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करायेंगे अधिकारियों के कामकाज की जांच : सुशील मोदी

पटना : पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सोमवार को कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में भाजपा नीत एनडीए की सरकार बनी तो अधिकारियों के कामकाज की जांच करायी जायेगी. उन्होंने कहा कि ‘बढ़ चला बिहार’ अभियान के सभी कार्यक्रम बुरी तरह से विफल हो गये हैं. इसके नाम पर जहां करोड़ों […]

पटना : पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सोमवार को कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में भाजपा नीत एनडीए की सरकार बनी तो अधिकारियों के कामकाज की जांच करायी जायेगी. उन्होंने कहा कि ‘बढ़ चला बिहार’ अभियान के सभी कार्यक्रम बुरी तरह से विफल हो गये हैं.

इसके नाम पर जहां करोड़ों रुपये का बंदरबांट हो रहा है, वहीं सरकारी संसाधनों और तंत्र का दुरुपयोग कर जदयू का प्रचार किया जा रहा है. विधान परिषद चुनाव के दौरान आचार संहिता लागू होने और बाद में पटना हाई कोर्ट की ओर से जनभागीदारी कार्यक्रम को सीमित किये जाने से 40 हजार की जगह पांच हजार गांवों में भी सभाएं नहीं हुई. मगर अब ऊपर से करोड़ों के फर्जी भुगतान के लिए जिला जन सम्पर्क पदाधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है.

ऐसे में भाजपा फर्जी भुगतान में सहभागी बनने वाले और विशेष पैकेज को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ वैज्ञानिक तैयार करने वाले सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को चेतावनी देती है कि मुख्यमंत्री के दबाव में ऐसा कुछ नहीं करे जो बाद में उनके लिए परेशानी का सबब बन जाये.

चुनाव बाद राजग की सरकार बनना तय है और तब इन सभी गड़बड़ियों की जांच कराई जायेगी. इस कार्यक्रम के जरिये जिलों में न तो वांछित संख्या में प्रचार वाहने भेजे गये,न उनमें निर्धारित उपकरण लगे.

सभाएं नहीं हुई, मगर अब मुख्यमंत्री द्वारा जिला जनसंपर्क पदाधिकारियों पर इन झूठे विपत्रों को सत्यापित करने का दबाव बनाया जा रहा है.

ताकि प्रचार एजेंसी सिटीजन एलायंस और पर्यवेक्षकों-कर्मियों को करोड़ों रुपये का भुगतान किया जा सके. मोदी ने आरोप लगाया कि प्रचार एजेंसी सिटीजन एलायंस का सीधा संबंध जदयू के प्रचार का जिम्मा संभाले प्रशांत किशोर से बताया जा रहा है. जबकि, जिला व प्रखंड स्तर पर जिन्हें पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था वे सभी जदयू से जुड़े बताये जा रहे हैं.

जनभागीदारी कार्यक्रम के जरिए विजन डॉक्यूमेंट-2025 तैयार करने के लिये वाहन सिटीजन एलायंस कंपनी को प्रति सभा 2,833 रुपये और नियुक्त पर्यवेक्षक व कर्मी को 30 हजार और 11,756 रुपये प्रति माह की दर से भुगतान करना है.

जनभागीदारी के अलावा राज्य व जिला स्तर पर गौरव गोष्ठी, उद्घोष, बिहार व्याख्यानमाला, जज्ञिसा, राज्य के बाहर प्रवासी बिहारियों के बीच बिहार डेवलपमेंट डायलॉग और संवाद जैसे कार्यक्रम आयोजित किया जाना था. उन्‍होंने सरकार से स्पष्ट करने को कहा कि ये सारे कार्यक्रम कब और कहां हुए व इन पर कितना खर्च आया?

दूसरी ओर सरकारी धन का दुरुपयोग कर नीतीष कुमार के दबाव पर सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा विषेष पैकेज को लेकर केन्द्र सरकार के खिलाफ वज्ञिपन प्रकाषित कराए जा रहे हैं जो ‘बिहार गवर्मेंट सर्वेंट कंडक्ट रूल्स, 1976’ (ठपींत ळवअमतदउमदज मतअंदज बवदकनबज -समेष् 1976) की धारा 10 का उल्लंघन है। भाजपा गठबंधन की सरकार बनने पर ऐसे अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई संभावित है। बढ़ चला बिहार अभियान के नाम पर हो रहे लूट-खसोट की भी जांच होगी और दोषी पाये जाने वालों को बख्षा नहीं जायेगा।

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