22.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पटना : जमीन तैयार, वार का इंतजार

पटना जिले में विधानसभा की 14 सीटें हैं. 2010 के चुनाव में भाजपा को छह और जदयू को पांच सीटों पर कामयाबी मिली थी. तब दोनों पार्टियों के बीच गंठबंधन था. इस गंठबंधन के प्रतिद्वंदी राजद को केवल तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी. अब राजनीति परिदृश्य बदल गया है. जदयू, राजद और कांग्रेस […]

पटना जिले में विधानसभा की 14 सीटें हैं. 2010 के चुनाव में भाजपा को छह और जदयू को पांच सीटों पर कामयाबी मिली थी. तब दोनों पार्टियों के बीच गंठबंधन था. इस गंठबंधन के प्रतिद्वंदी राजद को केवल तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी. अब राजनीति परिदृश्य बदल गया है.

जदयू, राजद और कांग्रेस की ताकत एक तरफ होगी, तो दूसरी ओर होगा भाजपा, लोजपा, रालोसपा और हम का गंठबंधन. पटना की सीटों का अपना राजनीतिक महत्व है और इस नाते सभी पार्टियां अपने प्रदर्शन को बेहतर करने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहती हैं, पर बड़ा सवाल दोनों गंठबंधनों के बीच सीटों के तालमेल को लेकर बना हुआ है.

मोकामा

रोचक हुई मोकामा की लड़ाई

मोकामा विधानसभा क्षेत्र शुरु से चर्चा में रहा है. यहां से अनंत सिंह विधायक हैं. वे इन दिनों जेल में हैं. उन्होंने जदयू से इस्तीफा दे दिया है. दलहन की खेती के लिए देश भर में मशहूर मोकामा विधान सभा क्षेत्र आज भी विकास के मामले में अछूता है. बाढ़-बरसात के वक्त मोकामा के घोसावरी प्रखंड के 50 गांव बाकी दुनिया से कट जाते हैं. सिर्फ नांव ही इस प्रखंड का सहारा रह जाती है.

मोकामा में न सड़कों का निर्माण हुआ है, न गांवों में बिजली पहुंची है. यही नहीं, मोकामा टाल क्षेत्र के विकास का मामला भी अधर में लटका है. पिछली बार अनंत सिंह ने मोकामा सीट से 18 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. उन्होंने लोजपा की सोनू देवी को शिकस्त दी थी. सोनू देवी सूरजभान सिंह के भाई ललन सिंह की पत्नी हैं.

इस बार बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि अनंत सिंह किस दल से चुनाव लड़ेंगे. क्षेत्र में चर्चा है कि वे निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकते हैं. जदयू से गंठबंधन टूटने के बाद मोकामा सीट से इस बार भाजपा अपना प्रत्याशी देने के मूड में है. यहां से भाजपा की ओर से राणा सुधीर प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.

वे पार्टी की प्रदेश कार्य समिति के सदस्य भी हैं. पिछले विधान सभा चुनाव में इस सीट से सेकंड रही लोजपा भी अपना दावा ठोंकेगी. लोजपा के अलावा मोकामा से कांग्रेस भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतार सकती है.

अब तक

इस सीट से पिछला विधानसभा चुनाव जीतने वाले अनंत सिंह ने जदयू से नाता तोड़ लिया है. इस बार वह चुनाव लड़ंेगे या नहीं, यह भी साफ नहीं है. राजद की भी नजर है.

इन दिनों

जदयू से गंठबंधन टूटने के बाद भाजपा इस बार मोकामा से अपना प्रत्याशी देगी. कांग्रेस भी इस मोरचे पर मंथन कर रही है. सभी दलों की सक्रियता बढ़ गयी है.

प्रमुख मुद्दे

इलाके को अपराध मुक्त करना

टाल क्षेत्र की समस्या का समाधान

सिंचाई सुविधा बहाल करना

बांकीपुर

कद्दावर प्रत्याशी की तैयारी

नये परिसीमन के आधार पर बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र का पिछला चुनाव हुआ था. उसके पहले तक इसे पटना पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के रु प में जाना जाता था. पिछले विधानसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के नितीन नवीन ने जीती थी. उन्होंने राजद के विनोद श्रीवास्तव को हराया था. इस क्षेत्र पर (पुराने पटना पश्चिम) भाजपा ने कई बार जीत का परचम लहराया है.

1995 में नितिन नवीन के पिता नवीन किशोर सिन्हा ने जीत दर्ज की थी. उनके पहले सांसद रवि शंकर प्रसाद के पिता ठाकुर प्रसाद ने जीत दर्ज की थी. हालांकि इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के रु प में दो-दो बार रामानंद यादव को भी जीत मिली थी. उनके अलावा 1980 में कांग्रेस के रंजीत सिन्हा यहां से विधायक बनने में सफल हुए थे.

नितिन नवीन ने पिछली बार जब चुनाव जीता था, तब जदयू के साथ भाजपा का गंठबंधन था. इस बार उनका सामना एनसीपी के अकील हैदर या जदयू के रवींद्र सिंह से हो सकता है. नितिन नवीन ने पिछला चुनाव 62,300 वोटों से जीता था. पिछली बार भाजपा ने राजद को बड़े मतों से करारी हार दी थी. राजद से पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद के खास माने जाने वाले विनोद श्रीवास्तव को करारी शिकस्त खानी पड़ी थी. लोकसभा चुनाव में भी इस क्षेत्र में भाजपा को सबसे अधिक वोट मिले थे.

अब तक

कोई बड़ा सियासी उलट-फेर नहीं हुआ है. इस सीट पर भाजपा का असर माना जाता है. कई चुनावों से पार्टी का इस सीट पर कब्जा है.

इन दिनों

सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. जदयू की ओर से घर-घर दस्तक कार्यक्रम चला. भाजपा का जनसंपर्क चल रहा है.

प्रमुख मुद्दे

पेयजल की समस्या

इलाके में जल जमाव

व्यवसायियों की सुरक्षा

स्कूलों की स्थिति में सुधार

बाढ़

दिलचस्प नजारा तैयार

बाढ़ विधान सभा क्षेत्र में इस बार चुनावी रंग बदला-बदला-सा होगा. 2010 के विधानसभा चुनाव में यहां से जदयू के टिकट पर ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू चुनाव जीते थे. उन्होंने राजद प्रत्याशी विजय कृष्ण को पराजित किया था. ज्ञानू ने अब भाजपा का दामन थाम लिया है, जबकि विजय कृष्ण एक मामले में जेल में हैं. भाजपा-जदयू के बीच गंठबंधन होने के कारण पिछली बार भाजपा ने अपना प्रत्याशी यहां नहीं दिया था. आज की तारीख में भाजपा की ओर से राणा सुधीर प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं, किंतु ज्ञानू के भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी दावेदारी प्रभावित हो सकती है. वैसे लोकसभा चुनाव में लोजपा का यहां सर्वश्रेष्ठ प्रुदर्शन रहा था. बाढ़ से राजद इस बार अपना प्रत्याशी देगा, ऐसी चर्चा है. हालांकि उसने अभी किेसी का नाम नहीं खोला है.

वहीं, सीट मिलने कह उम्मीद में इसके कई नेता टिकट की दौड़ में शामिल हैं. हम और सपा-बसपा भी बाढ़ से अपना प्रत्याशी खड़ा करने की सोच रही हैं. ऐसे में इस बार बाढ़ विधान सभा का चुनाव बेहद दिलचस्प होगा. बाढ़ सीट पर 1990 से अब-तक जनता पार्टी, राजद, समता पार्टी और जदयू का ही कब्जा रहा है. फिलवक्त सीट के बंटवारे पर नजर है.

विजय कृष्ण सिंह दो बार, बुलो मंडल और ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू एक-एक बार यहां से विधायक रहे हैं.

अब-तक

90 के दशक से बाढ़ सीट पर गैर भाजपाईयों का कब्जा रहा है. पहली बार भाजपा की ओर से ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू के यहां से मैदान में उतरने की चर्चा है. इस बार के विधान सभा चुनाव में यह भी साफ हो जायेगा कि क्या बाढ़ भाजपा के लिए उर्बरा जमीन साबित होगी?

इन दिनों

बाढ़ सीट मुख्यमंत्नी नीतीश कुमार से ले कर भाजपा के लिए भी प्रतिष्ठा की सीट बन गयी है. ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू के मैदान में उतरने की चर्चा मात्न से इस सीट पर सबकी निगाहें लगी हैं.

अब तक

जदयू से जीते ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू अब भाजपा के साथ हैं. भाजपा

के राणा सुधीर भी टिकट के दावेदार हैं. राजद और जदयू की ओर से भी दावेदारी की जा रही हैं.

इन दिनों

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह इलाका है. इस लिहाज से

जदयू पूरी गंभीरता से संपर्क अभियान चला रहा है. भाजपा का परिवर्तन रथ गांव-गांव घूम रहा है.

प्रमुख मुद्दे

बाढ़ को जिला घोषित किये जाने की पुरानी मांग

क्षेत्र को अपराध से मुक्ति कराना

सुदूर इलाकों में सड़क, बिजली.

कुम्हरारजीत-हार की बन रही रणनीति

परिसीमन के पहले तक इस सीट की पहचान मध्य पटना सीट के रूप में थी. अब इसकी पहचान कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र से होती है. इसे भाजपा की परंपरागत सीट माना जाता है. 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के अरु ण कुमार सिन्हा ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की थी. उन्होंने लोजपा के कमाल परवेज को करारी शिकस्त दी थी.

कुम्हरार सीट पर पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने तीन बार जीत दर्ज की थी. यही नहीं, पटना मध्य से शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव भी भाजपा प्रत्याशी के रु प में जीत हासिल करने में सफल रहे थे. हालांकि यहां से अकील हैदर और जाबिर हुसैन जैसी लोगों ने भी जीत का परचम लहराया था. अरु ण सिन्हा विधानसभा में सत्ताधारी दल के और अब विरोधी दल के मुख्य सचेतक हैं.

इस बार भाजपा उन्हें पुन: मैदान में उतारेगी, इतना तय माना जा रहा है. इस बार उनका सामना जदयू के अजय वर्मा या राजीव रंजन प्रसाद से हो सकता है. एनसीपी ने भी इस बार अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी की है. सभी दलों ने क्षेत्र में सघन जनसंपर्क अभियान चला रखा है. लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने यहां सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था. कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी.

अब तकभाजपा प्रत्याशी ने पिछले विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा मतों से जीत का रिकॉर्ड बनाया था. क्षेत्र की राजनीति में ज्यादा उलट-पुलट नहीं हुआ है. रालोसपा व लोजपा एनडीए के साथ है.

इन दिनों

इस सीट पर महागंठबंधन से जदयू व राजद दोनों दावेदार हैं. एनसीपी भी प्रत्याशी देगी. कांग्रेस भी दावेदारी में पीछे नहीं है. सभी दल अलग-अलग मुद्दों के सहारे पिछले कई माह से सक्रिय हैं.

प्रमुख मुद्दे

जल-जमाव से निजात

नियमित सफाई की व्यवस्था

ट्रैफिक जाम से मुक्ति

अतिक्रमण से निजात

दीघाटिकट के दावेदार हैं सभी पार्टियों में

दीघा विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में जदयू को जीत मिली थी. पर पार्टी विधायक पूनम देवी का अब जदयू से नाता टूट चुका है. इस विधानसभा सीट पर भाजपा के कई नेताओं की नजर है.

पटना शहर की चार विधानसभा सीटों में से तीन पर भाजपा का कब्जा है. भाजपा इस सीट को अपने पाले में करने को कोशिश कर रही है. यही वजह है कि यहां से टिकट के दावेदारों की संख्या बड़ी है. महागंठबंधन में यह सीट किसके खाते में जायेगी, यह तय नही है.

लेकिन वहां भी कई नेता उम्मीदवारी ले कर सक्रिय हैं. टिकट की इस दौड़ में यहां की समस्याओं को जानने व समझने की किसी को फुरसत नहीं है. इस विधानसभा सीट के कई क्षेत्रों में अब भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है. परिसीमन के बाद दीघा विधानसभा क्षेत्र का यह दूसरा चुनाव है.

यह भी देखा जाना है कि मौजूदा विधायक किस दल के सहारे चुनाव मैदान में उतरेंगी. उधर, एनडीए के घटक रालोसपा की नजर भी इस सीट पर है. पार्टी ने हाल ही में यहां विधानसभा सम्मेलन कर इसके संकेत दिये हैं कि वह इस सीट पर अपना उम्मीदवार देना चाहेगी, लेकिन भाजपा भी इस पर आसानी से अपना दावा नहीं छोड़ने जा रही है.

पार्टी पर स्थानीय कार्यकर्ताओं का भारी दबाव बताया जा रहा है. कुल मिलाकर अभी इसी बात पर टिकी है कि यह सीट किस गंठबंधन में किस घटक दल के खाते में जाती है और वह किसे अपना उम्मीदवार बनाता है. दावेदारों और तालमेल में यह किसके खाते जाती है, इस पर सस्पेंस बना हुआ है.

अब तक

जदयू के टिकट पर जीतीं पूनम देवी बागी हो चुकी हैं. इसके बाद जदयू से टिकट के कई दावेदार हैं. इसके कई नेता क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं. एनडीए में भी कई नेता टिकट को लेकर भाग-दौड़ कर रहे हैं.

इन दिनों

जदयू का हर दस्तक कार्यक्रम के बाद शब्द वापसी अभियान चला. भाजपा ने लगातार अभियान चला रखा है. रालोसपा ने भी विधानसभा स्तरीय सम्मेलन किया है. सभी दलों के पोस्टर व बैनर जगह-जगह टंगे हैं.

प्रमुख मुद्दे

जल जमाव से निजात

नये इलाकों में सड़क की सुविधा

शुद्ध पेयजल की व्यवस्था

पालीगंज

महागंठबंधन में कई दावेदार

पालीगंज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में इस बार मुकाबला रोचक होने वाला है. कभी कांग्रेस की मजबूत सीट रहे पालीगंज की सामाजिक संरचना बदल चुकी है. यहां से रामलखन सिंह यादव 1980 से 90 तक तीन बार लगातार विधायक हुए.

पिछले चुनाव में भाजपा की उषा विद्यार्थी निर्वाचित हुईं थीं. इस बार उनका मुकाबला महागंठबंधन की सम्मिलित ताकत से होने जा रहा है. 2010 में नये परिसीमन में पालीगंज की सीट की बनावट भी बदली है. 1977 में जेपी आंदोलन के बाद हुए चुनाव से लेकर 2010 तक यहां का प्रतिनिधित्व पिछड़ों के ही हाथों में रहा है.

1977 में कन्हाई सिंह विधायक निर्वाचित हुए. 1980 में राम लखन सिहं यादव की जीत हुई. 1985 और 90 में भी उनकी ही जीत हुई. 1995 में चंद्रदेव प्रसाद वर्मा, 2000 में राजद के दीनानाथ सिंह यादव और 2005 के दोनों चुनाव में यह सीट भाकपा माले के कब्जे में गयी. 2010 में इस सीट की बनावट बदली तो भाजपा को मौका मिला और उषा विद्यार्थी की जीत हुई. हालांकि अक्तूबर 2005 के चुनाव में विद्यार्थी हार गयीं थीं. इस बार राजद और जदयू दोनों ही दलों की नजर इस सीट पर है.

अब तक

सामाजिक बनावट बदला तो भाजपा को यहां से पिछले चुनाव में मौका मिला. माले के पूर्व विधायक नंद कुमार नंदा जदयू में शामिल हो चुके हैं. राजद और जदयू से टिकट के कई दावेदार हैं.

इन दिनों

भाजपा की ओर से लगातार जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है. जदयू ने हर घर दस्तक कार्यक्रम किया. राजद और माले की गतिविधियां भी चल रही हैं.

प्रमुख मु्द्दे

ट्रामा सेंटर की स्थापना

एनएच 98 का निर्माण

सोन नहर की बदहाली

बिजली की उपलब्धता

पटना साहिब

20 साल से भाजपा का कब्जा

पटना साहिब विधानसभा क्षेत्र पटना साहिब लोकसभा का हिस्सा है. पहले यह पटना पूर्व विधानसभा क्षेत्र के रूप में जाना जाता था. परिसीमन के बाद इसका नाम पटना साहिब विधानसभा हो गया. यह सीट परंपरागत रूप से भाजपा का गढ़ मानी जाती है. पिछले 20 साल से भाजपा के कब्जे में यह सीट रही है.

वर्तमान में भाजपा के नंद किशोर यादव पिछले चार टर्म से यहां के विधायक हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में यादव ने कांग्रेस के परवेज अहमद को परास्त किया था.

नंद किशोर यादव को 91419 वोट मिले थे, जबकि परवेज अहमद को 26082 वोट. बड़े अंतर से नंद किशोर यादव को जीत मिली थी. इससे पहले उन्होंने जद के रामलखन सिंह को 1995 में, राजद के ज्ञानेंद्र कुमार यादव को 2000 में, अनिल कुमार यादव को फरवरी 2005 में तथा भारती देवी को अक्तूबर 2005 में हराया था.

लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने इस क्षेत्र में बढ़त हासिल की थी. उसने 60 फीसदी से ज्यादा वाट लाया था. कांग्रेस इस चुनाव में भी दूसरे स्थान पर रही थी और उसके वोट प्रतिशत में करीब पांच अंक का इजाफा हुआ था. गंठबंधन टूटने का बड़ा नुकसान जदयू को हुआ. उसकी जमानत तक जब्त हो गयी.

अब तक

इस सीट पर अब तक कोई बड़ा राजनीतिक उलट-फेर नहीं हुआ है. भाजपा ने लोकसभा चुनाव में भी अपनी बढ़त बरकरार रखी. गंठबंधन के ताजा समीकरण में दलों की पकड़ में बदलाव आया.

इन दिनों

भाजपा ने विधानसभा कार्यकर्ता सम्मेलन किया. जदयू का घर-घर दस्तक कार्यक्र म पूरा. इस बार चुनाव मैदान में भाजपा के अलावा जदयू से भी नेता अपनी दावेदारी पेश करने में लगे हैं.

प्रमुख मुद्दे

पेयजल की गंभीर समस्या

बिजली बेहतर करना

सुरक्षा के ठोस उपाय

जाम की समस्या से मुक्ति

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें