पटना: फरवरी, 2014 में विधानमंडल में पेश होनेवाले बिहार बजट के लिए अब तक आधा दर्जन विभागों ने ही अपना प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा है. जो प्रस्ताव आये हैं, वे भी अधूरे. विभागों की संख्या 46 है.
किसी विभाग ने प्रोपर फॉर्मेट में बजट प्रस्ताव नहीं दिया है, तो किसी के प्रस्ताव में अधिकारियों के हस्ताक्षर नहीं हैं. अब जब वित्त विभाग ने दबाव बनाना शुरू किया है, तो बहाना भी अजीबोगरीब ढूंढे गये हैं. विभागीय प्रमुखों का कहना है कि उनके पास ऑनलाइन बजट प्रस्ताव बनानेवाले एक्सपर्ट कर्मचारी व अधिकारी नहीं हैं, इसलिए उन्हें प्रशिक्षण देने की जरूरत है. अब इसी से समझा जा सकता है कि बिहार के सरकार सरकारी कार्यालयों को पेपर लेस बनाने में कितना सक्षम है. सरकार ने पहले राज्य का बजट कैसा हो इस पर जनता की राय और समाज के सभी वर्गो के प्रतिनिधियों के साथ रायशुमारी के बाद बजट बनाने का काम शुरू किया था.
अब सरकार ने बजट की तैयारी ऑनलाइन करना शुरू किया, तो इसके रास्ते में अड़चन आने लगा है. योजना थी कि वित्तीय वर्ष 2014-15 से बिहार का बजट ऑनलाइन रहेगा. मकसद यह भी था कि राज्य की जनता अब यह जान सकेगी कि राज्य का बजट कितना है. कौन विभाग जनता के काम पर कितना खर्च कर रहा है. जनता यह भी जान सकेगी उनके पैसे का कितना सदुपयोग और कितना दुरुपयोग हो रहा है. कितना पैसा अधिकारियों व नेताओं की सुख सुविधा पर खर्च हो रहा है. पहले यह किताबों तक सिमट कर रह जाता था. अब यह सूचना सार्वजनिक रहेगी.