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नीतीश ने जान-बूझ कर की शहरी क्षेत्रों की उपेक्षा: मोदी
पटना : पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भाजपा के अधिकतर विधायक शहरी क्षेत्रों से जीतते हैं, इसी लिए नीतीश कुमार की सरकार ने जान-बूझ कर शहरी क्षेत्रों की उपेक्षा की. अब-जब चुनाव आमने आया है, तो वे घोषणाओं की झड़ी लगा रहे हैं. पटना सहित बिहार के सभी शहरों को नरक […]
पटना : पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भाजपा के अधिकतर विधायक शहरी क्षेत्रों से जीतते हैं, इसी लिए नीतीश कुमार की सरकार ने जान-बूझ कर शहरी क्षेत्रों की उपेक्षा की.
अब-जब चुनाव आमने आया है, तो वे घोषणाओं की झड़ी लगा रहे हैं. पटना सहित बिहार के सभी शहरों को नरक में तब्दील करने के बाद सीएम को उसकी सफाई, जलापूर्ति और विकास की याद आयी है. उन्होंने कहा है कि पिछले पांच महीने से नगर विकास विभाग में कोई पूर्णकालिक मंत्री नहीं है. इस साल के बजट में तो सरकार नगर विकास योजना के लिए राशि आवंटित करना भूल गयी.
जब याद दिलाया गया, तब आवंटन दिया गया. मोदी ने मुख्यमंत्री से नगर विकास को ले कर कई सवाल भी पूछे हैं. उन्होंने पूछा है कि पटना के बहादुरपुर, लोहिया नगर, गया और मुजफ्फरपुर में 9,275 करोड़ के निजी निवेश पर जो फ्लैट बनाये जाने थे, उनका क्या हुआ? पांच वर्षो में नौ प्रमंडलों के प्रखंड मुख्यालयों में जो 6.23 लाख आवास बनाने का लक्ष्य था, उसका क्या हुआ?
बिहार राज्य आवास बोर्ड की ओर से पांच शहरों में 2010-15 में एक लाख आवासीय फ्लैट, कॉम्प्लेक्स, होटल और मॉल बनाने की योजना थी, उसका क्या हुआ? पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव के ठीक पहले 1400 करोड़ की लागत से 1402 बस्तियों 20,871 आवासों के निर्माण का शिलान्यास तो हुआ, किंतु आवास नजर नहीं आ रहे, क्यों? रिक्शा-ठेला चालकों व फेरीवालों के लिए पटना में एक लाख और अन्य शहरों में 25-25 हजार रैन-बसेरा बनाने योजना क्या पूरी हो गयी? पटना के दीघा में 400 एकड़ में बनने वाली टाऊनशीप, जिसमें पांच तरह के नौ हजार फ्लैट्सों का निर्माण होना था, उसका क्या हुआ?
पटना के मास्टर प्लान को पिछले दो वर्षो में भी कैबिनेट की स्वीकृति क्यों नहीं मिली? ग्रेटर नोयडा के तर्ज पर पटना को विकसित बनाने की योजना और भागलपुर, मुजफ्फरपुर तथा गया में क्षेत्रीय विकास प्राधिकार का गठन हुआ क्या? पटना की मेट्रो व मोनो रेल-परियोजनाओं का क्या हुआ? 17 शहरों के लिए 798 बसों के क्रय की स्वीकृति के बावजूद आज तक उसका परिचालन क्यों नहीं शुरू हुआ? पटना शहर की 426.98 करोड़ जलापूर्ति योजनाओं का क्या हश्र है?
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