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बाजार का दबाव हो गया है समाज पर : खगेंद्र

पटना: आज हमारे समाज पर बाजार का बड़ा दबाव है. पहले समाज का नियंत्रण बाजार पर रहता था. आज बाजार का नियंत्रण समाज पर हो गया है. बाजार हमारी चेतना तक में प्रवेश कर गया है. आलोचक खगेंद्र ठाकुर सोमवार को सुभाष शर्मा लिखित ‘संस्कृति एवं समाज’ नामक किताब के लोकार्पण के मौके पर बोल […]

पटना: आज हमारे समाज पर बाजार का बड़ा दबाव है. पहले समाज का नियंत्रण बाजार पर रहता था. आज बाजार का नियंत्रण समाज पर हो गया है. बाजार हमारी चेतना तक में प्रवेश कर गया है. आलोचक खगेंद्र ठाकुर सोमवार को सुभाष शर्मा लिखित ‘संस्कृति एवं समाज’ नामक किताब के लोकार्पण के मौके पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि समाज से अलग हट कर हम संस्कृति की कल्पना नहीं कर सकते. समाज स्थिर नहीं रहता.

समाज में अंतर्विरोध रहता है, जो इसेगति देता है. इसी के अनुरूप हमारी संस्कृति भी बदलती है. समाज में जो अपसंस्कृति आयी है, वह पश्चिम की नहीं बल्कि यहीं की पंजीवाद की देन है. व्यक्ति का मूल्य पूंजी के आधार पर हो रहा है. यह चिंता जनक है. उन्होंने कहा कि जो पीछे देखता है वह रूढ़ीवादी होता है. आगे देखने वाले प्रगतिशील होते हैं. सुभाष शर्मा ने अपनी किताब में इन सभी बातों को बखूबी दरसाया है. किताब का लोकार्पण न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार मिश्र ने की. उन्होंने कहा कि संस्कृति व समाज एक-दूसरे के पूरक हैं.

एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट सभागार में आयोजित लोकार्पण सह विमर्श समारोह में कवि अरुण कमल ने कहा कि इस किताब में कुछ निबंध साहस के साथ लिखे गये हैं. मनुष्यता के पक्ष में लेखक ने इस किताब के जरिये हाथ उठाया है. संस्कृति के कई सिद्धांतों की भी विस्तार से चर्चा है. कवि आलोक धन्वा ने कहा कि व्यक्ति को झकझोर देने वाली कई बातें इस किताब में हैं.

बिहार की धरती पर संस्कृति व समाज का निर्माण साथ-साथ हुआ. समारोह का आयोजन ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट में हुआ. इसकी अध्यक्षता इंस्टीट्यूट के निदेशक डीएम दिवाकर ने की. इस मौके पर कवि कृष्ण देव कल्पित, लेखक सुभाष शर्मा समेत कई लोगों ने अपने विचार रखे.

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