पटना: अगर किसी को दिल का दौरा पड़े और उसे आधे घंटे के भीतर (टेनेक्टाप्लेस) दवा दी जाये, तो हार्ट अटैक को पूरी तरह से रोका जा सकता है. वहीं एक घंटे के भीतर भी दवा दी जाये, तो दिल के दौरा से मरनेवाले मरीजों की संख्या को कम किया जा सकता है.
देखा गया है दिल के दौरा पड़ने के बाद परिवारवाले मरीज को सबसे पहले एंबुलेंस से हॉस्पिटल ले जाने की तैयारी में जुट जाते हैं. ऐसी स्थिति में मरीज के लिए एक मिनट भी भारी पड़ता है, जहां देर होने के बाद मरीज की मौत संभावना बढ़ जाती है, लेकिन इसके पहले दवा का सेवन कराने से मरीज का इलाज अस्पताल के पूर्व भी संभव है.
ये बातें रविवार को इस्ट इंडिया इंटरवेंशन कार्डियोलॉजी कन्क्लेव एवं कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की बिहार शाखा के तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान वैज्ञानिक सत्र में हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ अजय कुमार सिन्हा ने कहीं. उन्होंने कहा कि इस दवा को देने के पहले इसकी पुष्टि करना अति आवश्यक है कि मरीज को हार्ट अटैक ही हुआ है और इसके लिए या तो पीएचसी स्तर तक पारा मेडिकल स्टाफ को ट्रेंड किया जाये या फिर घटना के तुरंत बाद चिकित्सक को खबर की जाये, ताकि पुष्टि होने के बाद मरीज की जान बचाने के लिए तुरंत दवा दी जा सके. अगर देर रात कोई घटना घटती है और उस वक्त ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सक व पारा मेडिकल स्टाफ न मिले, तो एक ऐसी व्यवस्था बनायी जानी चाहिए कि टेली मेडिसिन के द्वारा तुरंत किसी हृदय रोग विशेषज्ञ से राय ली जा सके. ऐसा करने से हार्ट अटैक के एक हजार लोगों में से कम-से-कम 70 लोगों की जान बचायी जा सकती है.
डॉ सिन्हा ने कहा कि इस दवा को देने के बाद हृदय में बननेवाला थक्का पूरी तरह से खत्म हो जाता है और वह थक्का इतना पतला हो जाता है और हृदय में रक्त का प्रवाह तेजी से होने लगता है और मरीज स्वस्थ होने लगता है. डॉ सिन्हा ने कहा कि इस दवा को सभी दुकानों व अस्पतालों में रखने की जरूरत है. दवा महंगी होने के कारण सरकार को चाहिए कि इस दवा पर सब्सिडी दे. इस अवसर पर डॉ आरके अग्रवाल, डॉ एसएस चटर्जी, डॉ यूसी सामल, डॉ संजीव कुमार, डॉ बसंत सिंह, डॉ केके वरुण, डॉ एके झा सहित अन्य लोग मौजूद थे.