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नियम का उड़ा रहे धुआं, थूक रहे गुटखा का पीक
पटना : बिहार भले ही तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने वाले गिने-चुने राज्यों में शामिल हो, लेकिन सरकार का यह आदेश आइ-वॉश से अधिक नहीं दिखता. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिहार सरकार ने 10 मई 2015 को दोबारा तंबाकू पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया, जिसकी अवधि 10 अगस्त को खत्म हो जायेगी, […]
पटना : बिहार भले ही तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने वाले गिने-चुने राज्यों में शामिल हो, लेकिन सरकार का यह आदेश आइ-वॉश से अधिक नहीं दिखता. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिहार सरकार ने 10 मई 2015 को दोबारा तंबाकू पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया, जिसकी अवधि 10 अगस्त को खत्म हो जायेगी, लेकिन खाद्य सुरक्षा विभाग की सुस्ती के चलते प्रतिबंध पूरी तरह लागू नहीं हो सका है.
इस अवधि में राजधानी से लेकर जिलों में तंबाकू उत्पाद धड़ल्ले से बिकते रहे. सरकार ने पान मसाला से लेकर जरदा, सुगंधित सुपारी, सुगंधित तंबाकू या इस तरह के किसी भी पैकिंग या बिना पैकिंग वाले उत्पाद की खरीद, बिक्री या निर्माण पर पूरी तरह रोक लगा रखी है, लेकिन शायद ही कोई ऐसी दुकान हो जहां आपको जरदा या पान मसाला न मिले. छोटे दुकानों में छिटपुट छापेमारी के अलावा कोई कार्रवाई नहीं हुई. तंबाकू प्रतिबंध ही नहीं राज्य में कोटपा (सिगरेट एंड अदर टुबैको प्रोडक्ट्स एक्ट 2003) प्रावधानों का भी पालन नहीं हो रहा है.
1. एम (मॉनीटरिंग) : तंबाकू उत्पादों की मॉनीटरिंग को लेकर हर जिले से लेकर अनुमंडल व प्रखंड स्तर कमेटी बनी है. इनकी जिम्मेवारी है कि तंबाकू प्रतिबंध व कोटपा अधिनियम का सख्ती से पालन कराएं. नियम का पालन नहीं करने वाले का कोटपा के सेक्शन चार, छह (ए) व छह (बी) के चालान काट कर उनसे जुर्माना वसूलना या फिर कोर्ट में खड़ा करना है, लेकिन जांच नहीं होती.
2. पी (प्रीवेंशन) : इसमें बचाव के तहत सार्वजनिक स्थलों पर इसकी पहुंच रोकना, उचित प्रचार-प्रसार करना, दुकानदारों व सार्वजनिक स्थल को इससे संबंधित कानून बताना शामिल है, लेकिन सरकार या प्रशासन के स्तर पर इसका भी पालन नहीं होता.
3. ओ (ऑफर टू क्विट) : इसके तहत तंबाकू एडिक्ट हो चुके लोगों को इसे छोड़ने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करना है.
इसको लेकर सरकार के स्तर पर कोई योजना ही नहीं बनी. एनजीओ स्तर पर कुछ लोग हैं. लेकिन उनके पास उचित डॉक्टर या काउंसेलर सहित अन्य सुविधाएं नहीं होने से यह क्षेत्र बिल्कुल छूट जाता है.
बिहार में 53.5 फीसदी व्यस्क करते हैं तंबाकू का सेवन
ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे (गैट्स) के अनुसार बिहार में 53.5 फीसदी वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं. इनमें 66.2 फीसदी पुरुष और 40.01 फीसदी महिलाएं शामिल हैं. वर्तमान में 14.2 फीसदी वयस्क तंबाकू पीते हैं, जिसमें 20.3 फीसदी पुरुष और 7.8 फीसदी महिलाएं शामिल हैं.
48.7 फीसदी वयस्क धुआं रहित तंबाकू का सेवन करते हैं, जिसमें 62.2 फीसदी पुरुष और 34.6 फीसदी महिलाएं शामिल है. बिहार में तंबाकू जनित चार तरह की बीमारियां जैसे कार्डियो वैसकुलर डिजीज (सीवीडी), कैंसर, टीबी, स्वांस की बीमारी के इलाज पर पुरुषों पर प्रतिशत 345.8 करोड़ रुपये और महिलाएं पर 126.3 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. इन बीमारियों को छोड़ कर अन्य सभी रोगों पर पुरुषों पर प्रतिवर्ष 886.5 करोड़ रुपये जबकि महिलाओं पर 454.01 करोड़ खर्च होते हैं.
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