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रामनंदन मिश्र का संन्यास

आजादी के बाद 1952 में बिहार में हुए पहले विधानसभा चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के 247 में से सिर्फ 23 प्रत्याशी जीते. इस चुनाव से समाजवादियों को काफी उम्मीदें थीं, क्योंकि बिहार उनका कार्य क्षेत्र रहा था. बिहार में दिग्गज समाजवादी नेताओं की भरमार भी थी. इस चुनाव में कपरूरी ठाकुर तत्कालीन दरभंगा जिला के […]

आजादी के बाद 1952 में बिहार में हुए पहले विधानसभा चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के 247 में से सिर्फ 23 प्रत्याशी जीते. इस चुनाव से समाजवादियों को काफी उम्मीदें थीं, क्योंकि बिहार उनका कार्य क्षेत्र रहा था. बिहार में दिग्गज समाजवादी नेताओं की भरमार भी थी. इस चुनाव में कपरूरी ठाकुर तत्कालीन दरभंगा जिला के ताजपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए. सोशलिस्ट पार्टी के 23 विधायकों में से करीब आधे पिछड़े व दलित जाति के थे. निराशाजनक चुनाव परिणाम की वजह से सोशलिस्ट पार्टी के भीतर विवाद और आत्ममंथन का दौर शुरू हुआ.

अंतर्कलह बढ़ कर आरोप-प्रत्यारोप तक पहुंचा. रामनंदन मिश्र ने एक परचा निकाला, जिसका शीर्षक था-‘सोशलिस्ट पार्टी किधर.’11 अप्रैल, 1952 को पटना के अंजुमन इस्लामिया हॉल में प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक बुलायी गयी. इसे जयप्रकाश नारायण ने भी संबोधित किया. इसके अगले दिन रामनंदन मिश्र ने जेपी के घर जाकर राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी.

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