पटना :बिहार में संविदा पर बहाल आंगनबाड़ी सेविकाओं, सहायिकाओं, रसोइया समेत अन्य सभी कर्मियों के मानदेय में 25 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गयी है. इसके अलावा इन कर्मियों की सेवाकाल के दौरान मृत्यु होने पर उनके परिजनों को एकमुश्त चार लाख रुपये मिलेंगे़ इसकी घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को स्वतंत्रता दिवस पर पटना के गांधी मैदान में झंडोत्ताेलन के बाद की़
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संविदा पर बहाल कर्मियों का मानदेय 25 फीसदी बढ़ा
पटना :बिहार में संविदा पर बहाल आंगनबाड़ी सेविकाओं, सहायिकाओं, रसोइया समेत अन्य सभी कर्मियों के मानदेय में 25 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गयी है. इसके अलावा इन कर्मियों की सेवाकाल के दौरान मृत्यु होने पर उनके परिजनों को एकमुश्त चार लाख रुपये मिलेंगे़ इसकी घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को स्वतंत्रता दिवस पर […]
मुख्यमंत्री ने कहा कि कई केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के तहत संविदा पर कर्मचारी बहाल हैं. उन्हें मानदेय केंद्र सरकार देती है, जबकि राज्य सरकार उसमें अपना हिस्सा देती है. संविदा पर काम कर रहे कर्मियों की सेवाकाल के दौरान मौत हो जाने पर उनके आश्रितों को भी चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जायेगा.
गरीबों की संख्या 20 % घटी
सीएम ने कहा कि हम बिहार की तरक्की और इसकी प्रतिष्ठा स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं. बहुत कुछ हासिल हुआ, लेकिन अब भी बहुत करना बाकी है. बिहार के इस नवनिर्माण के लिए सभी समुदायों व वर्गों से, खासकर नयी पीढ़ी व महिलाओं से हमें ज्यादा उम्मीद है. हम सभी को राज्य में किये जा रहे रचनात्मक कार्यो में सकारात्मक भूमिका निभानी होगी.
नीतीश कुमार ने कहा कि विकास व प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए कुशल और आधुनिक प्रशासनिक व वित्तीय संरचना स्थापित की गयी है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 सालों में राज्य की औसत विकास दर (स्थिर मूल्य पर) 10.2 प्रतिशत रही है. 2005 में राज्य का वार्षिक योजना आकार चार हजार करोड़ रुपये का था, जो अब बढ़ कर 57 हजार करोड़ रुपये हो गया है. वहीं राज्य का वार्षिक बजट 2005 में 20 से 25 हजार करोड़ रुपये का था, जो अब बढ़ कर एक लाख 20 हजार करोड़ रुपये का हो गया. इसी अवधि में राजस्व संग्रहण में सात गुना बढ़ोतरी हुई है. बिहार के 55 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे थे, यह आंकड़ा घट कर 33 प्रतिशत रह गया हैं़ गरीबी में 20 प्रतिशत से अधिक की कमी दरसाता है कि आर्थिक विकास में सभी की भागीदारी रही है.
शिक्षा-स्वास्थ्य में परिवर्तन
उन्होंने कहा कि मानव संसाधन व उसके क्षमता संवर्धन के लिए शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया है. विद्यालय में वंचित वर्ग का दाखिला सुनिश्चित कराने व लड़के-लड़कियों के बीच शिक्षा के अंतर को दूर करने के लिए अनेक प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूल खोले गये, कक्षाओं की संख्या बढ़ायी गयी, शिक्षकों की उपलब्धता व उपस्थिति सुनिश्चित की गयी. किताब, पोशाक, साइकिल, प्रोत्साहन व छात्रवृति की योजनाएं चलायी जा रही हैं.
राज्य सरकार ने बुनियादी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार किया. अच्छे स्वास्थ्य के निर्धारक पोषण, साफ-सफाई, स्वच्छता, सुरक्षित पेयजल के साथ जोड़कर स्वास्थ्य व्यवस्था को विकसित किया गया. प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व जिला अस्पताल को एक क्रियाशील स्वास्थ्य केन्द्र के रूप में संचालित किया जा रहा है. इससे लोगों का विश्वास स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ा और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में इलाज करा रहे रोगियों की संख्या जो 2006 की शुरुआत में प्रतिमाह औसतन 39 थी, अब बढ़ कर प्रतिमाह लगभग 11000 तक पहुंच गयी है. शिशु मृत्यु और मातृ मृत्यु दरें घट गयी हैं़ पोलियो का बिहार से उन्मूलन हो गया है. नियमित टीकाकरण की शुरुआत जो वर्ष 2005 में 18.6 प्रतिशत था, अब बढ़ कर 78 प्रतिशत हो गया है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है. अब सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में द्वितीय चरण में सुधार पर काम कर रही है, ताकि लोगों को विशिष्ट व आधुनिक चिकित्सा के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़े.
बिजली में व्यापक सुधार
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार देश का अकेला राज्य था, जहां बिजली का अपना उत्पादन नगण्य था. बिजली के संचरण व वितरण की स्थिति दयनीय थी. मैंने 15 अगस्त, 2012 को गांधी मैदान के अभिभाषण में घोषणा की थी कि हम बिजली की स्थिति में सुधार लायेंगे और अगर स्थिति में सुधार नहीं ला पायेंगे, तो आपके बीच वोट मांगने नहीं आयेंगे. बिजली की स्थिति को सुधारने का काम हमने चुनौती मानकर स्वीकर किया और इसमें सफलता हासिल हुई है. आज सभी जिला मुख्यालयों में औसतन 22-24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 14 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है. 2005 में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत मात्र 70 यूनिट थी, जो आज बढ़ कर 203 यूनिट हो गयी है. इसी अवधि में राज्य में विद्युत आपूर्ति 700 मेगावाट से बढ़कर 3,112 मेगावाट पहुंच गयी है. 10 साल में 14,065 गांव विद्युतीकरण हो गया है. शेष बचे गांवों के विद्युतीकरण की योजना पर तेजी से कार्य जारी है और इसे शीघ्र ही पूरा किया जायेगा. उत्पादन, संचरण एवं वितरण प्रणाली के व्यापक सुधार के लिए आठ हजार करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं पर काम चल रहा है.
एक सप्ताह बारिश नहीं हुई,तो राज्य को सूखा घोषित करेगी सरकार
सीएम ने कहा कि सरकार के खजाने पर आपदा पीड़ितों का पहला अधिकार हैं. अन्य कोई भी काम बाद में भी हो सकता है, लेकिन आपदा पीड़ितों की मदद को टाला नहीं जा सकता है. सरकार ने सूखे का सामना कर रहे किसानों को पहले मदद देने का निर्णय लिया है. सरकार उनकी मदद के लिए और जो भी जरूरत होगी, वह करेगी. राज्य में 33 प्रतिशत कम वर्षा हुई है, जिसके कारण किसानों को फसल बचाने में काफी कठिनाइयां हो रही हैंं़ इसे देखते हुए सरकार ने प्रति एकड़ 1500 रुपये डीजल सब्सिडी देने का फैसला लिया है. अब किसानों को सरकार तीन पटवन के बदले पांच पटवन के लिए 30 रुपये प्रति लीटर डीजल सब्सिडी देगी. पटवन के लिये प्रति एकड़ 10 लीटर डीजल की जरूरत होती है. सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम 12 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है,ताकि किसान नलकूपों के माध्यम से पटवन का काम कर सके. अगर एक सप्ताह बारिश की यही स्थिति रही, तो राज्य सरकार प्रदेश को सूूखा ग्रस्त घोषित करने में नहीं हिचकेगी.
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