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पीयू के अफसर काम के लायक नहीं

पटना : पटना हाइकोर्ट ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय के अधिकारी अक्षम हैं और काम करने लायक नहीं रह गये हैं. मंगलवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की काेर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी की. उन्होंने बुधवार को पीयू के कुलपति डा वाइसी सिम्हाद्री, रजिस्ट्रार संजय कुमार सिन्हा और […]

पटना : पटना हाइकोर्ट ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय के अधिकारी अक्षम हैं और काम करने लायक नहीं रह गये हैं. मंगलवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की काेर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी की. उन्होंने बुधवार को पीयू के कुलपति डा वाइसी सिम्हाद्री, रजिस्ट्रार संजय कुमार सिन्हा और पटना के एसएसपी को उपस्थित होने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने कहा कि पटना विवि को पटना हाइकोर्ट नहीं चला सकता. इसे विवि के अधिकारी ही चलायेंगे. कोर्ट की नाराजगी विवि परिसर से अतिक्रमण हटाने में अधिकारियों की विफलता को लेकर थी. कोर्ट ने बुधवार की सुनवाई के दौरान अब तक अतिकक्रमण हटाने के लेकर की गयी कार्रवाई की जानकारी विस्तार से बताने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि कुलपति, रजिस्टार और अधिकारी यह बताएं कि अतिक्रमण हटाने को लेकर अब तक क्या किया गया है.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पटना विवि जब भी पुलिस-प्रशासन का सहयोग मांगता है, सरकार उसे उपलब्ध कराती रही है. अब पटना विवि प्रशासन का काम है कि वह सरकार के सहयोग का उपयोग किस प्रकार करता है. अतिक्रमण हटाने के मामले को लेकर सुनवाई बुधवार को भी होगी. गौरतलब है कि हाइकोर्ट ने पटना विवि को अतिक्रमण मुक्त करने का निर्देश दे रखा है. मुगलवार को इसकी समीक्षा रिपोर्ट कोर्ट में पेश होनी थी.
पटना : हाइकोर्ट ने राज्य सरकार के मेडिकल काॅलेजों में एमबीबीएस व बीडीएस में अनुसूचित जाति और जनजाति कोटे के छात्रोंं का नामांकन निर्धारित से कम अंक पर लिये जाने के मामले में फैसला राज्य सरकार पर छोड़ दिया है.
न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी की कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में कुमार शशिरंजन एवं अन्य की ओर से दायर याचिका को निष्पादित करते हुए कहा कि कोर्ट इस मामले में कुछ नहीं कर सकती. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार को उचित निर्णय लेना चाहिए. मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया एमसीआइ ने राज्य सरकार को निर्धारित अंक से कम अंक वाले नामांकित छात्रों के नामांकन को रद्द करने का निर्देश दिया है. एमसीआइ के इस आदेश के खिलाफ संबंधित छात्रों ने पटना उच्च न्यायालय की शरण ली है. कोर्ट ने कहा, एससी-एसटी के वर्ग के छात्रों को नामांकन में आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है.
फिर भी गुणवत्ता में सुधार नहीं होता है, तो कोर्ट क्या कर सकती है. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा कि वह अपने स्तर से मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया को इस संबंध में आवश्यक निर्देश दें. सरकारी मेडिकल काॅलेजों में एमबीबीएस औरर बीडीएस की 812 सीटें हैं. 2015-16 सत्र के लिए 19 अप्रैल, 2015 को प्रारंभिक लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था.
17 मई, 2015 को मुख्य परीक्षा ली गयी. पांच जून, 2015 को परीक्षा परिणाम घोषित किये गये. याचिकाकर्ता का कहना था कि अब भी आरक्षित कोटे की कई सीटें खाली हैं. इस पर कम अंक वाले आवेदकों को नामांकन का मौका दिया जाना चाहिए.

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