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संभलो, नहीं तो गड्ढे में गिरोगे
नगर निगम ने शहर में छोड़ रखे हैं खुले मैनहोल, कदम-कदम पर दुर्घटना को न्योता पटना : राजधानी यानी पटना नगर निगम की सड़कों पर चलते है, तो सोच-समझ कर और नीचे देख कर चले. अन्यथा, कहां मैनहोल या कैचपीट में गिर कर जख्मी हो जायेंगे, कहना मुश्किल है. निगम क्षेत्र की मुख्य सड़कों से […]
नगर निगम ने शहर में छोड़ रखे हैं खुले मैनहोल, कदम-कदम पर दुर्घटना को न्योता
पटना : राजधानी यानी पटना नगर निगम की सड़कों पर चलते है, तो सोच-समझ कर और नीचे देख कर चले. अन्यथा, कहां मैनहोल या कैचपीट में गिर कर जख्मी हो जायेंगे, कहना मुश्किल है. निगम क्षेत्र की मुख्य सड़कों से साथ-साथ मुहल्लों की सड़कों पर भी मौत का कुआं मुंह खोले खड़ा है. इसके चलते आने-जानेवाले लोगों को कूद-कूद कर गुजरना पड़ रहा है.
बड़ी बात है कि खुले मैनहोल में कोई बड़ा हादसा होने के बाद भी निगम प्रशासन की नींद नहीं खुलती है. हाइकोर्ट की फटकार के बाद मैनहोल व कैचपीट ढ़कने की योजना बनायी जाती है. हाइकोर्ट ने एक बार फिर खुले मैनहोल को लेकर फटकार लगायी, तो बुधवार को नगर आयुक्त ने समीक्षा बैठक रखी है. बैठक में चारों अंचल के कार्यपालक पदाधिकारियों को खुले मैनहोल की संख्या और विस्तृत जानकारी के साथ उपस्थित होना है.
मॉनसून शुरू होते ढका गया था मैनहोल
मॉनसून के दौरान कोई मैनहोल खुला नहीं रहे, इसको लेकर नगर आयुक्त ने चारों अंचल को दस-दस लाख रूपये आवंटित किये. इस राशि से चारों अंचल में खुले मैनहोल व कैचपीट पर ढ़क्कन चढ़ाना था. इसके बावजूद सितंबर माह में सैकड़ों की संख्या में मैनहोल व कैचपीट खुले है. यह मैनहोल सिर्फ गलियों में ही नहीं है, बल्कि बिस्कोमान भवन के सामने, बैंक रोड, न्यू पूर्णेंदू नगर, चांदपुर बेला, लोहानीपुर, मौर्यालोक के प्रवेश गेट, अशोक नगर, डिफेंस कॉलोनी, डॉक्टर्स कॉलोनी आदि जगहों पर खुले है.
एक ही डिजाइन पर बनाया जाता है ढक्कन
पिछले दस वर्षों से एक ही डिजाइन के मैनहोल व कैचपीट के ढ़क्कन बनाये जा रहे है, जो कारगर नहीं है. इसके बावजूद निगम प्रशासन एक ही तरह का ढ़क्कन चढ़ाता है, जो भारी वाहन की लोड नहीं सहन कर पाता है और जल्द ही टूट जाता है. इसके साथ ही ढ़क्कन बनाने में गुणवत्ता का भी ख्याल नहीं रखा जाता है, जिससे मैनहोल ढ़कने के बाद माह-दो माह में ही खुल जाता है.
जून-जुलाई में मैनहोल व कैचपीट ढ़कने का कार्य पूरा किया गया था. फिर भी अभी मैनहोल खुला है. बुधवार को सभी कार्यपालक को खुले मैनहोल की सूची लेकर बुलाया है. इसके बाद इन खुले मैनहोल को ढ़क लिया जायेगा. मैनहोल के ढ़क्कन के डिजाइन को चेंज करने पर भी काम किया जा रहा है, ताकि जल्द टूटने से बचाया जा सके.जय सिंह, नगर आयुक्त, पटना नगर निगम
हादसे से सीख नहीं लेता निगम
केस-1 : खाजपुरा मुहल्ले में नया नाला का निर्माण किया गया. लेकिन, मैनहोल खुला छोड़ दिया. इस मैनहोल में पिछले वर्ष मॉनसून के दौरान एक व्यक्ति रात में गिरा और घटना स्थल पर ही मौत हो गयी. घटना के अगले दिन स्थानीय लोगों ने शव को देखा. इस घटना की जांच तत्कालीन नगर आयुक्त कुलदीप नारायण ने करायी, जांच रिपोर्ट भी आयी. इसके बावजूद दोषी अधिकारी या कर्मचारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
केस-2 : कंकड़बाग के ऑटो स्टैंड से मलाही पकड़ी जानेवाली सड़क पर नाला का निर्माण किया गया.लेकिन, मैनहोल नहीं ढ़का गया था. पिछले मॉनसून में बारिश के दौरान ही एक व्यक्ति रात्रि में मैनहोल में गिर गया और उसकी मौत हो गयी. अगले दिन व्यक्ति की खोज किया गया, तो मैनहोल में मृत मिला. इसके बाद स्थानीय लोगों ने धरना-प्रदर्शन किया. लेकिन, दोषी अधिकारी या कर्मचारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
केस-3 : इसी वर्ष मई माह में हड़ताली मोड़ से दारोगा राय पथ जानेवाली सड़क पर एक व्यक्ति रात्रि में मैनहोल गिर गया.
नाला इतना गहरा था कि लोगों के प्रयास करने के बाद भी जिंदा नहीं बचाया जा सका और घटना स्थल पर ही व्यक्ति की मौत हो गयी. इस घटना के बाद रात्रि में ही स्थानीय लोगों ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया. विरोध को देखते हुए पुलिस पहुंची और लोगों को शांत कराया. इस मैनहाेल को निगम प्रशासन ने तीन दिन बाद ढ़का था.
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