पटना: निगरानी विभाग के पूर्व कर्मचारी व चारा घोटाले को लेकर चर्चा में आये उमेश प्रसाद सिंह ने घोटालेबाजों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, सांसद शिवानंद तिवारी व ललन सिंह द्वारा रुपये लेने के आरोप को मनगढ़ंत, बेबुनियाद व तथ्यहीन करार दिया है.
उन्होंने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सुशील मोदी वही बात कह रहे हैं, जो 1996 में चारा घोटाले की सीबीआइ जांच के बाद जेल में बंद कई आपूर्तिकर्ताओं ने सीबीआइ की रांची शाखा के तत्कालीन एसपी एनसी ढोढ़ियाल व डीएसपी श्रवण कुमार के साथ मिल कर याचिकाकर्ताओं को हतोत्साहित करने की योजना बनायी थी. इसका उद्देश्य जांच की दिशा को भटका कर किसी प्रकार लालू प्रसाद को बचाना था. अगर ऐसा होता, तो आज भाजपा व जदयू के सभी नेता जेल में होते और लालू प्रसाद बाहर घूम रहे होते. उन्होंने कहा कि जांच के दौरान डीएसपी श्रवण कुमार को संयुक्त निदेशक डॉ यूएन विश्वास व एसपी एनसी ढोढियाल को पटना हाइकोर्ट ने प्रतिकूल टिप्पणी कर जांच से हटा दिया था.
चारा घोटाले के किंगपिन डॉ श्याम बिहारी सिन्हा के बयान को लेकर उमेश सिंह ने कहा कि कई अभियुक्तों का बयान सीबीआइ की रांची, धनबाद व पटना शाखा में दर्ज किया गया, लेकिन रांची शाखा छोड़ कर कहीं इस प्रकार के बयान दर्ज नहीं किये गये, सिर्फ रांची में यह होता रहा. क्योंकि, वहीं की टीम लालू प्रसाद की मददगार थी.
उन्होंने कहा कि जब 1996 में नीतीश, ललन व तिवारी से संबंधित बयान कई बार छपे थे, तब मोदी को पटना हाइकोर्ट की मॉनीटरिंग बेंच के सामने जांच की मांग करने से किसने रोका था. उमेश ने कहा कि श्याम बिहारी सिन्हा के दिल्ली में छिपे होने की जानकारी धनबाद शाखा को मिल गयी थी. टीम गिरफ्तार करने के लिए छापा मारनेवाली थी कि रांची शाखा ने योजनाबद्ध तरीके से समर्पण करा कर अपने कब्जे में लेकर इस प्रकार के अनर्गल बयान दर्ज कराना प्रारंभ किया. उन्होंने कहा कि उन पर किसी नेता को पैसे पहुंचाने का आरोप बेबुनियाद है. सीबीआइ के किसी केस में न तो वह अभियुक्त हैं, न गवाह हैं. अगर मेरे ऊपर कोई आरोप आता है, तो जेल जाने के लिए तैयार हूं.