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बदलेगी अंग्रेजों के जमाने की बजट प्रक्रिया : विजेंद्र
पटना : वित्त मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा है कि अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही बजट बनाने की वर्तमान प्रक्रिया को बदला जायेगा. इसकी तमाम विसंगतियों को दूर करके इसे ज्यादा दायित्वपूर्ण बनाया जायेगा. बजट तैयार करने की मौजूदा प्रक्रिया 1953 में तैयार की गयी थी, जो ब्रिटेन के बजट प्रक्रिया की […]
पटना : वित्त मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा है कि अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही बजट बनाने की वर्तमान प्रक्रिया को बदला जायेगा. इसकी तमाम विसंगतियों को दूर करके इसे ज्यादा दायित्वपूर्ण बनाया जायेगा. बजट तैयार करने की मौजूदा प्रक्रिया 1953 में तैयार की गयी थी, जो ब्रिटेन के बजट प्रक्रिया की तर्ज तैयार किया गया था.
इसमें कई ऐसे प्रावधानों और नियमों का उल्लेख है, जिसका वर्तमान समय में कोई औचित्य नहीं रह गया है. इसे बदलने की सख्त जरूरत है. वित्त मंत्री गुरुवार को जगजीवन राम शोध संस्थान में रिसर्च फेलो डॉ. वीणा सिंह की पुस्तिका ‘बजट संहिता’ का विमोचन कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो अर्थव्यवस्था चल रही है.
इसकी शुरुआत 30-35 साल पहले हुई थी. इसके परिणाम आब सामने आने लगे हैं. अमीरी और गरीबी दोनों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. 250 धराने जहां अरबपति हो गये, वहीं देश में 20 करोड़ लोग बीपीएल भी हैं. यह बड़ी विडंबनापूर्ण स्थिति है कि एक उद्योगपति देश के प्रधानमंत्री की पीठ थपथपाता है. उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सिर्फ योजनाओं की पैकेजिंग करके परोस रहा है. बिहार को कई केंद्रीय योजना में बहुत फायदा नहीं मिलने वाला है.
बांका में बनने वाले अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट से बिहार को आधी बिजली मिलनी चाहिए. चूंिक नियमानुसार, जिस राज्य में प्रोजेक्ट लगता है, उसे आधी बिजली दी जाती है. परंतु उत्पादित होने वाली करीब चार हजार मेगावाट बिजली में बिहार की हिस्सेदारी को कम करके ओड़िसा, यूपी और अन्य राज्यों को देने की घोषणा कर दी गयी है. वित्त मंत्री ने कहा कि बजट की प्रक्रिया और इससे जुड़े कई अहम पहलुओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ग्लोबललाइजेशन के वर्तमान दौर में बजट का गोपनीय होना बहुत मायने नहीं रखता है.
राज्य की भौगोलिक और खर्च की स्थित को देखते हुए इसे प्रत्येक वर्ष अप्रैल के बजाये जनवरी में पेश करना चाहिए. बजट राज्य का वार्षिक लेखा-जोखा के साथ-साथ राजनीतिक दस्तावेज भी होता है. सरकार का दृष्टि होता है. बजट में समाज के वंचित लोगों पर ध्यान देने के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और संचार पर खासतौर से ध्यान देना चाहिए. सिर्फ जीडीपी के ग्रोथ पर ध्यान नहीं देना चाहिए.
राज्य के बजट सलाहकार तिलक राज गौरी ने बजट की प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि यह राज्य सरकार की निश्चित अवधि में प्राप्ति यानी आमदनी और व्यय का अनुमान होता है. इसे वार्षिक वित्त विवरणी कहते हैं. राज्य योजना आयोग के सदस्य गुलरेज होदा ने कहा कि यह सरकार की आर्थिक नीति का औजार है. सरकार की नीति सामने आती है. कार्यक्रम में स्वागत संबोधन संस्थान के निदेशक श्रीकांत ने किया. उन्होंने कहा कि बजट की प्रक्रिया को सरल भाषा में आम लोगों को बताने के लिए संस्थान इस तरह की किताबों को प्रकाशित कर रहा है.
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