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कब बदलेगा समाज : गांव छूटा, स्कूल छूटा पर छेड़खानी से नहीं छूटा छात्रा का पीछा

पटना : गांव में रह कर गर्ल्स स्कूल में पढ़नेवाली 10वीं की छात्रा (16 वर्ष) एक महीने से स्कूल नहीं जा रही है. स्कूल और कोचिंग जाते समय 30 वर्षीय आरोपित सुखारी कुमार रास्ते में उसका पीछा करता था और हाथ पकड़ लेता था. वह साथ सिनेमा चलने की बात करता था और मना करने […]

पटना : गांव में रह कर गर्ल्स स्कूल में पढ़नेवाली 10वीं की छात्रा (16 वर्ष) एक महीने से स्कूल नहीं जा रही है. स्कूल और कोचिंग जाते समय 30 वर्षीय आरोपित सुखारी कुमार रास्ते में उसका पीछा करता था और हाथ पकड़ लेता था. वह साथ सिनेमा चलने की बात करता था और मना करने पर गाली देता था और अश्लील बातें करता था.

घरवालों ने सुखारी के खिलाफ एफआइआर करायी और गांव छुड़ा कर बेटी को पटना में चाचा के घर भेज दिया. लेकिन, यहां भी उसका छेड़खानी से पीछा नहीं छूटा़ आरोपित युवक पटना में भी उसका रोज पीछा करता रहता है.

छात्रा के पिता का आरोप है कि युवक धमकी भी दे रहा है. उन्होंने उचित कार्रवाई की मांग की है. सुखारी अनिसाबाद से पटना तक ऑटाे चलाता है. वह छात्रा को लगातार परेशान कर रहा है. छात्रा के चाचा और पिता ने मंगलवार को एसएसपी कार्यालय आये. देर शाम उन्‍होंने एसएसपी विकास वैभव से मिल कर आवेदन दिया और कार्रवाई की मांग की़ पिता का कहना है कि युवक ने तबाह कर दिया है.

बेटी को स्कूल छुड़ा कर पटना भेज दिया था, लेकिन यहां भी वह पीछे पड़ा हुआ है. पुलिस ने लड़की का बयान दर्ज करा लिया है, पर उसकी गिरफ्तारी नहीं कर रही है, जबकि वह रोज सड़क पर ऑटो चलाते दिख जाता है़

नाबिलग के मामले में पोक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई

वर्ष 2012 में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पोक्सो एक्ट) लागू किया गया है. इस एक्ट के तहत नाबालिग लड़कों व लड़कियों के साथ होनेवाली छेड़खानी व रेप के मामले में स्पेशल कोर्ट द्वारा मामले को देखा जाता है. इसमें आरोप सिद्ध होने पर तीन साल से पांच साल तक की सजा का प्रावधान है. इसमें भी कार्रवाई के लिए श्रेणी है.

प्रदेश भर में छेड़खानी के प्रत्येक माह में 350-400 मामले होते हैं दर्ज

छेड़खानी के मामले पूरे प्रदेश में तेजी से बढ़े हैं. गांव व शहर दोनों जगह मामलों में इजाफा हुआ है.

लोक-लोज के कारण ज्यादात्तर मामले आया तो थाने तक पहुंच ही नहीं पाते हैं या फिर थाने पर मैनेज हो जाते हैं. कुछ मामले में आरोप साबित नहीं हो पाता इसलिए उचित कार्रवाई नहीं हो पाती है. एनसीआरबी के मुताबिक छेड़खानी के मामले का औसत देखा जाए तो बिहार में प्रत्येक माह 350-400 मामले दर्ज होते हैं.

ये हैं कार्रवाई के प्रावधान

छेड़खानी के मामले में पुलिस आइपीसी की धारा 354 के तहत मुकदमा दर्ज करती है. इसमें सजा के लिए अलग- अलग कंडिशन हैं. इसमें 354 क, ख, ग, घ की श्रेणी बनायी गयी है. सभी श्रेणियों में सजा के अलग-अलग प्रावधान हैं. आरोप सिद्ध होने पर इसमें कम-से-कम एक वर्ष से लेकर 10 वर्ष की सजा व जुर्माना का प्रावधान है.

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