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समस्या. चुनाव को लेकर स्कूलों में फौजियों ने जमाया डेरा, स्टूडेंट कहां जायें
पटना : चुनाव की रणभेरी बजते ही स्कूलों में फौजियों का डेरा जम गया है. स्कूल के क्लास रूम से असेंबली हॉल तक फौजियों के सामानों से स्कूल छावनी में तब्दील हो चुका है. इस कारण स्कूल प्रशासन से लेकर बच्चों की मुश्किलें बढ़ चुकी हैं. ऐसे में भला बच्चे इन परिस्थितियों में पढ़ाई कैसे करे़ पटना जिले के 221 स्कूल ऐसे हैं, जहां लगभग 50 से 100 जवानों को ठहराया गया है.
चुनाव परिणाम आने तक स्कूलों में इनकी मौजूदगी रहेगी़ इस दौरान स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह से ठप रहेगी. इलेक्शन के तुरंत बाद दीवाली और छठ की छुट्टियां हो जाएंगी. ऐसे में सितंबर, अक्तूबर और नवंबर पूरे तीन महीने बच्चे स्कूल की पढ़ाई से दूर रहेंगे. ऐसे में उनके सिलेबस कब पूरे होंगे और परीक्षा में क्या लिखेंगे.
ऐसे चढ़ती रही है बच्चों की शिक्षा की बलि : शिक्षण सत्र 2015-16 में बच्चों की पढ़ाई बाधित होने का सिलिसला अब तक जारी है. सत्र के शुरुआत में अप्रैल से मई माह तक नियोजित शिक्षकों की हड़ताल से पूरे एक महीने तक पढ़ाई बाधित रही़ उसके बाद भूंकप के कारण समय से पहले ही गरमी की छुट्टियां भी कर दी गयी. अब चुनावी माहौल में सितंबर से नवंबर तक स्कूलों में पढ़ाई से बच्चे दूर रहेंगे.
शौचालय की हो रही परेशानी
समाजिक विज्ञान की शिक्षिका विनिता बताती हैं कि स्कूल कैंपस में प्रवेश करने से लेकर हर वक्त जबाव देना होता है. यहां तक वॉशरूम जाने के दौरान भी जवानों द्वारा रोक-टोक किया जाता है. ऐसे में बस क्लास रूम में जाना हमारी मजबूरी बन गयी है. बच्चों को क्लास रूम से बाहर जाने की इजाजत नहीं. न तो उनके लिए क्लास रूम की सुविधा है और न ही शौचालय की़ स्कूलों में मौजूद शौचालय में फौजियों के आने से लड़कियों की परेशानी बढ़ गयी है, जिससे अब वे स्कूल नहीं आना पसंद कर रही हैं.
बोर्ड परीक्षार्थियों की बढ़ी परेशानी
स्कूल की कक्षाएं सस्पेंड होने से सबसे ज्यादा परेशानी बोर्ड के बच्चों की बढ़ गयी है. बांकीपुर गर्ल्स हाई स्कूल की दसवीं छात्रा आयशा और शबाना बताती हैं कि अभी मात्र एक तिहाई सिलेबस ही कंप्लीट हो पाया है, पर अभी से स्कूलों में पढ़ाई ठप है. वहीं, स्कूलों में शिक्षक भी चुनाव कार्यों में लगे हैं. यदि वे लोग स्कूल आ भी जाते हैं, तो पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं रहते़ बीएन कॉलेजिएट स्कूल की छात्रा जैबिना अलि बताती हैं कि स्कूल में क्लास नहीं हाे पा रही है.
अभी से स्कूलों में क्लास सस्पेंड है. बच्चे स्कूल आते भी हैं, तो उनके बैठने के लिए क्लास रूम नहीं है. एक कमरे में लगभग 100 बच्चों को बैठना पड़ रहा है. यहां तक पानी तक की समस्या हो गयी है. पुराने बोरिंग से पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलने से बच्चे और शिक्षकों को पानी के लिए इंतजार करना पड़ता है.
गायत्री सिंह, प्राचार्य बीएन कॉलेजिएट स्कूल

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