंढ़ा. इस वजह से सपा और जन अधिकार पार्टी को बैठे-बिठाये कई नेता मिल गये.

साथ ही चुनाव के दौरान रणनीति तैयार करने के लिए कई अनुभवी नेताओं का भी साथ मिला. इस बार विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागंठबंधन ने करीब 55 विधायकों को बेटिकट किया है. उनमें से कुछ तो चुप लगाकर बैठ गये, जबकि बाकियों ने तीसरे मोरचे को अपनी राजनीतिक छतरी के रूप में इस्तेमाल किया.

जदयू से टिकट कटने के बाद मंत्री रामधनी सिंह करगहर से, विधायक गुड्डी देवी रुन्नीसैदपुर से, राजेश सिंह वाल्मिकीनगर से, दाउद अली डुमरांव से, राजद के राघवेंद्र प्रताप सिंह बड़हरा, अजय कुमार बुल्गानीन मोहिद्दीनगर से और कृष्णनंदन यादव अतरी से चुनाव मैदान में थर्ड फंट्र के प्रत्याशी के रूप में उतरे हैं. इसी तरह दो सीटिंग महिला विधायक अमला देवी त्रिवेणीगंज से और मीना द्विवेदी गोविंदगंज से चुनाव लड़ रही हैं. श्रीभगवान सिंह और विधायक भाई दिनेश दोनों ही जगदीशपुर से राजद के टिकट के दावेदार थे. राजद ने दोनों को टिकट नहीं दिया. श्रीभगवान सिंह पप्पू यादव की पार्टी में शामिल हो गये. अब वे इस नयी पार्टी के रणनीतिकार बन गये हैं.

करीब तीन दर्जन पूर्व विधायक भी थर्ड फ्रंट के साथ हैं. इसमें धर्मेश वर्मा, उदय मांझी, अवनीश सिंह, रामचंद्र सिंह यादव, श्रीभगवान सिंह कुशवाहा, अखलाक अहमद, सुरेश मेहता सरीखे नेता शामिल हैं, जो इस बार चुनाव मैदान में होंगे. समाजवादी पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र सिंह यादव के साथ चुनाव अभियान की कमान पूर्व मंत्री रघुनाथ झा संभाल रहे हैं.

श्री झा हाल ही में सपा में शामिल हुए थे.सीटिंग विधायक व पूर्व विधायकों के छोटे दलों में आने से एनडीए और महागंठबंधन के दलों की मुश्किलें भी बढ़ गयी हैं. कई चुनाव क्षेत्रों में छोटी पार्टियों में शामिल बड़े दलों के नेता परिणाम को प्रभावित करने की कूबत रखते हैं.

यही वजह है कि भाजपा नेतृत्व ने इस स्थिति को भांप कर अपने नाराज और बेटिकट हुए नेताओं को मनाने में लगी है. हाल ही में केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह ने पूर्व मंत्री कैलाशपति मिश्र की बहु दिलमणि देवी से मुलाकात की थी.

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