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शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र है बिहार

पटना: उत्तर-पूर्व भारत में पश्चिम बंगाल के साथ बिहार शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र रहा है. सनातन काल से शाक्त परंपरा यहां विकसित हुई. साक्षात शक्ति स्वरूपा माता जानकी का जन्म मिथिला में हुआ था. द्वार बंग के रूप में दरभंगा शक्ति उपासकों के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित रहा है. बिहार में शक्ति […]

पटना: उत्तर-पूर्व भारत में पश्चिम बंगाल के साथ बिहार शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र रहा है. सनातन काल से शाक्त परंपरा यहां विकसित हुई. साक्षात शक्ति स्वरूपा माता जानकी का जन्म मिथिला में हुआ था.

द्वार बंग के रूप में दरभंगा शक्ति उपासकों के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित रहा है. बिहार में शक्ति पीठ के साथ सिद्ध पीठ व वन देवियों की पूजा सनातन काल से होती आ रही है. घर-घर में कुल देवियों की पूजा प्रत्येक परिवार में होती आ रही है. विवाहोत्सव पर कुल देवियों की पूजा जरूर होती है.

छोटी व बड़ी पटनदेवी प्रमुख शक्तिपीठ: छोटी व बड़ी पटन देवी प्रमुख शक्ति पीठ हैं. शिव तांडव के दौरान देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे. समस्त भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न स्थानों पर देवी सती के अंगों के टुकड़े गिरे थे. इनमें पटनासिटी स्थित छोटी व बड़ी पटनदेवी में गिरे अंग भी प्रमुख है. इनके साथ ही जनकपुर,बिहार नेपाल सीमा पर भी शक्ति स्थल है.

सिद्धपीठ व वन देवियों की होती है पूजा: बिहार में विभिन्न जिलों में सिद्ध पीठ विद्यमान है. राजधानी में बांसघाट स्थित काली मंदिर, दरभंगा हाउस स्थित काली मंदिर, पटना मौर्यालोक के समीप स्थित शांति बाबा आश्रम, गायघाट स्थित प्रेम बाबा आश्रम सिद्धपीठ के रूप में ख्यात है. वन देवियों की पूजा भी बिहार में होती है. इनमें आरा(भोजपुर) की अरण्य देवी विशेष रूप से उल्लेखनीय है.

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