रविवार को जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की ओर से जनता के मुद्दे विषय पर परिचर्चा में मेधा पाटकर ने कहा कि इस चुनाव में जन संगठनों का हस्तक्षेप कैसे हो और चुनाव में जन मुद्दों को कैसे प्रभावी बनाया जाये, ताकि राजनीतिक पार्टियां अपने घोषणा पत्र या चुनाव प्रचार में शामिल करें. इसके लिए जन संगठनों को गांव-गांव जाना होगा और लोगों को जागरूक करना होगा. बिहार के लोगों में राजनीतिक सोच सबसे अधिक है.
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लैंड मार्क होगा बिहार का चुनाव : मेधा
पटना : सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि दिल्ली चुनाव को भी देश का चुनाव कहा जा रहा था और अब बिहार चुनाव को देश का चुनाव कहा जा रहा है. बिहार का चुनाव देश का चुनाव हो या नहीं हो, लेकिन यह चुनाव परीक्षा जरूर है, जो देश का भविष्य तय करेगा. इसलिए […]
पटना : सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि दिल्ली चुनाव को भी देश का चुनाव कहा जा रहा था और अब बिहार चुनाव को देश का चुनाव कहा जा रहा है. बिहार का चुनाव देश का चुनाव हो या नहीं हो, लेकिन यह चुनाव परीक्षा जरूर है, जो देश का भविष्य तय करेगा. इसलिए बिहार का चुनाव लैंड मार्क होगा.
बिहार में बहुत समाजवादियों को देखा : बिहार के लोग कर्पूरी ठाकुर से नीतीश कुमार तक के समाजवादियों को देखा है. अब मोदीवाद की चुनौती है. वर्तमान में महागंठबंधन, एनडीए और थर्ड फ्रंट सामने हैं. नीतीश जी का घूसखोरी व कमीशनखोरी आधारित विकास है, तो मोदी जी का कॉरपोरेट आधारित विकास है. लोस चुनाव के बाद मोदी जी का ग्राफ गिरा है और बिहार इस ग्राफ को और नीचे करेगा या ऊपर उठायेगा, यह जनता ही तय करेगी. हालांकि, मोदी शासन आने के बाद देश बहुत कुछ खोया है.
माेदी के विकास मॉडल की भी खुल रही पोल : मेधा पाटकर ने कहा कि गुजरात के विकास मॉडल पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा की गयी. अब मोदी की गुजरात मॉडल की भी पोल खुल रही है. शिक्षा के क्षेत्र में गुजरात 11वें स्थान पर है. इसके साथ प्रत्येक तीन मिनट पर एक बलात्कार की घटना, बेरोजगारी, हार्दिक पटेल का आंदोलन, दिन-प्रतिदिन विस्थापितों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. अब इसकी भी पोल खुलनी शुरू हो गयी है. मौके पर महेंद्र यादव, रंजीत, रूपेश, प्रदीप, कामायनी स्वामी, पद्मश्री सुधा वर्गीज आदि मौजूद रहे. वीरेंद्र कुमार राय, नवेदिता झा सहित कई लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये.
जन संगठनों की मुद्दा
सांप्रदायिकता, स्मार्ट सिटी व शहरी गरीब, गैर बराबरी, आरक्षण, जमीन, भूमि अधिग्रहण व विस्थापन, इस्टर्न डेडीकेटेड फ्रंट काॅरिडोर व अमृतसर-कोलकाता इंडस्ट्रियल काॅरिडोर, प्राकृतिक संसाधन, कोसी पुनर्वास, पलायन, रोटी-कपड़ा-मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेंशन और रोजगार गारंटी कानून आदि शामिल है.
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