पटना: सर्च कमेटी द्वारा की गयी अनुशंसाओं पर अंतिम निर्णय लेने के पहले कुलाधिपति को राज्य सरकार से प्रभावी व सार्थक परामर्श करना होगा. इसके बाद ही कुलपति व प्रतिकुलपति की नियुक्ति पर वह फैसला लेंगे.
सर्च कमेटी द्वारा कुलपति-प्रतिकुलपति की नियुक्ति को लेकर बनी स्टेटय़ूट में इसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है. पूर्व राज्यपाल सह कुलाधिपति देबानंद कुंवर द्वारा की गयी कुलपति व प्रतिकुलपति की सभी नियुक्तियां इसी आधार पर न्यायालय ने रद्द की थीं. हालांकि, राजभवन ने कहा था कि सरकार से परामर्श ली गयी है.
वहीं सरकार ने कहा था कि कोई परामर्श उससे नहीं लिया गया है, इसलिए इस बार जब कुलपति-प्रतिकुलपति नियुक्ति की नयी व्यवस्था लागू हुई, तो इसके स्टेटय़ूट में प्रभावी व सार्थक परामर्श का जिक्र प्रमुखता से किया गया. यानी, ऐसा परामर्श होना चाहिए, जो किसी नतीजे पर पहुंचे व उसका प्रमाण हो. सर्च कमेटी एक पद के लिए तीन या पांच नाम की अनुशंसा कुलाधिपति को भेजेगी. इसी पैनल में किसी एक के नाम पर निर्णय कुलाधिपति द्वारा सरकार से परामर्श करने के बाद लिया जायेगा.
अनुशंसा पर तीनों के होंगे हस्ताक्षर: सर्च कमेटी के तीनों सदस्यों के हस्ताक्षर उनकी अनुशंसा पर होनी चाहिए. अगर किसी उम्मीदवार के नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन पा रही है, तो जिसके पक्ष में दो सदस्य जायेंगे, उनका ही चयन किया जायेगा. सर्च कमेटी को अपनी रिपोर्ट में यह भी बताना होगा कि उनके द्वारा नाम का चयन किस आधार पर किया गया है. राज्यपाल के प्रधान सचिव इस कमेटी के सचिव होंगे. वही कमेटी की रिपोर्ट कुलाधिपति को भेजेंगे.