पटना. बिहार कला संघ से जुड़े कलाकारों की बैठक में सभी ने एक स्वर में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पवन कुमार वर्मा को अपना सांस्कृतिक सलाहकार बनाया तो कलाकारों में हर्ष था कि बिहार में कला, संस्कृति के अब अच्छे दिन आ गये. कलाकारों ने मुख्यमंत्री के इस कदम की भरपूर तारीफ की, मगर अटपटा तब लगा जब पवन वर्मा के सांस्कृतिक सलाहकार रहते हुए भी राज्य में कला और संस्कृति में कोई बदलाव नहीं आया और न ही राज्य में कोई सांस्कृतिक नीति बन पायी. राज्य के कलाकार ठगा-सा महसूस कर रहे हैं. इस बैठक में संघ के उपाध्यक्ष एवं तबला वादक श्याम मोहन उर्फ अशोक सिंह, गायक एवं संघ के संयुक्त सचिव सत्येंद्र कुमार, नाल वादक अर्जुन चौधरी, शिवचरण प्रसाद भी मौजूद थे. इस अवसर पर अशोक सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सांस्कृतिक सलाहकार बनाया था तो राज्य में सांस्कृतिक नीति बननी चाहिए थी. इसके लिए फिर से पहल हो और उस पर ठोस कार्य करने की आवश्यकता है. बिहार कला संघ के संयुक्त सचिव सत्येंद्र कुमार ने कहा कि इस बिहार में कला, संस्कृति की बात करना बेईमानी होगी. क्योंकि इस बिहार में सबका विकास तो हुआ, केवल कला, संस्कृति ही निचले पायदान पर है. दुख तो तब होता है, जब यहां के कला के विद्यार्थी प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ और प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद जैसी संस्थाओं के ऊपर निर्भर रहते हैं और इन संस्थाओं से अपने कला के विषय में डिग्री/डिप्लोमा लेना पड़ता है. इसलिए राज्य में सांस्कृतिक विश्वविद्यालय की स्थापना होना भी अति आवश्यक है. बैठक में तबला वादक रत्नाकर भट्ट, समीर कुमार, सुधीर कुमार, सुधांशु प्रकाश, रंजन कुमार, राज शेखर के साथ बड़ी संख्या में कलाकार और कला प्रेमी उपस्थित थे.
बिहार कला संघ ने की सांस्कृतिक नीति की मांग
पटना. बिहार कला संघ से जुड़े कलाकारों की बैठक में सभी ने एक स्वर में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पवन कुमार वर्मा को अपना सांस्कृतिक सलाहकार बनाया तो कलाकारों में हर्ष था कि बिहार में कला, संस्कृति के अब अच्छे दिन आ गये. कलाकारों ने मुख्यमंत्री के इस कदम की भरपूर तारीफ की, […]
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